सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Parliament Controversy: Why Opposition Boycott New Parliament Building All Controversies Full Explained

नए संसद भवन से जुड़े विवाद की Inside Story: विरोध के क्या हैं सियासी मायने, सरकार के समर्थन में कौन? जानें

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Fri, 26 May 2023 05:49 PM IST
सार
New Parliament House Controversy : आइए जानते हैं इस पूरे विवाद की पूरी कहानी क्या है? विपक्षी दल क्यों इसका बहिष्कार कर रहे हैं? अब तक किन-किन दलों ने इस समारोह में शामिल न होने का फैसला लिया है? सरकार के समर्थन में कौन-कौन है?  
 
विज्ञापन
loader
Parliament Controversy: Why Opposition Boycott New Parliament Building All Controversies Full Explained
नया संसद भवन (फाइल फोटो) - फोटो : PTI

विस्तार
Follow Us

देश की नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। इसको लेकर सियासी पारा हाई है। कांग्रेस समेत विपक्ष के 21 दलों ने इस उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान किया है। वहीं, 25 दलों ने उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनने की हामी भरी है। 


आइए जानते हैं इस पूरे विवाद की पूरी कहानी क्या है? विपक्षी दल क्यों इसका बहिष्कार कर रहे हैं? अब तक किन-किन दलों ने इस समारोह में शामिल न होने का फैसला लिया है? सरकार के समर्थन में कौन-कौन है?  

 

दो मुद्दे जिनपर विपक्ष का विरोध हो रहा है 

1. उद्घाटन पीएम मोदी क्यों कर रहे? :  विरोध करने वाले विपक्षी दलों का कहना है कि नई संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री की बजाय राष्ट्रपति को करना चाहिए। इनकी ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार संविधान और संवैधानिक पद का अपमान कर रही है।  



 

2. सेंगोल की स्थापना पर भी विवाद : केंद्र सरकार ने नए संसद भवन के उद्घाटन के समय लोकसभा अध्यक्ष की सीट के बगल में सेंगोल को स्थापित करने का फैसला लिया है। ये खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थापित करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को खुद इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है।

कांग्रेस ने इसे सेंगोल का अपमान बताया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर दावा किया था कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित नेहरू ने सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक कहा था। जयराम रमेश ने कहा कि मद्रास प्रांत के एक धार्मिक प्रतिष्ठान ने अगस्त 1947 को पंडित नेहरू को यह राजदंड सौंपा था लेकिन इसे सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित नहीं किया गया था।

 कांग्रेस ने ये भी कहा कि सेंगोल मामले को उठाकर भाजपा तमिलनाडु में राजनीतिक फायदा लेना चाहती है। वहीं, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ऐसा बोलकर तमिल और भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का अपमान कर रही है। 
 

विरोध के सियासी मायने क्या हैं? 
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक संजय मिश्र से बात की। उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हो रहा है, जब संसद भवन या इससे जुड़े किसी इमारत का शुभारंभ प्रधानमंत्री कर रहे हैं। इसके पहले भी कई उदाहरण है, जब कांग्रेस शासन में ऐसा हो चुका है। इसके अलावा राज्यों में भी कई संवैधानिक इमारतों का शुभारंभ राज्य की सरकार ने खुद से किया। यहां तक कि सूबे के राज्यपाल को भी नहीं बुलाया गया। विरोध करने वाले दल दिखाना चाहते हैं कि मौजूदा सरकार राष्ट्रपति का सम्मान नहीं कर रही है।’    
 

कौन से दल समारोह में हिस्सा लेंगे?
भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के राजनीतिक दल शिवसेना (शिंदे), मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा जन-नायक पार्टी, अन्नाद्रमुक, आईएमकेएमके, आजसू, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई), मिजो नेशनल फ्रंट, तमिल मनीला कांग्रेस, आईटीएफटी (त्रिपुरा), बोडो पीपुल्स पार्टी, पट्टाली मक्कल कच्ची, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, अपना दल और असम गण परिषद 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले गैर-एनडीए दलों में लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान), बीजू जनता दल (बीजद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा), युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), अकाली दल और जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) शामिल हैं।
 

किन हस्तियों को उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किया गया है?
सूत्रों ने एएनआई को बताया कि दोनों सदनों के मौजूदा सदस्यों के अलावा लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सभापति को भी न्यौता भेजा गया है। उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया ग भाया है।रत सरकार के सभी मंत्रालयों के सचिवों को भी निमंत्रण भेजा है। नए संसद भवन के मुख्य वास्तुकार बिमल पटेल और प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा को भी आमंत्रित किया गया है। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर बधाई संदेश जारी कर सकते हैं। फिल्मी सितारों, खिलाड़ियों सहित कुछ प्रमुख हस्तियों को भी निमंत्रण भेजा गया है।
 

ऐसा होगा उद्घाटन समारोह का कार्यक्रम
सूत्रों के मुताबिक, 28 मई को सुबह में एक विस्तृत समारोह होगा, जिसमें वैदिक रीति से की जाने वाली पूजाएं सुबह 7:30 बजे से शुरू हो जाएंगी। पूजा-पाठ लगभग 9 बजे तक चलेगा। इसके बाद उद्घाटन समारोह दोपहर में शुरू होने की उम्मीद है। इस दौरान पीएम मोदी के अलावा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति समेत सरकार के मंत्री मौजूद रहेंगे। 

सूत्रों की मानें तो देशभर से विशेष पुजारी आएंगे और पूजा करेंगे। सुबह 11:30 बजे संसद सदस्यों, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा सभापति और अन्य विशिष्ट अतिथियों सहित सभी अतिथियों को नए भवन के लोकसभा कक्ष में बैठाया जा सकता है। 

समारोह दोपहर 12 बजे शुरू होने की उम्मीद है। यह दोपहर 1:30 बजे तक चलेगा। समारोह के दौरान नए संसद भवन के सेंट्रल हॉल में सेंगोल स्थापित किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समापन के दौरान संबोधन में दे सकते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
Trending Videos

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

Next Article

Election

Followed