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Emigration Act: 'भारत वैश्विक नौकरी बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए उठा रहा कदम', विदेश मंत्री का बयान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Tue, 06 May 2025 11:19 PM IST
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सार
भारत 1983 के प्रवासन कानून में बदलाव करने पर विचार कर रहा है। ये जानकारी विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान दी है। उन्होंने कहा- अब जरूरी है कि भारत अपने नागरिकों की कानूनी तरीके से विदेश जाने की सुविधा बढ़ाए और गैर-कानूनी तरीकों को पूरी तरह से रोके।

डॉ. एस. जयशंकर, विदेश मंत्री
- फोटो : ANI

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विस्तार
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत दुनिया भर में रोजगार के नए अवसरों को ध्यान में रखते हुए 1983 के प्रवासन कानून में बदलाव करने पर विचार कर रहा है। यह कदम वैध तरीके से विदेशों में रोजगार बढ़ाने और अवैध प्रवास को रोकने के लिए उठाया जा रहा है। जयशंकर 'ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया (जीएटीआई) फाउंडेशन' के शुभारंभ कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के दौर में जरूरी है कि भारत अपने नागरिकों की कानूनी तरीके से विदेश जाने की सुविधा बढ़ाए और गैर-कानूनी तरीकों को पूरी तरह से रोके।
यह भी पढ़ें - India-UK FTA: 'भारत और ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते को दिया अंतिम रूप', पीएम मोदी ने की घोषणा
उन्होंने कहा, 'हमें वैश्विक कार्यस्थल की मांगों के अनुसार खुद को ढालना होगा ताकि हमारे नागरिकों को ज्यादा फायदा मिल सके। साथ ही अवैध प्रवासन पर रोक लगाना देश की सुरक्षा और समाज के हित में भी है।'
'दुनिया के हर कोने में जा रहे हैं भारतीय पेशेवर'
विदेश मंत्री ने बताया कि मौजूदा प्रवासन कानून उस समय के हिसाब से बनाया गया था जब भारतीयों का विदेश जाना मुख्य रूप से खाड़ी देशों तक सीमित था। लेकिन अब समय बदल चुका है और भारतीय पेशेवर दुनिया के हर कोने में जा रहे हैं। इसलिए जरूरत है कि कानूनों को भी बदला जाए ताकि नए अवसरों का लाभ उठाया जा सके और कमजोर वर्गों की भी सुरक्षा हो।
जयशंकर ने बताया कि सरकार ने विदेशों में बसे भारतीयों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे आपात स्थिति में निकासी, विदेश में फंसे नागरिकों को पासपोर्ट बनवाना, वेतन दिलवाना और विदेशी नियोक्ताओं की तरफ से शोषण से बचाना। इसके अलावा शिकायत निवारण पोर्टल और संकट में पड़े भारतीयों के लिए फंड भी बनाया गया है।
'विदेश में रहते हैं 3.4 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग'
आज करीब 3.4 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं, जिनमें से लगभग आधे भारत के नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों में भारतीयों की बड़ी संख्या है, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे विकसित देशों में भी भारतीय कामगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जयशंकर ने बताया कि भारत ने अब तक 22 देशों के साथ प्रवासन और कौशल साझेदारी समझौते किए हैं, जिससे भारतीय पेशेवरों के लिए वैध और सुरक्षित रास्ते खुले हैं।
यह भी पढ़ें - India-UK FTA: सस्ती होंगी व्हिस्की से लेकर कारें, पेशेवरों में उत्साह...एफटीए से भारत को क्या फायदा?
उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र, विमानन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भारतीय प्रतिभा की मांग पहले से ही ज्यादा है और आने वाले समय में तकनीक आधारित दुनिया में भारतीय कौशल की ब्रांडिंग और भी मजबूत होगी। जयशंकर ने यह भी कहा कि विदेशी निवेश, तकनीकी सहयोग और व्यापार भारत के निर्माण, कृषि और डिजिटल क्षेत्रों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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उन्होंने कहा, 'हमें वैश्विक कार्यस्थल की मांगों के अनुसार खुद को ढालना होगा ताकि हमारे नागरिकों को ज्यादा फायदा मिल सके। साथ ही अवैध प्रवासन पर रोक लगाना देश की सुरक्षा और समाज के हित में भी है।'
'दुनिया के हर कोने में जा रहे हैं भारतीय पेशेवर'
विदेश मंत्री ने बताया कि मौजूदा प्रवासन कानून उस समय के हिसाब से बनाया गया था जब भारतीयों का विदेश जाना मुख्य रूप से खाड़ी देशों तक सीमित था। लेकिन अब समय बदल चुका है और भारतीय पेशेवर दुनिया के हर कोने में जा रहे हैं। इसलिए जरूरत है कि कानूनों को भी बदला जाए ताकि नए अवसरों का लाभ उठाया जा सके और कमजोर वर्गों की भी सुरक्षा हो।
जयशंकर ने बताया कि सरकार ने विदेशों में बसे भारतीयों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे आपात स्थिति में निकासी, विदेश में फंसे नागरिकों को पासपोर्ट बनवाना, वेतन दिलवाना और विदेशी नियोक्ताओं की तरफ से शोषण से बचाना। इसके अलावा शिकायत निवारण पोर्टल और संकट में पड़े भारतीयों के लिए फंड भी बनाया गया है।
'विदेश में रहते हैं 3.4 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग'
आज करीब 3.4 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं, जिनमें से लगभग आधे भारत के नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों में भारतीयों की बड़ी संख्या है, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे विकसित देशों में भी भारतीय कामगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जयशंकर ने बताया कि भारत ने अब तक 22 देशों के साथ प्रवासन और कौशल साझेदारी समझौते किए हैं, जिससे भारतीय पेशेवरों के लिए वैध और सुरक्षित रास्ते खुले हैं।
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उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र, विमानन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भारतीय प्रतिभा की मांग पहले से ही ज्यादा है और आने वाले समय में तकनीक आधारित दुनिया में भारतीय कौशल की ब्रांडिंग और भी मजबूत होगी। जयशंकर ने यह भी कहा कि विदेशी निवेश, तकनीकी सहयोग और व्यापार भारत के निर्माण, कृषि और डिजिटल क्षेत्रों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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