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संसद में हंगामा: J&K पर पेरियार का जिक्र, द्रमुक सांसद का विवादित बयान; नाराज सभापति ने देशद्रोह का जिक्र किया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Mon, 11 Dec 2023 08:11 PM IST
सार
जम्मू-कश्मीर से जुड़े विधेयकों पर चर्चा के दौरान संसद में तमिलनाडु के डीएमके सांसद ने विवादित टिप्पणी की। डीएमके सांसद के बयान से नाराज सभापति ने उनकी टिप्पणी को असंसदीय बताया और कार्यवाही से बाहर कर दिया गया। सभापति ने देशद्रोह का भी जिक्र किया।
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संसद भवन और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (फाइल)
- फोटो : social media
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विस्तार
जम्मू-कश्मीर से जुड़े विधेयकों पर चर्चा के दौरान तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी- द्रमुक के सांसद एम मोहम्मद अब्दुल्ला की टिप्पणियों पर जमकर बवाल हुआ। विवादास्पद टिप्पणी के बाद सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। टिप्पणी से नाराज सभापति जगदीप धनखड़ ने उनकी टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया। उन्होंने डीएमके सांसद को 'बोलने की आजादी' के साथ सांसदों की जिम्मेदारी का एहसास भी दिलाया।
डीएमके सांसद जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। एम मोहम्मद अब्दुल्ला की टिप्पणियों को अस्वीकार कर सभापति धनखड़ ने द्रमुक सांसद की टिप्पणी पर नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा, क्या हम इस सदन में कुछ भी टिप्पणी कर सकते हैं? क्या हम देशद्रोही होने, हमारी अखंडता को चुनौती देने, हमारे संविधान के खिलाफ जाने की हद तक जा सकते हैं? आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जा रहे हैं? यह किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बता दें कि डीएमके सांसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को संघवाद पर हमला बताया था। इस पर सभापति ने डीएमके सांसद से कहा, उच्चतम न्यायालय के फैसले के संदर्भ में उच्च सदन में बोलने की स्वतंत्रता को 'बिना किसी अंकुश के' नहीं समझा जाना चाहिए।
अब्दुल्ला ने अपनी बातों का समर्थन करने के लिए तर्कवादी और द्रविड़ आंदोलन के संस्थापक पेरियार का भी जिक्र किया। उन्होंने सरकार से जम्मू-कश्मीर में कई मुद्दों के समाधान के लिए पेरियार से प्रेरणा लेकर कदम उठाने की अपील की। डीएमके सांसद ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश दो विधेयकों का पुरजोर विरोध किया। द्रमुक संसद के बयान से नाराज सभापति धनखड़ ने राज्यसभा से सवाल किया, 'क्या सदन इस पर सहमति दे सकता है? क्या आप इस पर मौन रह सकते हैं?'
द्रमुक सांसद अब्दुल्ला पर 'मंच का दुरुपयोग करने' का आरोप लगाते हुए धनखड़ ने कहा, अस्वीकार्य टिप्पणी करते हुए सांसद अब्दुल्ला बहुत आगे बढ़ चुके हैं। उनकी टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से निकाला जाएगा। सभापति ने विपक्षी दलों के सदस्यों से यह भी पूछा कि वे ऐसे मुद्दे पर चुप क्यों हैं? विवाद और हंगामे के बीच अब्दुल्ला ने अपनी सफाई में जोर देकर कहा, सभापति ने उनकी बातों को 'गलत तरीके से समझा।'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हस्तक्षेप किया और डीएमके के साथ गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी से पूछा, क्या कांग्रेस द्रमुक सांसद अब्दुल्ला के बयान का समर्थन करती है? केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी कांग्रेस सदस्यों से पूछा कि क्या वे अब्दुल्ला की बात से सहमत हैं?
हंगामे के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, अगर किसी सदस्य के विचार, देश के कानून और सदन के नियमों के अनुरूप नहीं हैं, तो सभापति टिप्पणियों को हटा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि वह टिप्पणी को केवल इसलिए खारिज नहीं करेंगे क्योंकि 'सत्ताधारी दल हंगामा कर इसे असंवैधानिक बता रहा है।'
धनखड़ ने कहा, उच्च सदन में क्या इस तरह की भाषा बोलने पर हम किसी का समर्थन कर सकते हैं? नस्ल के आधार पर निर्धारण, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सभापति ने नसीहत दी और कहा, सभी ने संविधान की शपथ ली है। हम किसी सदस्य के ऐसे दुर्व्यवहार को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता। सांसद की टिप्पणी में शामिल हर शब्द को स्वीकार नहीं किया जा सकता। संसद में बोलने की आजादी बोलने की आजादी बड़ी जिम्मेदारी के साथ आती है। यहां से पूरी दुनिया को संदेश जाता है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने सभापति से सदन के रिकॉर्ड देखने और पेरियार ने किस संदर्भ में टिप्पणी की, इसे सत्यापित करने की अपील की। इस पर सभापति धनखड़ ने जवाब दिया, 'क्या हम इस सदन में कुछ भी उद्धृत कर सकते हैं? क्या हम देशद्रोही होने, हमारी अखंडता को चुनौती देने, हमारे संविधान के खिलाफ जाने की हद तक जा सकते हैं?'
हंगामा बढ़ने और दोनों ओर से नारेबाजी के बीच बिल पेश करने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा, अब्दुल्ला की टिप्पणी को रिकॉर्ड में रखा जाए या नहीं, इसका फैसला सभापति को कहना है। उनका एक ही सवाल है - क्या कांग्रेस द्रमुक सांसद के दावे का समर्थन करती है? जवाब में कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, अब्दुल्ला ने केवल पेरियार को उद्धृत किया था। समर्थन या विरोध चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन 'किसी को सदन में बोलने से रोकना बहुत अलोकतांत्रिक है।'
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डीएमके सांसद जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। एम मोहम्मद अब्दुल्ला की टिप्पणियों को अस्वीकार कर सभापति धनखड़ ने द्रमुक सांसद की टिप्पणी पर नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा, क्या हम इस सदन में कुछ भी टिप्पणी कर सकते हैं? क्या हम देशद्रोही होने, हमारी अखंडता को चुनौती देने, हमारे संविधान के खिलाफ जाने की हद तक जा सकते हैं? आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जा रहे हैं? यह किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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बता दें कि डीएमके सांसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को संघवाद पर हमला बताया था। इस पर सभापति ने डीएमके सांसद से कहा, उच्चतम न्यायालय के फैसले के संदर्भ में उच्च सदन में बोलने की स्वतंत्रता को 'बिना किसी अंकुश के' नहीं समझा जाना चाहिए।
अब्दुल्ला ने अपनी बातों का समर्थन करने के लिए तर्कवादी और द्रविड़ आंदोलन के संस्थापक पेरियार का भी जिक्र किया। उन्होंने सरकार से जम्मू-कश्मीर में कई मुद्दों के समाधान के लिए पेरियार से प्रेरणा लेकर कदम उठाने की अपील की। डीएमके सांसद ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश दो विधेयकों का पुरजोर विरोध किया। द्रमुक संसद के बयान से नाराज सभापति धनखड़ ने राज्यसभा से सवाल किया, 'क्या सदन इस पर सहमति दे सकता है? क्या आप इस पर मौन रह सकते हैं?'
द्रमुक सांसद अब्दुल्ला पर 'मंच का दुरुपयोग करने' का आरोप लगाते हुए धनखड़ ने कहा, अस्वीकार्य टिप्पणी करते हुए सांसद अब्दुल्ला बहुत आगे बढ़ चुके हैं। उनकी टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से निकाला जाएगा। सभापति ने विपक्षी दलों के सदस्यों से यह भी पूछा कि वे ऐसे मुद्दे पर चुप क्यों हैं? विवाद और हंगामे के बीच अब्दुल्ला ने अपनी सफाई में जोर देकर कहा, सभापति ने उनकी बातों को 'गलत तरीके से समझा।'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हस्तक्षेप किया और डीएमके के साथ गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी से पूछा, क्या कांग्रेस द्रमुक सांसद अब्दुल्ला के बयान का समर्थन करती है? केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी कांग्रेस सदस्यों से पूछा कि क्या वे अब्दुल्ला की बात से सहमत हैं?
हंगामे के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, अगर किसी सदस्य के विचार, देश के कानून और सदन के नियमों के अनुरूप नहीं हैं, तो सभापति टिप्पणियों को हटा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि वह टिप्पणी को केवल इसलिए खारिज नहीं करेंगे क्योंकि 'सत्ताधारी दल हंगामा कर इसे असंवैधानिक बता रहा है।'
धनखड़ ने कहा, उच्च सदन में क्या इस तरह की भाषा बोलने पर हम किसी का समर्थन कर सकते हैं? नस्ल के आधार पर निर्धारण, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सभापति ने नसीहत दी और कहा, सभी ने संविधान की शपथ ली है। हम किसी सदस्य के ऐसे दुर्व्यवहार को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता। सांसद की टिप्पणी में शामिल हर शब्द को स्वीकार नहीं किया जा सकता। संसद में बोलने की आजादी बोलने की आजादी बड़ी जिम्मेदारी के साथ आती है। यहां से पूरी दुनिया को संदेश जाता है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने सभापति से सदन के रिकॉर्ड देखने और पेरियार ने किस संदर्भ में टिप्पणी की, इसे सत्यापित करने की अपील की। इस पर सभापति धनखड़ ने जवाब दिया, 'क्या हम इस सदन में कुछ भी उद्धृत कर सकते हैं? क्या हम देशद्रोही होने, हमारी अखंडता को चुनौती देने, हमारे संविधान के खिलाफ जाने की हद तक जा सकते हैं?'
हंगामा बढ़ने और दोनों ओर से नारेबाजी के बीच बिल पेश करने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा, अब्दुल्ला की टिप्पणी को रिकॉर्ड में रखा जाए या नहीं, इसका फैसला सभापति को कहना है। उनका एक ही सवाल है - क्या कांग्रेस द्रमुक सांसद के दावे का समर्थन करती है? जवाब में कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, अब्दुल्ला ने केवल पेरियार को उद्धृत किया था। समर्थन या विरोध चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन 'किसी को सदन में बोलने से रोकना बहुत अलोकतांत्रिक है।'