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SCO: भारत ने 'वन बेल्ट वन रोड' का किया विरोध; आतंकवाद से मुकाबले के लिए मजबूत साझेदारी करेंगे चीन-रूस
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Wed, 16 Oct 2024 04:48 PM IST
सार
SCO: भारत ने बुधवार को एक बार फिर चीन की महत्वाकांक्षी 'वन बेल्ट वन रोड' पहल का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का एकमात्र देश बन गया है, जिसने इस विवादास्पद परियोजना का समर्थन नहीं किया है।
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भारत ने SCO सम्मेलन में चीन के वन बेल्ट वन रोड का किया विरोध
- फोटो : X / @DrSJaishankar
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विस्तार
भारत ने बुधवार को एक बार फिर चीन की महत्वाकांक्षी 'वन बेल्ट वन रोड' पहल का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का एकमात्र देश बन गया है, जिसने इस विवादास्पद परियोजना का समर्थन नहीं किया है। इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ के शासनाध्यक्ष परिषद के सम्मेलन के अंत में जारी एक साझा विज्ञप्ति में कहा गया कि रूस, बेलारूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीनी कनेक्टिविटी पहल के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।
OBOR को समर्थन देने से इनकार कर रहा भारत
वहीं इस विज्ञप्ति में कहा गया कि देशों ने परियोजना के कार्यान्वयन पर चल रहे काम पर ध्यान दिया, जिसमें यूरेशियन आर्थिक संघ को वन रोड वन इनिशिएटिव (ओबीओआर) से जोड़ने के प्रयास शामिल हैं। भारत पिछले एससीओ सम्मेलनों में भी ओबीओआर का समर्थन करने से इनकार करता रहा है। भारत ओबीओआर की कड़ी आलोचना करता रहा है, जिसे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के नाम से जाना जाता था, क्योंकि इस परियोजना में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।
कर्ज एक गंभीर चिंता का विषय है- जयशंकर
बता दें कि ओबीओआर के खिलाफ वैश्विक आलोचना बढ़ रही है क्योंकि कई देश इस पहल से संबंधित परियोजनाओं को लागू करते समय कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। एससीओ सम्मेलन में अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, कर्ज एक गंभीर चिंता का विषय है लेकिन उन्होंने इस पर और विस्तार से बात नहीं की। उन्होंने कहा, सहयोगी संपर्क नई दक्षताएं पैदा कर सकता है।
'ग्रेटर यूरेशियन पार्टनरशिप' बनाने का प्रस्ताव
संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों ने एससीओ, यूरेशियन आर्थिक संघ, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ के साथ-साथ अन्य इच्छुक राज्यों और बहुपक्षीय संघों की भागीदारी के साथ 'ग्रेटर यूरेशियन पार्टनरशिप' बनाने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया। इसमें कहा गया है, प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने एससीओ क्षेत्र में स्थिर आर्थिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने की अपनी इच्छा की पुष्टि करते हुए 2030 तक की अवधि के लिए एससीओ आर्थिक विकास रणनीति और एससीओ सदस्य देशों के बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग के कार्यक्रम को लागू करने के महत्व पर ध्यान दिया।
आतंकवाद से मुकाबले के लिए साझेदारी करेंगे चीन-रूस
इधर चीन और रूस ने बुधवार को क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक एकीकरण के महत्व पर जोर दिया तथा आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एससीओ ढांचे के भीतर मजबूत साझेदारी का आह्वान किया। बता दें कि इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग और रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन दोनों ने बेहतर कनेक्टिविटी के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
कई क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते तलाशने की अपील
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में आयोजित एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की 23वीं बैठक में दोनों नेताओं ने सदस्य देशों से प्रौद्योगिकी, डिजिटल व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते तलाशने का भी आग्रह किया। रूसी प्रधानमंत्री मिशुस्तीन ने कहा कि उनका देश एससीओ ढांचे के भीतर संबंधों को मजबूत करने और सहयोग और नवाचार के माध्यम से क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
2025 में रूस में होगी SCO की अगली बैठक
प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान की रणनीतिक स्थिति और व्यापार के लिए पारगमन केंद्र के रूप में इसकी क्षमता को स्वीकार किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन अवसरों को साकार करने के लिए एक स्थिर अफगानिस्तान महत्वपूर्ण है और इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का आह्वान किया। विशेष रूप से आर्थिक संबंधों को बढ़ाने में अधिक सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसरों के विकास की वकालत की और जोर देकर कहा कि सहयोगी पहल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकती है। एससीओ शासनाध्यक्षों की परिषद की अगली बैठक 2025 में रूस में होगी।
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वहीं इस विज्ञप्ति में कहा गया कि देशों ने परियोजना के कार्यान्वयन पर चल रहे काम पर ध्यान दिया, जिसमें यूरेशियन आर्थिक संघ को वन रोड वन इनिशिएटिव (ओबीओआर) से जोड़ने के प्रयास शामिल हैं। भारत पिछले एससीओ सम्मेलनों में भी ओबीओआर का समर्थन करने से इनकार करता रहा है। भारत ओबीओआर की कड़ी आलोचना करता रहा है, जिसे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के नाम से जाना जाता था, क्योंकि इस परियोजना में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।
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कर्ज एक गंभीर चिंता का विषय है- जयशंकर
बता दें कि ओबीओआर के खिलाफ वैश्विक आलोचना बढ़ रही है क्योंकि कई देश इस पहल से संबंधित परियोजनाओं को लागू करते समय कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। एससीओ सम्मेलन में अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, कर्ज एक गंभीर चिंता का विषय है लेकिन उन्होंने इस पर और विस्तार से बात नहीं की। उन्होंने कहा, सहयोगी संपर्क नई दक्षताएं पैदा कर सकता है।
'ग्रेटर यूरेशियन पार्टनरशिप' बनाने का प्रस्ताव
संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों ने एससीओ, यूरेशियन आर्थिक संघ, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ के साथ-साथ अन्य इच्छुक राज्यों और बहुपक्षीय संघों की भागीदारी के साथ 'ग्रेटर यूरेशियन पार्टनरशिप' बनाने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया। इसमें कहा गया है, प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने एससीओ क्षेत्र में स्थिर आर्थिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने की अपनी इच्छा की पुष्टि करते हुए 2030 तक की अवधि के लिए एससीओ आर्थिक विकास रणनीति और एससीओ सदस्य देशों के बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग के कार्यक्रम को लागू करने के महत्व पर ध्यान दिया।
आतंकवाद से मुकाबले के लिए साझेदारी करेंगे चीन-रूस
इधर चीन और रूस ने बुधवार को क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक एकीकरण के महत्व पर जोर दिया तथा आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एससीओ ढांचे के भीतर मजबूत साझेदारी का आह्वान किया। बता दें कि इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग और रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन दोनों ने बेहतर कनेक्टिविटी के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
कई क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते तलाशने की अपील
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में आयोजित एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की 23वीं बैठक में दोनों नेताओं ने सदस्य देशों से प्रौद्योगिकी, डिजिटल व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते तलाशने का भी आग्रह किया। रूसी प्रधानमंत्री मिशुस्तीन ने कहा कि उनका देश एससीओ ढांचे के भीतर संबंधों को मजबूत करने और सहयोग और नवाचार के माध्यम से क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
2025 में रूस में होगी SCO की अगली बैठक
प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान की रणनीतिक स्थिति और व्यापार के लिए पारगमन केंद्र के रूप में इसकी क्षमता को स्वीकार किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन अवसरों को साकार करने के लिए एक स्थिर अफगानिस्तान महत्वपूर्ण है और इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का आह्वान किया। विशेष रूप से आर्थिक संबंधों को बढ़ाने में अधिक सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसरों के विकास की वकालत की और जोर देकर कहा कि सहयोगी पहल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकती है। एससीओ शासनाध्यक्षों की परिषद की अगली बैठक 2025 में रूस में होगी।
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