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Kerala: मुनंबम वक्फ जमीन विवाद से चर्चा में आए जोसेफ बेनी लड़ेंगे चुनाव, कांग्रेस देगी टिकट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोच्चि Published by: नितिन गौतम Updated Mon, 17 Nov 2025 01:11 PM IST
सार

केरल वक्फ बोर्ड ने मुनंबम की 400 एकड़ जमीन पर अपना दावा किया है, जिसके खिलाफ इस जमीन पर बसे 600 परिवार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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kerala Munambam Waqf land protest leader to contest local body polls on Congress ticket
वक्फ संपत्ति - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मुनंबम जमीन सुरक्षा परिषद के नेता जोसेफ बेनी, जो लंबे समय से केरल वक्फ बोर्ड के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, कांग्रेस के टिकट पर निकाय चुनाव में उतरेंगे। मुनंबम जमीन सुरक्षा परिषद के संयोजक जोसेफ बेनी मुनंबम खंड की वाइपिन ब्लॉक पंचायत से चुनाव लड़ेंगे। सोमवार को इस बारे में मीडिया से बात करते हुए बेनी ने कहा कि उन्होंने मुनंबम के लोगों के लिए चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दरअसल मुनंबम के लोगों की जमीन पर केरल वक्फ बोर्ड ने दावा किया है। 
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कांग्रेस नेतृत्व ने दिया टिकट का ऑफर
जोसेफ बेनी ने कहा कि 'कांग्रेस नेताओं ने उन्हें चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया। जिसके बाद अन्य लोगों से चर्चा के बाद मैंने 600 परिवारों के लिए चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जो वक्फ बोर्ड से अपनी जमीन वापस लेने की लड़ाई लड़ रहे हैं।' बेनी ने कहा कि उनकी कोई राजनीतिक महत्वकांक्षा नहीं है। हालांकि साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वे कॉलेज कैंपस से ही राजनीति में शामिल रहे हैं। अभी जोसेफ बेनी के चुनाव लड़ने की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।
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रविवार को मुनंबम जमीन विवाद के खिलाफ मुनंबम जमीन सुरक्षा परिषद के विरोध प्रदर्शन का 400वां दिन था। बेनी ने कहा कि 'अदालत भी कह चुकी है कि यह जमीन वक्फ की नहीं है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने हमारे राजस्व अधिकार बहाल नहीं किए हैं। हम हमारी मांगों के पूरा होने के अभी विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।' केरल वक्फ बोर्ड ने मुनंबम की 400 एकड़ जमीन पर अपना दावा किया है, जिसके खिलाफ इस जमीन पर बसे 600 परिवार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 

क्या है मुनंबम भूमि विवाद
केरल के एर्नाकुलम जिले में वाइपिन द्वीप पर मुनंबम तटीय इलाके में सैंकड़ों एकड़ जमीन पर कई गांव बसे हैं, जहां पारंपरिक तौर पर मछली पकड़ने वाले समुदाय के लोग रहते हैं। यहां 404 एकड़ जमीन पर केरल राज्य वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया। इस दावे के खिलाफ इस जमीन पर बसे 600 परिवार विरोध में उतर आए हैं। इनमें से 400 परिवार ईसाई हैं और पिछड़े लैटिन कैथोलिक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। बाकी परिवार हिंदुओं के हैं। विवाद इस बात को लेकर है कि साल 1902 में त्रावणकोर शाही परिवार ने 404 एकड़ जमीन अब्दुल सत्तार मूसा नाम के व्यापारी को यह जमीन पट्टे पर दी थी। अब्दुल सत्तार बाद में कोच्चि शिफ्ट हो गए। पीड़ित परिवारों का दावा है कि जमीन पट्टे पर दिए जाने से पहले से ही उनके पूर्वज यहां बसे हुए थे। 

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1948 में अब्दुल सत्तार के दामाद मोहम्मद सिद्दीक ने इस जमीन को अपने नाम पर रजिस्टर कराया और बाद में इसे कोझिकोड के फारूख कॉलेज के प्रबंधन को जमीन सौंपने का फैसला किया। साल 1950 में कोच्चि के एडापल्ली के सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में एक वक्फ डीड रजिस्टर किया गया, जिसे सिद्दीक द्वारा फारूख कॉलेज के अध्यक्ष के नाम से रजिस्टर किया गया था। वक्फ डीड वह दस्तावेज होता है, जो किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करता है। साल 1960 में इस जमीन को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हुई। जमीन पर रहने वाले लोगों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। साल 2008 में केरल सरकार ने एक जांच आयोग गठित किया। साल 2009 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया। साल 2019 में केरल राज्य वक्फ बोर्ड ने संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। साल 2022 में यह मामला फिर से हाईकोर्ट पहुंचा और अभी भी इसे लेकर कई अपील कोर्ट में दाखिल हैं। 

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