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एलएसी पर चीनी हेलिकॉप्टर, भारत ने तैनात की कंधे पर रखकर छोड़ी जाने वाली मिसाइलें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Sneha Baluni
Updated Wed, 26 Aug 2020 03:21 AM IST
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लद्दाख
- फोटो : iStock
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पूर्वी लद्दाख में तनातनी के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन की वायुसेना के युद्धक हेलिकॉप्टर मंडरा रहे हैं। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स (पीएलएएएफ) की इन नापाक हरकतों को देखते हुए भारत ने ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में हवाई रक्षा मिसाइलें तैनात कर दी हैं। खास बात यह है कि चीन की किसी भी उकसावे की कार्रवाई के जवाब में भारतीय सैनिक इन मिसाइलों को कंधे पर रखकर चला सकते हैं। इसके अलावा भारत ने चीन पर पैनी निगाह रखने के लिए बड़ी संख्या में सीमा पर रडार भी तैनात कर दिए हैं। साथ ही सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की भी तैनाती की गई है, ताकि हवाई सीमा क्षेत्र में दुश्मन की किसी भी आक्रामक गतिविधि को करारा जवाब दिया जा सके।
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सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों को रूसी मूल की इगला हवाई रक्षा प्रणाली से लैस किया गया है। इन्हें सीमा से सटे दुर्गम ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया गया है, ताकि दुश्मन के विमानों को भारतीय हवाई क्षेत्र में उल्लंघन करने के नापाक मंसूबों को विफल किया जा सके। रूसी मूल की इस हवाई रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल भारतीय सेना और वायुसेना उस वक्त करती हैं, जब दुश्मन के जंगी जहाज या हेलिकॉप्टर सीमा के पास आ जाते हैं या फिर इनकी तैनाती जंग के समय की जाती है।
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गलवां घाटी और पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर बढ़ाई तैनाती
भारत ने पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी और पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 जैसे इलाकों में अपनी तैनाती और मजबूत कर ली है। दरअसल, भारतीय सैनिकों ने जानकारी दी थी कि बीते दिनों चीनी हेलीकॉप्टरों ने इन अहम इलाकों में भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की थी। वायुसेना ने चीन की ऐसी ही हरकतों को देखते हुए मई के पहले सप्ताह में ही सुखोई-30 एमकेआई मिसाइलें तैनात कर दी थी।
चीन के लिंझी एयरबेस पर युद्धक हेलिकॉप्टरों का जमावड़ा
भारत शिनझियांग प्रांत और तिब्बत स्थित चीन के वायुसेना के अड्डों होतान, गार गुंसा, काशगर, हॉपिंग, डिकोनका डिजॉन्ग, लिंझी और पंगत पर करीब से निगाह रखे हुए हैं। हाल के दिनों में ये सभी वायुसेना के ठिकाने बेहद सक्रिय कर दिए गए हैं। इसके अलावा, इन अड्डों पर रनवे का विस्तार, मजबूत शिविरों का निर्माण और ज्यादा अभियानों के लिए वायुसैनिकों की तैनाती की जा रही है। लिंझी एयरबेस मुख्य तौर पर हेलिकॉप्टर बेस है और चीनी सेना अपने इलाकों की निगरानी के लिए इसी बेस पर निर्भर है।
जब इगला ने ढहा दी थी पाकिस्तानी दीवार
सियाचिन में चुलुंग ला ग्लेशियर के पास भारत की ‘बहादुर पोस्ट’ की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना ने 28 जुलाई-2 अगस्त, 1992 को ऑपरेशन त्रिशूल शक्ति लॉन्च किया था। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने बडे़ पैमाने पर इस पोस्ट पर हमला किया था। एक अगस्त, 1992 को पाकिस्तान के युद्धक हेलिकॉप्टरों को भारत की इगला मिसाइलों ने मार गिराया था। इस अभियान में तत्कालीन उत्तरी इलाकों के फोर्स कमांडर पाकिस्तानी सेना के ब्रिगेडियर मसूद नाविद अनवरी और अपने कई साथियों के साथ मारे गए थे।
रूसी मूल की वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग भारतीय सेना और वायुसेना दोनों द्वारा किया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब दुश्मन के लड़ाकू जेट या हेलिकॉप्टर तैनाती के करीब आ जाते हैं। भारत की ओर से दुश्मन की हवाई आवाजाही पर नजर रखने के लिए रडार और सतह से लेकर हवाई मिसाइल सिस्टम की तैनाती के जरिए निगरानी बढ़ा दी गई है।
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पूर्वी लद्दाख क्षेत्र की गलवां घाटी और पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 जैसे क्षेत्रों में भारतीय बलों ने कई चीनी हेलिकॉप्टरों के फ्लैशपॉइंट को भारतीय क्षेत्र में आने की कोशिश करते हुए देखा था। भारतीय वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीनी हेलीकाप्टरों द्वारा संभावित हवाई क्षेत्र के उल्लंघन को विफल करने के लिए मई के पहले हफ्ते के आसपास एसयू-30एमकेआई को तैनात किया था।
भारत झिंजियांग और तिब्बत क्षेत्र में स्थित चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) के होटन, गर गुनसा, काश्गर, होपिंग, डोंकाका डोंगॉन्ग, लिंझी और पंगत हवाई अड्डों पर कड़ी नजर रख रहा है। हाल के दिनों में ये सभी अत्यधिक सक्रिय हो गए हैं।