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चंदा कोचर से वसूली जाएगी बोनस की रकम, ICICI से माना गया निष्कासन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमित मंडल
Updated Wed, 30 Jan 2019 07:15 PM IST
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chanda kochar
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चंदा कोचर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 2009 से मिले सभी बोनस वसूले जाएंगे। उनपर आरोप है कि उन्होंने बैंक के नियमों और भारत के कानून का उल्लंघन किया है। उन्हें इन आरोपों के चलते नौकरी से निकाला गया हुआ माना गया है। इसलिए उनके सभी मौजूदा भविष्य के फायदे बंद होंगे।
आईसीआईसीआई बैंक की ओर से कराई गई स्वतंत्र जांच में बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एन श्रीकृष्णा की समिति ने बुधवार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोचर के स्तर पर वार्षिक खुलासों की जांच-पड़ताल में ढिलाई बरती गई और आचार संहिता का उल्लंघन किया गया।
रिपोर्ट के आधार पर बैंक के निदेशक मंडल ने बैंक की आंतरिक नीतियों के तहत कोचर के इस्तीफे को उनकी 'गलतियों पर बर्खास्तगी' के तौर लेने का फैसला किया है।
बता दें कि निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों में शुमार आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी व सीईओ चंदा कोचर पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की नजर पीएनबी घोटाले के पहले से थी। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक चंदा कोचर के खिलाफ सबसे पहले अक्तूबर 2016 में अरविंद गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी।
इसके बाद सीबीआई ने 8 दिसंबर 2017 को कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। पीएनबी घोटाला इसके दो महीने बाद सामने आया था।
कार्रवाई में देरी से उठे सवाल
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एक धड़े ने कुछ दिन पहले ही आरबीआई की नियामक शक्तियों पर सवाल खड़े किए थे। बैंकों ने कहा कि आरबीआई निजी क्षेत्र के बैंकों से निपटने के लिए पर्याप्त शक्तियों का दावा करने के बावजूद आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मामले में कोई कार्रवाई करने में असफल रहा है।
यह सवाल सीबीआई की तरफ से आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर व अन्य का नाम उस मामले में शामिल करने के बाद उठा है, जिसमें वीडियोकॉन समूह को आपसी साठगांठ से 3250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया था।
सार्वजनिक बैंकों से जुड़े कई अधिकारियों ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक सरकारी व निजी बैंकों के मामले में अलग-अलग तरीका अपनाता है। एक अग्रणी सार्वजनिक बैंक के कार्यकारी निदेशक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा था कि नीरव मोदी के 14 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक व दो अन्य कार्यकारी निदेशकों को हटा दिया गया था।
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आईसीआईसीआई बैंक की ओर से कराई गई स्वतंत्र जांच में बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एन श्रीकृष्णा की समिति ने बुधवार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोचर के स्तर पर वार्षिक खुलासों की जांच-पड़ताल में ढिलाई बरती गई और आचार संहिता का उल्लंघन किया गया।
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रिपोर्ट के आधार पर बैंक के निदेशक मंडल ने बैंक की आंतरिक नीतियों के तहत कोचर के इस्तीफे को उनकी 'गलतियों पर बर्खास्तगी' के तौर लेने का फैसला किया है।
वहीं चंदा कोचर ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।ICICI Bank: Chanda Kochhar was in violation of ICICI Bank Code of Conduct, its framework for dealing with conflict of interest&fiduciary duties.Board of Directors has decided to treat separation of Chanda Kochhar from Bank as ‘Termination for Cause’ under Bank’s internal policies pic.twitter.com/ODLpACrx9l
— ANI (@ANI) January 30, 2019
Chanda Kochar: This decision from the Bank has caused me immense hurt&pain. I've pursued my career as an independent professional with utmost honesty, dignity&integrity. I continue to have faith&belief in my conduct as a professional&I'm certain that truth will ultimately prevail https://t.co/lckUFzWCrw
— ANI (@ANI) January 30, 2019
बता दें कि निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों में शुमार आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी व सीईओ चंदा कोचर पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की नजर पीएनबी घोटाले के पहले से थी। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक चंदा कोचर के खिलाफ सबसे पहले अक्तूबर 2016 में अरविंद गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी।
इसके बाद सीबीआई ने 8 दिसंबर 2017 को कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। पीएनबी घोटाला इसके दो महीने बाद सामने आया था।
कार्रवाई में देरी से उठे सवाल
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एक धड़े ने कुछ दिन पहले ही आरबीआई की नियामक शक्तियों पर सवाल खड़े किए थे। बैंकों ने कहा कि आरबीआई निजी क्षेत्र के बैंकों से निपटने के लिए पर्याप्त शक्तियों का दावा करने के बावजूद आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मामले में कोई कार्रवाई करने में असफल रहा है।
यह सवाल सीबीआई की तरफ से आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर व अन्य का नाम उस मामले में शामिल करने के बाद उठा है, जिसमें वीडियोकॉन समूह को आपसी साठगांठ से 3250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया था।
सार्वजनिक बैंकों से जुड़े कई अधिकारियों ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक सरकारी व निजी बैंकों के मामले में अलग-अलग तरीका अपनाता है। एक अग्रणी सार्वजनिक बैंक के कार्यकारी निदेशक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा था कि नीरव मोदी के 14 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक व दो अन्य कार्यकारी निदेशकों को हटा दिया गया था।