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Supreme Court: बीआरएस विधायकों की अयोग्यता का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना स्पीकर को भेजा अवमानना नोटिस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Mon, 17 Nov 2025 02:08 PM IST
सार
सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। यह अदालत की घोर अवमानना है। अब ये वो ही फैसला करें कि क्या वे नए साल का जश्न मनाना चाहते हैं।'
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बीआरएस विधायकों के अयोग्यता मामले पर तेलंगाना के स्पीकर को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह नोटिस, विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के निर्देश का पालन न करने के लिए जारी किया। बीती 31 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधानसभा स्पीकर को निर्देश दिया था कि वे तीन महीने के भीतर बीआरएस के 10 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लें।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप
हालांकि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद तय समयसीमा के भीतर फैसला नहीं लिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई के दौरान पीठ ने इसे अदालत की घोर अवमानना माना और स्पीकर को नोटिस जारी किया है। हालांकि पीठ ने तेलंगाना स्पीकर को अभी अगले आदेश तक अदालत में पेश होने से छूट दे दी है।
तेलंगाना स्पीकर कार्यालय ने भी दायर की याचिका
तेलंगाना विधानसभा स्पीकर कार्यालय की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए आठ हफ्तों का समय और देने की मांग की गई है। इस याचिका पर भी अदालत ने नोटिस जारी किया है। स्पीकर ऑफिस की तरफ से पेश हुए वकील ने बताया कि विधायकों की अयोग्यता संबंधी चार मामलों पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और तीन अन्य में सबूत रिकॉर्ड किए जा चुके हैं। इस पर सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। यह अदालत की घोर अवमानना है। अब ये वो ही फैसला करें कि क्या वे नए साल का जश्न मनाना चाहते हैं।' अदालत ने फिलहाल मामले की सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाल दी है।
ये भी पढ़ें- Bangladesh: अपदस्थ पीएम शेख हसीना को ट्रिब्यूनल ने ठहराया मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी, सुनाई मौत की सजा
क्या है मामला
जिन विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होना है, वे बीआरएस छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। दल-बदल विरोधी कानून के तहत स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना था, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो बीआरएस नेता केटी रामाराव, पदी कौशिक रेड्डी और केओ विवेकानंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जिसके बाद बीती 31 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधानसभा स्पीकर को निर्देश दिया था कि वे तीन महीने के भीतर बीआरएस के 10 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लें।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप
हालांकि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद तय समयसीमा के भीतर फैसला नहीं लिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर सुनवाई के दौरान पीठ ने इसे अदालत की घोर अवमानना माना और स्पीकर को नोटिस जारी किया है। हालांकि पीठ ने तेलंगाना स्पीकर को अभी अगले आदेश तक अदालत में पेश होने से छूट दे दी है।
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तेलंगाना स्पीकर कार्यालय ने भी दायर की याचिका
तेलंगाना विधानसभा स्पीकर कार्यालय की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए आठ हफ्तों का समय और देने की मांग की गई है। इस याचिका पर भी अदालत ने नोटिस जारी किया है। स्पीकर ऑफिस की तरफ से पेश हुए वकील ने बताया कि विधायकों की अयोग्यता संबंधी चार मामलों पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और तीन अन्य में सबूत रिकॉर्ड किए जा चुके हैं। इस पर सीजेआई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। यह अदालत की घोर अवमानना है। अब ये वो ही फैसला करें कि क्या वे नए साल का जश्न मनाना चाहते हैं।' अदालत ने फिलहाल मामले की सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाल दी है।
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क्या है मामला
जिन विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होना है, वे बीआरएस छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। दल-बदल विरोधी कानून के तहत स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना था, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो बीआरएस नेता केटी रामाराव, पदी कौशिक रेड्डी और केओ विवेकानंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। जिसके बाद बीती 31 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने विधानसभा स्पीकर को निर्देश दिया था कि वे तीन महीने के भीतर बीआरएस के 10 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लें।
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