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Kerala High Court: KIIFB मसाला बॉन्ड केस में ईडी नोटिस पर हाई कोर्ट की रोक, सीएम विजयन को राहत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोच्चि
Published by: अमन तिवारी
Updated Thu, 18 Dec 2025 03:01 PM IST
सार
केरल हाई कोर्ट ने केआईआईएफबी मसाला बॉन्ड मामले में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक और केआईआईएफबी के सीईओ के एम अब्राहम को बड़ी राहत दी है। मामले में हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की किसी भी कार्रवाई पर तीन महीने की रोक लगा दी है।
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पिनरई विजयन
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
केरल हाई कोर्ट ने आज यानी 18 दिसंबर को केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) मसाला बॉन्ड मामले में सीएम पिनाराई विजयन को बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के बाद किसी भी कार्यवाही पर तीन महीने के लिए रोक लगा दी। मामले में जस्टिस वी जी अरुण ने पूर्व राज्य वित्त मंत्री थॉमस इसाक और विजयन के मुख्य प्रधान सचिव और केआईआईएफबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के एम अब्राहम को भी अंतरिम राहत दी।
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सीएम की याचिका पर उच्च न्यायालय का निर्देश
यह आदेश सीएम विजयन, इसाक और अब्राहम की ओर से दायर किए गए संयुक्त याचिका पर आया है। याचिका में केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) ने (ईडी) के कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी। यह नोटिस मसाला बॉन्ड फंड के इस्तेमाल को लेकर जारी किया गया था, जो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए था।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि केआईआईएफबी की याचिका पर आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी, इसलिए सीएम विजयन, इसाक और अब्राहम को भी इसी तरह की अंतरिम राहत के हकदार थे। मामले में कोर्ट ने संयुक्त याचिका स्वीकार कर ली और याचिका में दिए गए तर्कों पर ईडी से जवाब मांगा। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने इस मामले को 23 जनवरी, 2026 को केआईआईएफबी की याचिका के साथ सुनवाई के लिए रखा है।
मामले में कोर्ट ने केआईआईएफबी को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि आरबीआई के नियमों (ईसीबी फ्रेमवर्क, 2019) के मुताबिक, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 'मसाला बॉन्ड' से पैसा जुटाना गलत नहीं है, क्योंकि 'रियल एस्टेट' की परिभाषा में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स नहीं आते। इसलिए, केआईआईएफबी को अंतरिम राहत दी गई है।
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हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण एक रियल एस्टेट गतिविधि थी और इसे मसाला बॉन्ड फंड का उपयोग करके नहीं किया जा सकता है। मामले में ईडी ने नवंबर में सीएम विजयन, इसाक और अब्राहम को 467 करोड़ रुपये के एफईएमए उल्लंघन का नोटिस जारी किया है। यह केआईआईएफबी और उसके अधिकारियों द्वारा एफईएमए और आरबीआई के नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है, जिसकी राशि 466.91 करोड़ रुपये है।
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सीएम की याचिका पर उच्च न्यायालय का निर्देश
यह आदेश सीएम विजयन, इसाक और अब्राहम की ओर से दायर किए गए संयुक्त याचिका पर आया है। याचिका में केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) ने (ईडी) के कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी। यह नोटिस मसाला बॉन्ड फंड के इस्तेमाल को लेकर जारी किया गया था, जो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए था।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि केआईआईएफबी की याचिका पर आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी, इसलिए सीएम विजयन, इसाक और अब्राहम को भी इसी तरह की अंतरिम राहत के हकदार थे। मामले में कोर्ट ने संयुक्त याचिका स्वीकार कर ली और याचिका में दिए गए तर्कों पर ईडी से जवाब मांगा। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने इस मामले को 23 जनवरी, 2026 को केआईआईएफबी की याचिका के साथ सुनवाई के लिए रखा है।
मामले में कोर्ट ने केआईआईएफबी को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि आरबीआई के नियमों (ईसीबी फ्रेमवर्क, 2019) के मुताबिक, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 'मसाला बॉन्ड' से पैसा जुटाना गलत नहीं है, क्योंकि 'रियल एस्टेट' की परिभाषा में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स नहीं आते। इसलिए, केआईआईएफबी को अंतरिम राहत दी गई है।
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हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण एक रियल एस्टेट गतिविधि थी और इसे मसाला बॉन्ड फंड का उपयोग करके नहीं किया जा सकता है। मामले में ईडी ने नवंबर में सीएम विजयन, इसाक और अब्राहम को 467 करोड़ रुपये के एफईएमए उल्लंघन का नोटिस जारी किया है। यह केआईआईएफबी और उसके अधिकारियों द्वारा एफईएमए और आरबीआई के नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है, जिसकी राशि 466.91 करोड़ रुपये है।
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