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अंतरिक्ष में एक और रिकॉर्डः पृथ्वी की तीन कक्षाओं के लिए एकसाथ भेजे 29 उपग्रह

न्यूज डेस्क, नई दिल्ली Published by: निखिल बंसल Updated Mon, 01 Apr 2019 06:41 PM IST
सार

  1. एमसैट पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखेगा।
  2. कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस के जरिए यह पता लगाएगा कि उस क्षेत्र में कितने कम्युनिकेशन डिवाइस सक्रिय हैं।
  3. सीमा पर तैनात सेंसर के जरिए दुश्मन के क्षेत्र की सटीक स्थलाकृति का पता लगाने में मदद करेगा।
  4. रात के अंधेरे मे भी तस्वीरें खींचने में सक्षम है।
  5. इसके जरिए दुश्मन के हथियारों और सैन्य पूंजी के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी।

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India launched EMISAT satellite from Sriharikota, know why it is necessary for us
पीएसएलवी एमिसेट मिशन, इसरो - फोटो : PTI
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विस्तार
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार, एक अप्रैल को सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर पीएसएलवी सी45 को लांच कर दिया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्वदेशी सर्विलांस सैटेलाइट एमसैट के साथ 28 विदेशी नैनो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा गया। पीएसएलवी-सी45 ने एमसैट को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है।

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28 विदेशी उपग्रहों को भी उनकी कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया जा चुका है। इनमें भारत का एमिसैट, 24 अमेरिका के, 2 लिथुआनिया के और एक-एक उपग्रह स्पेन और स्विट्जरलैंड के हैं। पहली बार इसरो का मिशन एकसाथ तीन कक्षाओं के लिए भेजा गया।
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लॉन्च किए गए भारतीय उपग्रह एमिसैट का इस्तेमाल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम को मापने के लिए किया जाएगा। इसके जरिए दुश्मन देशों के रडार सिस्टम पर नजर रखने के साथ ही उनकी लोकेशन का भी पता लगाया जा सकेगा। भेजे जा रहे उपग्रहों में एमिसैट का वजन 436 किलोग्राम और बाकी 28 उपग्रहों का कुल वजन 220 किलोग्राम है।

180 मिनट का अभियान

पहले 17 मिनट पूरे होने पर पीएसएलवी ने 749 किलोमीटर की ऊंचाई पर एमिसैट को स्थापित किया। इसके बाद चौथे चरण में लगे सोलर पावर इंजन को चलाकर करीब 504 किलोमीटर की ऊंचाई पर लाया गया और यहां 28 विदेशी सैटेलाइट्स स्थापित किए गए। चौथे चरण में ही रॉकेट को 485 किलोमीटर ऊंचाई पर लाकर तीन प्रायोगिक पेलोड की मदद से चंद्रयान-2 अभियान से जुड़े कुछ खास प्रयोग किए जाने हैं।

सैटेलाइट के सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद इसरो अध्यक्ष के सिवान ने कहा, 'पीएसएलवी-सी45 अब ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म में अपना काम शुरू करने के लिए 485 किलोमीटर की तरफ बढ़ रही है। इस मिशन को सफल बनाने के लिए मैं अपनी टीम के सदस्यों का धन्यवाद करता हूं।' नासा की तरह आम आदमी को रॉकेट लांचिंग दिखाने के लिए करीब 5 हजार दर्शक क्षमता वाली स्टेडियम जैसी गैलरी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तैयार कराई गई थी। 


पहली बार इसरो ने एक साथ तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट को स्थापित करने का इतिहास रचा है। इस पूरे अभियान को 180 मिनट में पूरा किया गया। एमसैट सैटेलाइट कई मायनों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है। यह दुश्मन देश जैसे कि पाकिस्तान पर बाज की नजर बनाकर रखेगा। आज हम आपको इसकी खासियतों के बारे में बताते हैं।
  1. एमसैट पाकिस्तान की सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक या किसी तरह की मानवीय गतिविधि पर नजर रखेगा। यानी बॉर्डर पर यह सैटेलाइट रडार और सेंसर पर पैनी नजर बनाए रखेगा।
  2. कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस के जरिए यह पता लगाएगा कि उस क्षेत्र में कितने कम्युनिकेशन डिवाइस सक्रिय हैं।
  3. सीमा पर तैनात सेंसर के जरिए दुश्मन के क्षेत्र की सटीक स्थलाकृति का पता लगाने में मदद करेगा।
  4. रात के अंधेरे मे भी तस्वीरें खींचने में सक्षम है।
  5. इसके जरिए दुश्मन के हथियारों और सैन्य पूंजी के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी।
  6. एमसैट समुद्री उपग्रह प्रयोगों के लिए इसरो की स्वचालित पहचान प्रणाली है जो जहाजों से प्रेषित संदेशों को कैप्चर करते हैं।
  7. एमसैट (रेडियो एमेच्योर सैटेलाइट कॉर्पोरेशन), भारत से ऑटोमैटिक पैकेट रिपीटिंग सिस्टम, पोजीशन डाटा की निगरानी और शौकिया रेडियो ऑपरेटरों की सहायता करेगा।
  8. यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम की जांच करेगा।
  9. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा स्वदेश में निर्मित 436 किलोग्राम वजन वाली इस सैटेलाइट से भारतीय सर्विलांस मजबूत बनेगा।
  10. पृथ्वी की 749 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित होने के कारण यह रडार नेटवर्क की निगरानी करेगा।
 

रूस का रिकॉर्ड तोड़ा

इस बार इसरो ने पृथ्वी की तीन अलग-अलग कक्षाओं में एक ही रॉकेट के जरिए उपग्रहों को लांच करके इतिहास रचा है। इससे पहले 15 फरवरी 2017 को इसरो ने एक साथ सात देशों के 104 उपग्रहों को लांच करके भी विश्व रिकॉर्ड बनाया था। जून 2014 में रूस में एकसाथ 37 उपग्रहों को एकसाथ लांच करके रिकॉर्ड बनाया था, जिसे भारत तोड़ चुका है।

दो साल पहले इसरो ने रचा था इतिहास

15 फरवरी 2017 को इसरो ने एक साथ सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स लॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। 30 मिनट में एक रॉकेट के जरिए 7 देशों के 104 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च किए थे। इससे पहले यह रिकॉर्ड रूस के नाम था। उसने 2014 में एक बार में 37 सैटेलाइट्स लॉन्च किए थे।

साल 2015 तक हमने अतंरिक्ष में 51 विदेशी सैटेलाइट्स को लांच किया है। जिनकी सूची इस प्रकार है:

कई मायनों में खास है लांच

इसरो द्वारा सोमवार को लांच किए गए उपग्रह कई मायनों में खास है। पहली बार इसने पृथ्वी की तीन अलग-अलग कक्षाओं में एक ही रॉकेट से उपग्रह स्थापित किए हैं। मुख्य सैटेलाइट एमसैट के साथ 28 विदेशी सैटेलाइट्स को पृथ्वी की दो अलग-अलग कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इसके लिए पहली बार पीएसएलवी रॉकेट के नए संस्करण पीएसएलवी-क्यूएल का इस्तेमाल किया गया जिसमें चार स्ट्रैप-ऑन मोटर्स लगी हुई थीं।

उद्योगों ने निभाई अहम भूमिका

इसरो अध्यक्ष के सिवान ने कहा कि सैटेलाइट लांचिंग में उद्योगों ने काफी अहम भूमिका निभाई है। अभियान में लगभग 95 प्रतिशत हार्डवेयर इसरो के बाहर का इस्तेमाल हुआ है। वहीं सैटेलाइट के 60-70 प्रतिशत पुर्जे इसरो के बाहर से लिए गए हैं।
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