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जानिए जगन्नाथपुरी के बाहुबली पुजारी को, कई बार रह चुके हैं मिस्टर इंडिया

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर Published by: संजीव कुमार झा Updated Mon, 29 Jun 2020 02:06 AM IST
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Jagannath puri rath yatra 2020, Know the Bahubali Anil Gochikar priest of Jagannathpuri
anil gochikar - फोटो : twitter
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पुरी के जगन्नाथ धाम को हिंदू धर्म के 'चार धामों' में से एक माना जाता है। भगवान जगन्नाथ को पालनहर्ता विष्णु का दूसरा रूप माना जाता है। इनके मंदिर में सेवा देने वाले को सेवायत या सेवादार कहा जाता है। सेवायतों को निर्बाध रूप से भगवान को सेवा प्रदान करने के लिए हमेशा फिट रहने को कहा जाता है और इसके लिए परंपरागत तौर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। भगवान जगन्नाथ के इन्हीं सेवायतों में एक हैं अनिल गोच्छिकार जिन्होंने हमेशा से मंदिर में आगंतुकों का ध्यान आकर्षित किया है।

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प्रतिहारी श्रेणी में आने वाले अनिल गोच्छिकार पुजारी और सेवायत होने के साथ-साथ बॉडी बिल्डर भी हैं। शरीर ऐसा डील-डौल कि इन्हें देखकर कोई  बाहुबली कहता है तो कोई जगन्नाथ महाप्रभु का अंगरक्षक। अनिल एक ऐसे परिवार के वंशज हैं, जो पीढ़ियों से भगवान जगन्नाथ के अंगरक्षक रहे हैं। वहीं अनिल ने पहले ही बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में एक जगह बना ली थी और सोशल मीडिया ने उन्हें और भी लोकप्रिय बना दिया।
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बता दें कि श्रीजगन्नाथपुरी मंदिर पर अबतक 17 बड़े आक्रमण हो चुके हैं। हर बार यहां के पुजारियों ने विग्रहों को छिपाकर उनकी रक्षा की है। अनिल उन्हीं पुजारियों की वंश परंपरा से आते हैं। अभिनेता और मॉडल की तरह स्मार्ट दिखने वाले अनिल ने कई बार मिस्टर ओडिशा और मिस्टर इंडिया का खिताब भी जीता है।

बेहद शानदार एवं आकर्षक डील-डौल शरीर के कारण उन्हें मिस्टर इंटरनेशनल इंडियन भी कहा जाता है। अनिल के बड़े भाई सुनील जिन्होंने उन्हें शरीर सौष्ठव के लिए प्रेरित किया था और बड़े भाई के कहने पर वे इस मुकाम पर पहुंचे।

हर साल की तरह, दोनो भाइयों ने मंगलवार को रथ यात्रा के दौरान सक्रिय रूप से भाग लिया। सुनील, जिन्होंने पेशेवर बॉडी-बिल्डिंग छोड़ दी है, नियमित रूप से वर्कआउट करना पसंद करते हैं। भगवान जगन्नाथ की सेवा के लिए समर्पित दोनों भाइयों ने कहा कि दोनो का एक साथ आना एक बेहद शानदार अनुभव रहा वहीं रथों को खींचने वाले सेवायतों के लिए यह दुर्लभ अवसर होता है।

पूर्वजों ने विग्रहों को श्रीमंदिर से निकाल कर की थी प्रभु जगन्नाथ की रक्षा

अनिल कहते हैं कि हमारे परिवार के लोग कई पीढिय़ों से महाप्रभु की सेवा करते आ रहे हैं। मुगलों और अन्य आक्रमणकारियों ने जब श्रीमंदिर पर आक्रमण किया था तब हमारे पूर्वजों ने विग्रह को श्रीमंदिर से निकाल कर प्रभु जगन्नाथ की रक्षा की थी। दरअसल हमारे प्रभु की मूर्ति काफी भारी होती है, इसलिए इन्हें उठाने के लिए हमारा शक्तिशाली होना आवश्यक है। इसके लिए हम नियमित अभ्यास करते हैं।

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