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Jagannath Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ की सोने के गहनों की सजावट देखने उमड़े श्रद्धालु, पुलिस ने जारी किया अलर्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भुवनेश्वर
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 06 Jul 2025 12:06 PM IST
सार
पुरी में भगवान जगन्नाथ की 'सुना बेशा' पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भीड़ को देखते हुए ओडिशा पुलिस ने विशेष अलर्ट जारी किया है। पार्किंग फुल हो चुकी हैं और वैकल्पिक मार्ग सुझाए गए हैं। 29 जून की भगदड़ के बाद प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है। शाम साढ़े छह से रात 11 बजे तक दर्शन की अनुमति दी गई है। प्रशासन ने संयम और सहयोग की अपील की है।
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भगवान जगन्नाथ
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य 'सुना बेशा' यानी स्वर्णाभूषण सजावट के मौके पर रविवार को बड़ी संख्या में भक्त उमड़ पड़े। ओडिशा पुलिस ने स्थिति को देखते हुए पुरी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष अलर्ट जारी किया है। पुलिस ने ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश भी साझा किए हैं।
ओडिशा पुलिस ने एक्स ( पहले ट्विटर) पर जानकारी दी कि रातभर से ही भारी संख्या में श्रद्धालु पुरी पहुंच रहे हैं। इससे शहर की ज्यादातर पार्किंग फुल हो चुकी हैं। पुलिस ने बताया कि अब वाहन तालाबानिया और स्टर्लिंग की ओर भेजे जा रहे हैं। बाटागांव और मलतीपटपुर में भी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। इसलिए भक्तों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं।
शनिवार रात भी नहीं थमा भक्तों का सैलाब
शनिवार रात भी पुरी में भक्तों की भारी भीड़ रही। दरअसल, उस रात भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों को रथों पर ही रखा गया था और लगातार दर्शन का मौका दिया गया। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार रात कोई 'पहुड़ा' यानी विश्राम नहीं हुआ, जिससे श्रद्धालुओं को रातभर रथ पर विराजमान देवताओं के दर्शन करने का अवसर मिला।
रथ यात्रा के बाद 'सुना बेशा' की भव्य तैयारी
रविवार सुबह सेवकों ने भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के सभी पारंपरिक अनुष्ठान पूरे किए। तीनों देवता अपने-अपने रथों पर विराजमान रहे। 'तालध्वज', 'दर्पदलन' और 'नंदीघोष' नामक ये तीन रथ मंदिर के 'सिंह द्वार' यानी मुख्य द्वार के सामने खड़े हैं। नौ दिन की वार्षिक रथ यात्रा पूरी होने के बाद 'बहुड़ा यात्रा' भी शनिवार को सकुशल संपन्न हुई।
ये भी पढ़ें: 'BJP-नीतीश ने बिहार को 'भारत की क्राइम कैपिटल' बना दिया', गोपाल खेमका की हत्या पर सरकार पर बरसे राहुल
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, पिछली घटना से प्रशासन सतर्क
29 जून को श्री गुंडिचा मंदिर के पास मची भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत के बाद प्रशासन अतिरिक्त सतर्क है। पुलिस ने सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए व्यापक व्यवस्था की है। जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि सेवकों और प्रशासन के सहयोग से 'सुना बेशा' के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
ये भी पढ़ें: दलाई लामा के जन्मदिन पर पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा- वो प्यार, करुणा और धैर्य का प्रतीक हैं
रात 11 बजे तक दर्शन का मौका
जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, भक्त शाम साढ़े छह बजे से रात 11 बजे तक भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के 'सुना बेशा' स्वरूप के दर्शन कर सकते हैं। प्रशासन ने लोगों से संयम और सहयोग की अपील की है ताकि यह आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से पूरा हो सके।
श्रद्धालुओं से विशेष अनुरोध, धैर्य रखें और नियम मानें
मंदिर प्रशासन ने प्रमुख अरविंद पद्ही ने सभी से अपील की है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। पुलिस और स्वयंसेवक व्यवस्था बनाए रखने में जुटे हैं। भक्तों से कहा गया है कि धैर्य रखें, भीड़ में धक्का-मुक्की न करें और जरूरत पड़ने पर वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करें। 'सुना बेशा' भगवान जगन्नाथ की भव्य परंपरा है, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
208 किलो सोने के गहनों से सजे भगवान जगन्नाथ
पुरी में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रविवार को 208 किलो सोने और अन्य बहुमूल्य धातुओं से बने गहनों से सजाया जाएगा। यह भव्य 'सुना बेशा' अनुष्ठान रथ यात्रा उत्सव का अहम हिस्सा है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार, भक्त शाम 6:30 बजे से रात 11 बजे तक रथों पर सजे भगवान के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर सूत्रों ने बताया कि भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन कुल 30 प्रकार के गहनों से सजते हैं, जिनमें सोना, हीरा, चांदी और अन्य धातुएं शामिल हैं।
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शनिवार रात भी नहीं थमा भक्तों का सैलाब
शनिवार रात भी पुरी में भक्तों की भारी भीड़ रही। दरअसल, उस रात भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों को रथों पर ही रखा गया था और लगातार दर्शन का मौका दिया गया। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार रात कोई 'पहुड़ा' यानी विश्राम नहीं हुआ, जिससे श्रद्धालुओं को रातभर रथ पर विराजमान देवताओं के दर्शन करने का अवसर मिला।
रथ यात्रा के बाद 'सुना बेशा' की भव्य तैयारी
रविवार सुबह सेवकों ने भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के सभी पारंपरिक अनुष्ठान पूरे किए। तीनों देवता अपने-अपने रथों पर विराजमान रहे। 'तालध्वज', 'दर्पदलन' और 'नंदीघोष' नामक ये तीन रथ मंदिर के 'सिंह द्वार' यानी मुख्य द्वार के सामने खड़े हैं। नौ दिन की वार्षिक रथ यात्रा पूरी होने के बाद 'बहुड़ा यात्रा' भी शनिवार को सकुशल संपन्न हुई।
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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, पिछली घटना से प्रशासन सतर्क
29 जून को श्री गुंडिचा मंदिर के पास मची भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत के बाद प्रशासन अतिरिक्त सतर्क है। पुलिस ने सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए व्यापक व्यवस्था की है। जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि सेवकों और प्रशासन के सहयोग से 'सुना बेशा' के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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रात 11 बजे तक दर्शन का मौका
जगन्नाथ मंदिर प्रशासन द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, भक्त शाम साढ़े छह बजे से रात 11 बजे तक भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के 'सुना बेशा' स्वरूप के दर्शन कर सकते हैं। प्रशासन ने लोगों से संयम और सहयोग की अपील की है ताकि यह आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से पूरा हो सके।
श्रद्धालुओं से विशेष अनुरोध, धैर्य रखें और नियम मानें
मंदिर प्रशासन ने प्रमुख अरविंद पद्ही ने सभी से अपील की है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। पुलिस और स्वयंसेवक व्यवस्था बनाए रखने में जुटे हैं। भक्तों से कहा गया है कि धैर्य रखें, भीड़ में धक्का-मुक्की न करें और जरूरत पड़ने पर वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करें। 'सुना बेशा' भगवान जगन्नाथ की भव्य परंपरा है, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
208 किलो सोने के गहनों से सजे भगवान जगन्नाथ
पुरी में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रविवार को 208 किलो सोने और अन्य बहुमूल्य धातुओं से बने गहनों से सजाया जाएगा। यह भव्य 'सुना बेशा' अनुष्ठान रथ यात्रा उत्सव का अहम हिस्सा है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार, भक्त शाम 6:30 बजे से रात 11 बजे तक रथों पर सजे भगवान के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर सूत्रों ने बताया कि भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन कुल 30 प्रकार के गहनों से सजते हैं, जिनमें सोना, हीरा, चांदी और अन्य धातुएं शामिल हैं।