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जान जोखिम में: जलवायु परिवर्तन से जंगली जानवरों पर भी मंडरा रहा खतरा, लिवर जैसे अहम अंगों पर पड़ रहा बुरा असर

अमर उजाला नेटवर्क। Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 20 Oct 2025 09:18 AM IST
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Lives at risk: Climate change poses a threat to wild animals, adversely affecting vital organs like the liver.
जलवायु परिवर्तन से जान जोखिम में (सांकेतिक) - फोटो : अमर उजाला प्रिंट / एजेंसी
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जलवायु परिवर्तन न केवल पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना को बदल रहा है, बल्कि जंगली और शिकारी जानवरों के लिवर (यकृत) जैसे महत्वपूर्ण अंगों के कार्यों को भी प्रभावित कर रहा है। तापमान, वर्षा, और खाद्य शृंखला में बदलावों के कारण अब मांसाहारी प्रजातियों में लीवर टॉक्सिसिटी, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और चयापचय (मेटाबोलिक) असंतुलन जैसे लक्षण बढ़ते जा रहे हैं।

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फ्रंटियर्स इन एनवायरमेंटल साइंस और नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित अध्ययनों ने यह उजागर किया है कि ग्लोबल वार्मिंग का सीधा प्रभाव जानवरों के लिवर पर पड़ रहा है। कनाडा, अलास्का और स्कैंडेनेविया में दीर्घकालिक फील्ड स्टडीज के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि ध्रुवीय भालू, आर्कटिक फॉक्स, सील और कुछ शिकारी पक्षियों जैसे ईगल और हॉक के लिवर में बायोएक्यूम्युलेटेड विषाक्त पदार्थों की मात्रा तेजी से बढ़ी है। इसका कारण है, बर्फ के पिघलने से आहार शृंखला में बदलाव जिससे ये जानवर अधिक प्रदूषित या दूषित शिकार खाने पर मजबूर हैं।
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लिवर शरीर का वह अंग है जो विषाक्त तत्वों को निष्क्रिय करने, ऊर्जा भंडारण और हार्मोन संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। जब तापमान में अत्यधिक उतार चढ़ाव होता है और भोजन स्रोतों की गुणवत्ता बदलती है, तो जानवरों के लीवर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है।

कोशिकाएं हो जाती हैं क्षतिग्रस्त
अध्ययन में पाया गया कि कई जंगली जानवरों में लिपिड पेरऑक्सिडेशन  की दर दोगुनी हो गई है। यह वह प्रक्रिया है जिसमें शरीर की कोशिकाएं तापमान और रासायनिक दबाव के कारण क्षतिग्रस्त होती हैं। यानी उनका स्वाभाविक रूप से मजबूत लिवर अब पर्यावरणीय असंतुलन के दबाव में कमजोर पड़ने लगा है। भले ही जंगली शिकारी जानवरों का लीवर अत्यधिक सहनशील और जैविक रूप से अनुकूलित हो पर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अप्राकृतिक परिस्थितियां जैसे लगातार तापमान वृद्धि, जल स्रोतों में भारी धातुएं और खाद्य श्रृंखला में प्रदूषण उनकी डिटॉक्सिफिकेशन प्रणाली को बाधित कर रही हैं।

  • उच्च तापमान के कारण लीवर एंजाइमों की सक्रियता अस्थिर हो रही है यानी, कैटालेज और ग्लूटाथियोन पेरऑक्सिडेज जैसे एंजाइम जो सामान्यतः विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करते हैं, अब तापीय दबाव  में सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे। इससे लिवर में सूजन, कोशिका क्षति और वसा जमाव जैसी स्थितियां तेजी से बढ़ रही हैं।

प्रदूषित शिकार खाने से बिगड़ रहे हालात...
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जलवायु परिवर्तन के कारण शिकार का पैटर्न और भोजन की गुणवत्ता बदलने से शिकारी जानवर अब दूषित या रासायनिक रूप से प्रदूषित शिकार अधिक मात्रा में खाने लगे हैं। इससे दृढ़ जैविक प्रदूषक या स्थायी कार्बनिक विषाक्त पदार्थ और भारी धातुएं जैसे लेड, मर्करी और कैडमियम सीधे उनके लिवर में जमा हो रहे हैं।

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