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ISRO: चंद्रमा पर उल्का पिंड और गर्मी की वजह से आ रहे भूकंप, चंद्रयान-3 के साथ गए आईएलएसए से मिली बड़ी जानकारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Fri, 06 Sep 2024 06:48 PM IST
सार

चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। आईएलएसए को चंद्रयान -3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा चंद्रमा पर ले जाया गया था।

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ISRO says Moon's seismic activity likely linked to past meteorite impacts or heat effects
चंद्रयान-3 के आईएलएसए ने दी जानकारी - फोटो : Istock
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विस्तार
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चंद्रमा पर लगातार आ रहे भूकंप की बड़ी वजह सामने आई है। इसरो ने चंद्रयान 3 के साथ भेजे गए भूकंप का पता लगाने वाले उपकरण आईएलएसए के डाटा के विश्लेषण के बाद माना है कि उल्का पिंड और गर्मी के चलते चंद्रमा पर भूकंप आ रहे हैं। साथ ही चंद्रमा पर लगातार तापमान में भी बदलाव दर्ज किया गया है। इकारस पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी (आईएलएसए) द्वारा दर्ज किए गए 190 घंटे के डाटा के बाद यह जानकारी सामने आई है। 

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चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। आईएलएसए को चंद्रयान -3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा चंद्रमा पर ले जाया गया था। शोध पत्र में भारतीय अंतरिक्ष के शोधकर्ताओं ने कहा कि चंद्रमा पर भूकंप का पता लगाने वाले आईएलएसए को दो सितंबर 2023 तक संचालित किया गया था। इसरो ने बताया कि लैंडर विक्रम के शुरुआती बिंदु से लगभग 50 सेमी दूर एक बिंदु पर जाने से पहले इसे बंद कर दिया गया था। 
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शोधकर्ताओं ने बताया कि आईएलएसए ने चंद्रमा की सतह पर लगभग 218 घंटों तक काम किया। इसमें 190 घंटों का डाटा उनको मिला है। इस डाटा में 250 से अधिक विशिष्ट संकेतों की पहचान की गई। इसमें लगभग 200 संकेत रोवर की भौतिक गतिविधियों या विज्ञान उपकरणों के बारे में थे। जबकि 50 सिग्नल को लैंडर और रोवर की गतिविधि से जोड़ा नहीं जा सका। इन्हें असंबद्ध संकेत माना गया। 

शोधपत्र में लिखा गया है कि आईएलएसए ने जिन असंबद्ध संकेतों को रिकॉर्ड किया है, वह उससे कुछ दूरी पर उल्का पिंड के प्रभाव, चंद्रमा की मिट्टी के स्थानीय तापीय प्रभाव और विक्रम लैंडर के सब सिस्टम के तापीय प्रभाव के कारण हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑपरेशन के दौरान आईएलएसए ने तापमान में व्यापक बदलाव भी दर्ज किया। आईएलएसए ने माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से 60 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दर्ज किया। बताया गया कि चंद्र दिवस के दौरान जब सूर्य का कोण लगातार बदल रहा था तो आईएलएस को संचालित किया गया। लेखकों ने कहा कि ऑपरेशन के शुरुआती पांच घंटों के बाद तापमान कम होना शुरू हो गया। 

शोध पत्र में लिखा गया है कि आईएलएसए के डाटा के संभावित स्रोतों को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भले ही असंबंधित घटनाओं के कारण संकेतों के संभावित हों, लेकिन रिकॉर्ड से अधिक जानकारी जुटाने के लिए डाटा विश्लेषण जरूरी है।  आईएलएसए चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में भूकंपीय डाटा को रिकॉर्ड करने वाला पहला उपकरण है। वहीं लगभग चार दशक पहले नासा के अपोलो मिशन के बाद चंद्रमा पर जमीनी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला दूसरा उपकरण है।

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