Mahrashtra: ठाणे कोर्ट ने हत्या के दो आरोपियों को किया बरी, कहा- सबूतों की कड़ियां साबित नहीं कर पाईं अपराध
ठाणे कोर्ट ने 2023 की हत्या के मामले में दो आरोपियों को बरी किया। मामले में जज एसबी अग्रवाल ने कहा कि मौत हत्या थी, पर अभियोजन पक्ष आरोपियों की संलिप्तता संदेह से परे साबित नहीं कर सका।

विस्तार
ठाणे की एक अदालत ने 2023 में हुई एक व्यक्ति की हत्या के मामले में दो आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि सारे सांयोगिक साक्ष्य एक मजबूत कड़ी के रूप में जुड़ते हैं और आरोपियों की दोषसिद्धि को संदेह से परे साबित करते हैं। इस केस की सुनवाई कर रहे प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसबी. अग्रवाल ने माना कि मृतक की मौत एक हत्या (हॉमिकाइड) थी, जिसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एक गवाह और मृतक की बेटी की गवाही से साबित किया गया है।

अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि केस के अहम हिस्सों में गंभीर खामियां हैं। जैसे कि CCTV फुटेज सिर्फ यह दिखाता है कि आरोपी आसपास के इलाके में थे, लेकिन घटना को होते नहीं दिखाता। इसे ठोस सबूत नहीं माना जा सकता।अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभियोजन पक्ष ने एक गवाह का बयान नौ दिन बाद लिया, जबकि उस गवाह ने घटना के दिन ही आरोपियों के कथित कबूलनामा की बात कही थी। इतनी देरी पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
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इसके साथ ही अदालत ने कहा कि चॉपर और हथौड़ा कहां से खरीदे गए, इसे लेकर जो सबूत दिए गए, वो भरोसेमंद नहीं पाए गए। वहां हथियारों और आरोपियों के कपड़ों पर मिले खून के निशानों की जांच रिपोर्ट निर्णायक) नहीं थी। इन सब खामियों के चलते अदालत ने कहा कि अभियोजन अपना केस साबित नहीं कर सका और आरोपियों को बरी कर दिया।
क्या है पूरा मामला, समझिए
बता दें कि अभियोजन के मुताबिक, रविंद्र पडसे की 28 फरवरी 2023 को महाराष्ट्र के ठाणे शहर के जांभली नाका इलाके में हत्या कर दी गई थी। मामले में आरोप था कि सड़क के ठेले को लेकर हुए विवाद में दो आरोपियों धुरुपचंद उर्फ ध्रुव विश्वनाथ पटवा (35) और अशरफ हज्रत अली ने रविंद्र पर चॉपर और लोहे के हथौड़े से हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
मामले में मृतक के परिवार वालों ने बताया कि रविंद्र खून से लथपथ हालत में मिला था और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 34 (साझा इरादा), आर्म्स एक्ट और महाराष्ट्र पुलिस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।
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