चित्तपुर में आज नहीं निकलेगा RSS का मार्च: प्रियांक बोले- धमकियों के बाद लिया फैसला, संघ ने भी दी प्रतिक्रिया
चित्तपुर में आरएसएस का आज होने वाला पथ संचलन रद्द कर दिया गया। कर्नाटक सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए भीम आर्मी और दलित पैंथर्स सहित सभी संगठनों को मार्च की अनुमति देने से इनकार किया। मंत्री प्रियांक खरगे ने आरोप लगाया कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उन्हें धमकियां दीं है। वहीं संघ ने भी इसपर जोरदार प्रतिक्रिया दी है।

विस्तार
कर्नाटक के चित्तपुर में आज यानी सोमवार 20 अक्तूबर को होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पंथ संचलन (मार्च) निकालने की अनुमति नहीं मिली है। दूसरी ओर कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 24 अक्तूबर को करेगी। ऐसे में अब इस मामले में सियासत तेज हो गई है। कर्नाटक सरकार के मंत्री और स्थानीय विधायक प्रियांक खरगे ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि चिट्टापुर में सिर्फ आरएसएस ही नहीं, बल्कि भीम आर्मी, दलित पैंथर्स और एक नागरिक मंच को भी मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि कई संगठन एक साथ मार्च करना चाहते थे, जिससे कानून-व्यवस्था पर असर पड़ सकता था।

प्रियांक खरगे ने आरोप लगाया कि आरएसएस के कुछ कार्यकर्ताओं ने मुझे गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद ही उन्होंने मार्च का एलान किया। अगर कोई जनप्रतिनिधि को धमकाएगा तो इससे अन्य संगठन भी उकस सकते हैं। ऐसे में मेरी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ गलत न हो। उन्होंने कहा कि अगर कोई संगठन मार्च करना चाहता है, तो पहले उसे यह साबित करना चाहिए कि वह कानूनी रूप से पंजीकृत है। अभी तक किसी स्थानीय व्यक्ति ने पुलिस से अनुमति नहीं मांगी है। सिर्फ मुख्यालय से पत्र भेजकर सूचना दी गई है।
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आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने क्या कहा?
वहीं इस मामले में आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश में हर सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संस्था को अपने विचार रखने का सांविधानिक अधिकार है। आजादी से पहले भी ये अधिकार थे। अगर कर्नाटक सरकार लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर लोकतंत्र को ही खत्म करने लगे, तो ये चिंता का विषय है। न्यायपालिका हमेशा लोकतंत्र की रक्षक रही है और रहेगी।
प्रतिबंधों के आगे नहीं झुकता आरएसएस: वीएचपी
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कर्नाटक सरकार और उसके मंत्री प्रियांक खड़गे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रति चेतावनी दी। कहा कि संगठन प्रतिबंधों के आगे नहीं झुकता। यह विचार ही बेमानी है। दरअसल, कर्नाटक सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर निजी कार्यक्रम आयोजित करने से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है, जिसका चौतरफा विरोध हो रहा है।
वीएचपी नेता विनोद बंसल ने भी राज्य सरकार पर बोला हमला
इस मामले में एक अन्य वीएचपी नेता विनोद बंसल ने भी कर्नाटक सरकार पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के नाम में राम, पत्नी के नाम में पार्वती है, फिर भी वे लोगों को सनातनियों से दूर रहने की सलाह देते हैं। उनके मंत्री सनातन को मलेरिया और डेंगू बताकर आरएसएस और बजरंग दल पर बैन की बात करते हैं। ऐसी सोच से जनता भी उनसे दूर हो जाएगी।
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आरएसएस को रूट मार्च के लिए नई अर्जी दायर करने का कोर्ट का निर्देश
इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को निर्देश दिया कि वह 2 नवंबर को कलबुर्गी जिले के चित्तपुर में प्रस्तावित रूट मार्च आयोजित करने की अनुमति के लिए नई याचिका दाखिल करे। यह निर्देश जस्टिस एमजीएस कमल ने उस समय दिया, जब याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि रविवार (19 अक्तूबर) को प्रस्तावित मार्च की अनुमति प्रशासन ने अस्वीकार कर दी थी। आरएसएस की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए अदालत ने विशेष पीठ का गठन किया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या मार्च किसी अन्य तारीख को आयोजित किया जा सकता है, जिस पर वकील ने कहा कि 2 नवंबर उपयुक्त रहेगा।
RSS को अपने आवेदन में मार्ग, स्थान और समय का पूरा विवरण देना होगा
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को नई आवेदन में मार्ग, स्थान और समय का पूरा विवरण देना होगा तथा पहले पूछे गए सवालों के उत्तर भी शामिल करने होंगे। यह आवेदन कलबुर्गी जिले के उपायुक्त को दिया जाएगा, जिसकी प्रति तालुका कार्यकारी मजिस्ट्रेट और पुलिस को भी भेजी जाएगी। हाईकोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह आवेदन पर विचार कर 24 अक्तूबर तक रिपोर्ट अदालत में पेश करे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा याचिका पर अभी कोई अंतिम आदेश नहीं दिया गया है, रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे निर्णय लिया जाएगा।