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चंदा कोचर की एफआईआर पर साइन करने वाले सीबीआई अधिकारी का तबादला, जेटली ने उठाए थे सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Sneha Baluni
Updated Sun, 27 Jan 2019 08:38 AM IST
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Chanda Kochhar
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर के साथ ही उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के वीएन धूत के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश रचने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया गया है।
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एसपी सुधांशु धर मिश्रा जोकि सीबीआई के बैंकिंग एंड सिक्योरिटीज फ्रॉड सेल में कार्यरत थे उन्होंने 22 जनवरी को चंदा कोचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। अगले ही दिन उनका तबादला एजेंसी की रांची के आर्थिक अपराध शाखा में हो गया। दो दिन बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सोशल मीडिया के जरिए सीबीआई की एफआईआर पर सवाल खड़े कर दिए।
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जेटली ने एफआईआर पर सीबीआई को दुस्साहस से बचने और सिर्फ दोषियों पर ध्यान देने की नसीहत दी थी। उन्होंने पूछा था कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय अंतहीन यात्रा का रास्ता क्यों चुना जा रहा है? शुक्रवार को वित्तमंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जेटली की टिप्पणी को रीट्विट किया था।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि जेटली की टिप्पणी बड़ों की सलाह है और इसे एजेंसी में किसी भी मध्यस्थता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। शनिवार को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'जेटली ने वैध तर्क दिया है। आप किसी भी सबूत के बिना अनुमानों के आधार पर किसी पर इतना बड़ा आरोप नहीं लगा सकते हैं। आप कैसे बिना किसी सबूत के टॉप बोर्ड सदस्यों का नाम ले सकते है? इससे सभी निर्णय लेने में बाधा आएगी।'
एक अधिकारी ने कहा, 'यह सीबीआई का निर्णय है। सरकार का इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है। फिर भी हमें लगातार निशाने पर लिया जा रहा है।' कांग्रेस का आरोप है कि जेटली ने सीबीआई पर दबाव बनाकर इस मामले पर धीमी चाल चलने को कहा है। राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि जेटली की टिप्पणी की एजेंसी को फटकार और धमकी की तरह है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'उनका बयान असाधारण है। यह सीबीआई को धीमी चाल चलने के लिए कहने का स्पष्ट संकेत यह दोहरे मानकों की भी दिखाता है जो निश्चित तौर पर उनके लिए नया नहीं है। उन्होंने वोडाफोन मामले को लेकर आतंकवाद कहा था और केयर्न के ममाले में भी उन्होंने ऐसा सही किया।'
बता दें कि अमेरिका में स्वास्थ्य लाभ ले रहे अरुण जेटली ने ट्वीट कर कहा था, 'पेशेवर जांच और जांच के दुस्साहस में आधारभूत अंतर है। हजारों किलोमीटर दूर बैठा मैं जब आईसीआईसीआई मामले में संभावित लक्ष्यों की सूची पढ़ता हूं तो एक ही बात दिमाग में आती है कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय अंतहीन यात्रा का रास्ता क्यों चुना जा रहा है? यदि हम बैंकिंग उद्योग से हर किसी को बिना सबूत के जांच में शामिल करने लगेंगे तो हम इससे क्या हासिल करने वाले हैं या वास्तव में नुकसान उठा रहे हैं।'
Professional investigation targets the real accused on the basis of actual and admissible evidences. It rules out fanciful presumptions. There is no personal malice or corruption. It targets the guilty and protects the innocent.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 25, 2019