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UNESCO: 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल, CM फडणवीस बोले- यह गौरवशाली क्षण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Fri, 11 Jul 2025 04:21 PM IST
सार

भारत के 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। मराठा साम्राज्य की सैन्य विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में यह कदम बेहद अहम है।

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India's Maratha Military Landscapes, 31 other nominations to be examined by UNESCO's WHC
भारत का 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत के 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। इस प्रस्ताव का मूल्यांकन 6 से 16 जुलाई के बीच पेरिस में चल रहे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र में किया गया। इस सत्र में दुनिया भर से कुल 32 नए स्थलों के नामांकन पर चर्चा की गई, जिनमें भारत का यह ऐतिहासिक सैन्य तंत्र भी शामिल है। भारत की ओर से यह नामांकन 2024-25 चक्र के लिए प्रस्तुत किया गया।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि मराठा शासकों की किलेबंदी व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करना राज्य के लिए 'गौरवशाली क्षण' है। फडणवीस ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमारे महानतम राजा, छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।' उन्होंने आगे कहा कि शिवाजी महाराज ने इन किलों का निर्माण 'स्वराज्य' के लिए किया था।
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सीएम फडणवीस ने पीएम मोदी का जताया आभार
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हें यूनेस्को की सूची में शामिल कराने के प्रयासों में कई लोगों ने योगदान दिया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि उनका योगदान और केंद्र सरकार की सक्रिय भागीदारी अत्यंत मूल्यवान रही। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और संस्कृति मंत्रालय ने इसमें बहुत मदद की। सीएम ने आगे कहा, 'मैंने व्यक्तिगत रूप से विभिन्न राजदूतों से संपर्क किया। मेरे सहयोगी, डीसीएम एकनाथ शिंदे, डीसीएम अजित पवार ने भी समय-समय पर मेरा सहयोग किया। मंत्री आशीष शेलार ने व्यक्तिगत रूप से जाकर यूनेस्को के महानिदेशक से मुलाकात की। उन्होंने वहां एक तकनीकी प्रस्तुति दी।'

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क्या है 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स'?
'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' में 12 किले और किलेबंद क्षेत्र शामिल हैं जो 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित किए गए थे। यह किले मराठा साम्राज्य की सैन्य शक्ति, रणनीति और निर्माण कला का अद्भुत उदाहरण माने जाते हैं। ये किले न केवल सुरक्षा के लिए बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण थे।

महाराष्ट्र और तमिलनाडु के ये किले शामिल
इन 12 स्थानों में महाराष्ट्र का साल्हेर किला, शिवनेरी किला, लोहगढ़, खांदेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु का जिन्जी किला शामिल है। इन किलों को देश के कई भौगोलिक और प्राकृतिक क्षेत्रों में इस तरह से बनाया गया था कि वे मराठा शासन की सैन्य ताकत को दर्शाते हैं। इनमें पहाड़ी क्षेत्रों, समुद्र के किनारे और अंदरूनी मैदानों पर बने किलों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

कैसे चली मूल्यांकन प्रक्रिया?
विश्व धरोहर समिति की बैठक में 11 से 13 जुलाई के बीच 32 स्थलों की समीक्षा की गई। भारत के इस नामांकन के साथ-साथ कैमरून का डीआईवाई-जीआईडी-बीआईवाई (Diy-Gid-Biy) सांस्कृतिक क्षेत्र, मलावी का माउंट मुलंजे सांस्कृतिक परिदृश्य, और यूएई का फाया पैलियोलैंडस्केप जैसे स्थलों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा दो पहले से ही यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सीमाओं में संभावित बदलाव के प्रस्तावों पर भी विचार किया गया।

एक देश से एक नामांकन नियम
यूनेस्को के 'ऑपरेशनल गाइडलाइंस 2023' के अनुसार, हर देश एक बार में केवल एक ही नामांकन जमा कर सकता है। भारत ने इस चक्र के लिए 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स" को चुना।

क्यों महत्वपूर्ण है नामांकन?
अगर इस नामांकन को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में स्थान मिलता है, तो यह भारत के लिए गर्व का विषय होगा। इससे इन ऐतिहासिक स्थलों की वैश्विक मान्यता बढ़ेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और इनके संरक्षण के प्रयासों को और गति मिलेगी।

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यूनेस्को धरोहर सूची में शामिल होने से किलों के संरक्षण में मिलेगी मदद: पर्वतारोही
पर्वतारोहियों और किला प्रेमियों के संगठन, अखिल महाराष्ट्र गिर्यारोहण महासंघ (एएमजीएम) ने 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स' का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 किलों को धरोहर सूची में शामिल करने के यूनेस्को के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने से इन किलों के संरक्षण के प्रयासों में मदद मिलेगी, जिन्होंने उनकी गुरिल्ला युद्ध रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

12 किलों को यूनेस्को की मान्यता मिलना गर्व की बात: अजित पवार
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करना राज्य के लिए अत्यंत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व और गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि ये किले, जिनमें तमिलनाडु का गिंजी किला भी शामिल है, छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा योद्धाओं के पराक्रम, बलिदान और दूरदर्शिता के साक्षी हैं। अब उनकी विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान और सम्मान मिलेगा। उन्होंने सफल नामांकन में सक्रिय सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया और महाराष्ट्र की जनता को बधाई दी।

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