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MEA: बंगाल-केरल सरकार के बयानों से लेकर कनाडा और अमेरिका तक, जानें विदेश मंत्रालय ने किन मुद्दों पर क्या कहा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: मिथिलेश नौटियाल
Updated Thu, 25 Jul 2024 05:20 PM IST
सार
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अमेरिका, कनाडा और बांग्लादेश समेत देश में उठे हालिया मुद्दों पर अपनी बात रखी है। उन्होंने अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू की भारत के संबंध में की गई टिप्पणी का भी जवाब दिया है।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश से लेकर पश्चिम बंगाल और केरल से उठे हालिया मुद्दों पर अपना बयान दिया है। हाल ही में कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ऑनलाइन धमकी देने के मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी की गई है। इसे लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी है।
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‘हमें उम्मीद है कि कनाडा में भारत विरोध तत्वों पर कार्रवाई होगी’
रणधीर जायसवाल ने आगे कहा, ‘जब कोई लोकतांत्रिक देश कानून के शासन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मापने के लिए अलग-अलग पैमाने अपनाता है, तो इससे उस देश के दोहरे मापदंड उजागर होते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा में भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कनाडा में भारत विरोधी तत्वों ने बार-बार भारतीय नेताओं, संस्थानों, एयरलाइंस और राजनयिकों को हिंसा से धमकाने की कोशिश की है। हम चाहते हैं कि हमें मिलने वाली धमकियों पर भी उसी स्तर की कड़ी कार्रवाई हो।’
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‘हम कनाडा में हिंदू मंदिर की तोड़फोड़ का विरोध करते हैं’
हाल ही में कनाडा के एडमोंटन शहर में एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया था। शहर में स्थित स्वामिनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। इसे लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस मामले को कनाडा के अधिकारियों के सामने पुरजोर तरीके से उठाया गया है। रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘इस बारे में दिल्ली स्थित कनाडाई दूतावास और ओटावा स्थित भारतीय दूतावास से बात की गई है। हम मंदिर में तोड़फोड़ का सख्त विरोध करते हैं। हम उम्मीद करते हैं ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ स्थानीय अधिकारियों द्वारा सख्त कदम उठाए जाएंगे। कनाडा में लगातार मंदिरों को तोड़े जाने के मामले सामने आ रहे हैं। उपद्रवियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न होने से उनके हौसले बढ़ रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।
अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू को भारत का जवाब
हाल ही में पीएम मोदी ने रूस का दौरा किया था। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अधिकारी डोनाल्ड लू ने पीएम मोदी के रूस दौरे के समय निर्धारण पर सवाल उठाए थे। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘भारत का रूस के बीच एक दीर्घकालिक संबंध है। यह संबंध दोनों पक्षों के आपसी हितों पर आधारित है। दुनिया में सभी देशों को अपना हित चुनने की आजादी है। इसलिए, सभी देशों को वास्तविकताओं के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।’
‘बांग्लादेश से 6,700 भारतीय छात्रों की स्वदेश वापसी’
पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंसा पर भी भारत की नजर बनी हुई है। हिंसा के बीच अब तक 6,700 भारतीय छात्रों की बांग्लादेश से स्वदेश वापसी हो चुकी है। बांग्लादेश में जारी हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘अब तक बांग्लादेश से 6.700 भारतीय छात्रों की स्वदेश वापसी हो चुकी है। बांग्लादेश का पड़ोसी और दोस्त होने के नाते भारत उम्मीद करता है कि स्थितियां जल्द ही सामान्य होंगीं।’
ममता बनर्जी की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बांग्लादेशी लोगों को आश्रय देने वाले बयान को लेकर बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। बांग्लादेश की तरफ से भारत सरकार को एक पत्र भी भेजा गया है। इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमें बांग्लादेश की ओर से एक राजनयिक पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा की गई टिप्पणियों का विरोध किया गया है। मैं संविधान की सातंवी अनुसूची की सूची ‘अ’ के दसवें बिंदु पर प्रकाश डालते हुए कहूंगा कि विदेशी मामलों के संचालन पर सिर्फ केंद्र सरकार का अधिकार है।’
केरल सरकार के फैसले पर विदेश मंत्रालय का बयान
हाल ही में केरल की वाममोर्चा सरकार ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए विदेश सहयोग सचिव नियुक्त किया है। के वासुकी नाम की महिला आईएएस अधिकारी को यह पद सौंपा गया तो देशभर में चर्चा शुरू हो गई। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत के संविधान के अनुसार सभी तरह के विदेश मामले केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं। रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘यह किसी राज्य का मुद्दे नहीं है। हम कहना चाहते हैं कि राज्य सरकारों को उन मुद्दों पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जो उनके संवैधानिक क्षेत्राधिकार से बाहर हों।’