{"_id":"68c919ef24d6602d440adca3","slug":"karnataka-governor-returns-bill-reducing-lake-buffer-zones-seeks-clarification-2025-09-16","type":"story","status":"publish","title_hn":"Karnataka: कर्नाटक के राज्यपाल ने विधेयक लौटाया, झीलों का बफर जोन कम करने पर मांगा स्पष्टीकरण","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Karnataka: कर्नाटक के राज्यपाल ने विधेयक लौटाया, झीलों का बफर जोन कम करने पर मांगा स्पष्टीकरण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 16 Sep 2025 01:52 PM IST
विज्ञापन
सार
बंगलूरू टाउन हॉल एसोसिएशन ने चिंता व्यक्त की है कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार, वर्तमान झील बफर जोन 30 मीटर ही अपर्याप्त है, और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन के लिए करीब 300 मीटर बफर जोन होना चाहिए।

सिद्धारमैया, मुख्यमंत्री, कर्नाटक
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राज्य में झीलों या तालाबों के आसपास के बफर जोन के आकार को कम करने वाला विधेयक सरकार को लौटा दिया है और सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा है। हाल ही में कर्नाटक विधानसभा के दोनों सदनों में पारित कर्नाटक टैंक संरक्षण और विकास प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक में जलाशयों के क्षेत्रफल के आधार पर झीलों के बफर जोन को कम करने का प्रस्ताव है।
राज्यपाल ने विधेयक पर मांगा स्पष्टीकरण
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा है कि उठाए गए मुद्दों पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण लेना जरूरी है, और यह भी जानना जरूरी है कि इस संशोधन का कोई गलत प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। राज्यपाल कार्यालय से सरकार को भेजे एक पत्र में कहा गया है कि, 'इस संबंध में सही स्पष्टीकरण के साथ फाइल को फिर से प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार को वापस कर दिया जाए।' राज्यपाल ने सरकार को भेजे अपने पत्र में ये भी कहा कि बंगलूरू टाउन हॉल एसोसिएशन ने उनके कार्यालय से इस विधेयक को मंजूरी न देने का अनुरोध किया है।
एसोसिएशन ने चिंता व्यक्त की है कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार, वर्तमान झील बफर जोन 30 मीटर ही अपर्याप्त है, और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन के लिए करीब 300 मीटर बफर जोन होना चाहिए। एसोसिएशन ने कहा है कि बफर जोन को बढ़ाया जाना चाहिए, न कि घटाया जाना चाहिए। एसोसिएशन के अनुसार, 'यह संविधान और स्थापित कानून का उल्लंघन है, और प्रत्येक नागरिक के लिए हानिकारक है, यह नागरिकों के जल सुरक्षा और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को प्रभावित करता है।' राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार ने इस संशोधन के असर के बारे में न तो विशेषज्ञ समिति से और न ही जनता से परामर्श किया है।
ये भी पढ़ें- Tamil Nadu: पलानीस्वामी ने AIADMK को समर्थन के लिए BJP को सराहा, कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर DMK सरकार को घेरा
क्या हैं विधेयक में प्रावधान
विधेयक में जल निकायों के लिए क्षेत्रवार बफर जोन बनाने और प्राधिकरण की पूर्व स्वीकृति से सड़क, पुल, विद्युत लाइन, जल आपूर्ति लाइन, भूमिगत जल निकासी (यूजीडी) लाइन, जैकवेल या पंप हाउस या सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), इंटरमीडिएट सीवेज पंपिंग स्टेशन (आईएसपीएस) आदि जनोपयोगी कामों के निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव है। विधेयक के अनुसार, 0.5 गुंटा तक की झीलों के लिए बफर जोन नहीं होगा। एक एकड़ तक की झीलों के लिए बफर जोन 3 मीटर का होगा। 1-10 एकड़ आकार की झीलों के लिए यह 6 मीटर, 10-25 एकड़ आकार की झीलों के लिए 12 मीटर, 25-100 एकड़ आकार की झीलों के लिए 24 मीटर और 100 एकड़ से अधिक आकार की झीलों के लिए 30 मीटर होगा।

Trending Videos
राज्यपाल ने विधेयक पर मांगा स्पष्टीकरण
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा है कि उठाए गए मुद्दों पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण लेना जरूरी है, और यह भी जानना जरूरी है कि इस संशोधन का कोई गलत प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। राज्यपाल कार्यालय से सरकार को भेजे एक पत्र में कहा गया है कि, 'इस संबंध में सही स्पष्टीकरण के साथ फाइल को फिर से प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार को वापस कर दिया जाए।' राज्यपाल ने सरकार को भेजे अपने पत्र में ये भी कहा कि बंगलूरू टाउन हॉल एसोसिएशन ने उनके कार्यालय से इस विधेयक को मंजूरी न देने का अनुरोध किया है।
विज्ञापन
विज्ञापन
एसोसिएशन ने चिंता व्यक्त की है कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार, वर्तमान झील बफर जोन 30 मीटर ही अपर्याप्त है, और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन के लिए करीब 300 मीटर बफर जोन होना चाहिए। एसोसिएशन ने कहा है कि बफर जोन को बढ़ाया जाना चाहिए, न कि घटाया जाना चाहिए। एसोसिएशन के अनुसार, 'यह संविधान और स्थापित कानून का उल्लंघन है, और प्रत्येक नागरिक के लिए हानिकारक है, यह नागरिकों के जल सुरक्षा और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को प्रभावित करता है।' राज्यपाल ने कहा है कि राज्य सरकार ने इस संशोधन के असर के बारे में न तो विशेषज्ञ समिति से और न ही जनता से परामर्श किया है।
ये भी पढ़ें- Tamil Nadu: पलानीस्वामी ने AIADMK को समर्थन के लिए BJP को सराहा, कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर DMK सरकार को घेरा
क्या हैं विधेयक में प्रावधान
विधेयक में जल निकायों के लिए क्षेत्रवार बफर जोन बनाने और प्राधिकरण की पूर्व स्वीकृति से सड़क, पुल, विद्युत लाइन, जल आपूर्ति लाइन, भूमिगत जल निकासी (यूजीडी) लाइन, जैकवेल या पंप हाउस या सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), इंटरमीडिएट सीवेज पंपिंग स्टेशन (आईएसपीएस) आदि जनोपयोगी कामों के निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव है। विधेयक के अनुसार, 0.5 गुंटा तक की झीलों के लिए बफर जोन नहीं होगा। एक एकड़ तक की झीलों के लिए बफर जोन 3 मीटर का होगा। 1-10 एकड़ आकार की झीलों के लिए यह 6 मीटर, 10-25 एकड़ आकार की झीलों के लिए 12 मीटर, 25-100 एकड़ आकार की झीलों के लिए 24 मीटर और 100 एकड़ से अधिक आकार की झीलों के लिए 30 मीटर होगा।