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Telangana: करारी चुनावी हार के बाद सत्ता गंवा चुकी BRS में पुरानी पहचान की चाह; TRS नाम पर लौटने की सुगबुगाहट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Sat, 13 Jan 2024 04:04 PM IST
सार
पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी- बीआरएस को पहली बार तेलंगाना में विपक्षी पार्टी की भूमिका मिली है। करारी मात के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि केसीआर की पार्टी- पुरानी पहचान- तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) वापस पाना चाहती है।
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तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर (फाइल)
- फोटो : PTI
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विस्तार
तेलंगाना की राजनीति चर्चा में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी- भारत राष्ट्र समिति (BRS) अब अपना पुराना नाम वापस हासिल करना चाहती है। कभी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) नाम के तले तेलंगाना में शानदार सफलता पा चुकी केसीआर की पार्टी एक बार फिर पुराना नाम हासिल करना चाहती है। खबर है कि पार्टी में TRS नाम दोबारा पाने की सुगबुगाहट हो रही है। कई नेता ऐसे हैं, जिनका मानना है कि बीआरएस को टीआरएस बन जाना चाहिए।
पूर्व CM के बेटे को भेजा गया सुझाव
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत राष्ट्र समिति के बड़े नेताओं के अलावा कैडर और यहां तक कि आलाकमान भी पार्टी का नाम बदलकर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (KTR) को अपने सुझाव भेजे हैं। बता दें कि केटीआर पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे भी हैं। केसीआर के नेतृत्व में सियासी रण में उतरी बीआरएस को करीब डेढ़ महीने पहले हुए चुनाव में करारी शिकस्त मिली। 119 विधानसभा सीटों में बीआरएस को केवल 39 सीटें हासिल हुईं।
हार के कारणों पर मंथन के साथ-साथ अगले चुनाव की तैयारी भी
खबर के मुताबिक पार्टी नेताओं का मानना है कि दल के नाम से 'तेलंगाना' हटा लेने से जाहिर तौर पर राज्य के साथ अलगाव पैदा हो गया है। गौरतलब है कि केटीआर सहित वरिष्ठ बीआरएस नेता लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र-वार तैयारी की समीक्षा कर रहे हैं। लगातार बैठकें हो रही हैं। इसमें चुनावी हार के कारणों पर विचार-मंथन करते हुए कार्यकर्ताओं से सुझाव मांगे जा रहे हैं। पार्टी ने यह कवायद बीते 3 जनवरी से शुरू की है। इसका मकसद आने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी तैयारियों को मजबूत करना है।
गोपनीयता की शर्त पर बीआरएस नेताओं ने कही मन की बात
बीआरएस के एक वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया, पार्टी की हर बैठक में कुछ नेता और कार्यकर्ता दल का नाम बदलकर टीआरएस करने के लिए कह रहे हैं। उन्हें लगता है कि तेलंगाना के बिना पार्टी का नाम जनता से अलग हो चुका है। एक अन्य नेता ने कहा, वे पहले भी नाम बदलने के खिलाफ थे, लेकिन वे अपने मन की बात नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि केसीआर कठोर निर्णय लेने और अदम्य रूप से उभरने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए पांच प्रमुख कारणों में से एक, टीआरएस का नाम बदलना है।
तेलंगाना से बाहर विस्तार की महत्वाकांक्षा, करारी हार से लगा झटका
गौरतलब है कि 2022 में केसीआर ने टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस किया था। हालांकि, विधानसभा चुनाव में विफलता के बाद उनकी महत्वाकांक्षा और योजनाओं को तगड़ा झ
का लगा। तेलंगाना से बाहर दल का विस्तार करने की योजना बना रही इस पार्टी की योजना आने वाले कुछ महीनों में स्पष्टता होने के आसार हैं।
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पूर्व CM के बेटे को भेजा गया सुझाव
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत राष्ट्र समिति के बड़े नेताओं के अलावा कैडर और यहां तक कि आलाकमान भी पार्टी का नाम बदलकर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (KTR) को अपने सुझाव भेजे हैं। बता दें कि केटीआर पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे भी हैं। केसीआर के नेतृत्व में सियासी रण में उतरी बीआरएस को करीब डेढ़ महीने पहले हुए चुनाव में करारी शिकस्त मिली। 119 विधानसभा सीटों में बीआरएस को केवल 39 सीटें हासिल हुईं।
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हार के कारणों पर मंथन के साथ-साथ अगले चुनाव की तैयारी भी
खबर के मुताबिक पार्टी नेताओं का मानना है कि दल के नाम से 'तेलंगाना' हटा लेने से जाहिर तौर पर राज्य के साथ अलगाव पैदा हो गया है। गौरतलब है कि केटीआर सहित वरिष्ठ बीआरएस नेता लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र-वार तैयारी की समीक्षा कर रहे हैं। लगातार बैठकें हो रही हैं। इसमें चुनावी हार के कारणों पर विचार-मंथन करते हुए कार्यकर्ताओं से सुझाव मांगे जा रहे हैं। पार्टी ने यह कवायद बीते 3 जनवरी से शुरू की है। इसका मकसद आने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी तैयारियों को मजबूत करना है।
गोपनीयता की शर्त पर बीआरएस नेताओं ने कही मन की बात
बीआरएस के एक वरिष्ठ नेता ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई-भाषा को बताया, पार्टी की हर बैठक में कुछ नेता और कार्यकर्ता दल का नाम बदलकर टीआरएस करने के लिए कह रहे हैं। उन्हें लगता है कि तेलंगाना के बिना पार्टी का नाम जनता से अलग हो चुका है। एक अन्य नेता ने कहा, वे पहले भी नाम बदलने के खिलाफ थे, लेकिन वे अपने मन की बात नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि केसीआर कठोर निर्णय लेने और अदम्य रूप से उभरने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए पांच प्रमुख कारणों में से एक, टीआरएस का नाम बदलना है।
तेलंगाना से बाहर विस्तार की महत्वाकांक्षा, करारी हार से लगा झटका
गौरतलब है कि 2022 में केसीआर ने टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस किया था। हालांकि, विधानसभा चुनाव में विफलता के बाद उनकी महत्वाकांक्षा और योजनाओं को तगड़ा झ
का लगा। तेलंगाना से बाहर दल का विस्तार करने की योजना बना रही इस पार्टी की योजना आने वाले कुछ महीनों में स्पष्टता होने के आसार हैं।