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CAPF: एलॉयंस ने केंद्रीय बलों के स्थापना समारोह की तिथि बदलने पर जताया ऐतराज, CRPF के बाद BSFरेजिंग डे पर सवाल

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Mon, 17 Nov 2025 03:37 PM IST
सार

बसे बड़े शांति रक्षक बल 'सीआरपीएफ' के स्थापना दिवस यानी जन्मदिन पर होने वाले भव्य आयोजन परेड समारोह की तिथियों के बदलाव पर विभिन्न एक्स पैरामिलिट्री वेलफेयर संगठनों द्वारा कड़ा ऐतराज जताया गया है।

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CAPF: Alliance objects to changing date of raising ceremony of central forces questions BSF Raising Day
सीएपीएफ - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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देश की पहली रक्षा पंक्ति 'बीएसएफ', हिमालय में बर्फीली सरहदों की चौकसी करने वाले हिमवीर यानी 'आईटीबीपी' व सबसे बड़े शांति रक्षक बल 'सीआरपीएफ' के स्थापना दिवस यानी जन्मदिन पर होने वाले भव्य आयोजन परेड समारोह की तिथियों के बदलाव पर विभिन्न एक्स पैरामिलिट्री वेलफेयर संगठनों द्वारा कड़ा ऐतराज जताया गया है। एलॉयंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, बॉर्डर गार्डिंग फोर्स 'बीएसएफ' की स्थापना एक दिसंबर 1965 को हुई थी। हर साल एक दिसंबर को आयोजित होने वाले 'स्थापना दिवस' परेड समारोह की तिथि में इस बार बदलाव कर उसे 21 नवंबर कर दिया गया है। यह परेड समारोह गुजरात के 'भुज' में आयोजित होगा। इस परेड की सलामी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लेंगे।  

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रणबीर सिंह के मुताबिक, आईटीबीपी जिसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1962 को हुई थी। हर साल केंद्रीय स्तर पर 24 अक्टूबर को आयोजित होने वाले स्थापना दिवस परेड की तिथि में इस बार बदलाव किया गया है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि यह परेड समारोह 22 नवंबर 2025 को ऊधमपुर में आयोजित होने जा रहा है। इससे पहले भी 62वें और 63वें आईटीबीपी स्थापना दिवस परेड समारोह के केंद्रीय स्तर पर होने वाले आयोजनों की तिथियों में बदलाव किया गया था। सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' की स्थापना 27 जुलाई 1939 में नीमच में हुई थी। इस तिथि में भी कई बदलाव किया गया। कभी 27 जुलाई तो कभी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल के जन्मदिन पर स्थापना दिवस समारोह आयोजित हुआ। एलॉयंस के पदाधिकारी के अनुसार, 31 अक्टूबर के ही दिन जब केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह, सीआरपीएफ सेंटर झाडोदा कलां में सलामी ले रहें थे तो उसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। बाद में उस तिथि को बदलकर 19 मार्च किया गया। वजह, इस दिन सरदार पटेल ने सीआरपीएफ को कलर (झंडा) प्रदान किया था। 
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19 मार्च 2024 को जगदलपुर छत्तीसगढ़ में सीआरपीफ का 85वां स्थापना दिवस परेड समारोह आयोजित हुआ, लेकिन अगले साल आयोजित होने वाली स्थापना दिवस परेड को 19 मार्च के बजाय 17 अप्रैल कर दिया गया। यह निर्णय, केंद्रीय गृह मंत्री की इन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित होने की टाइमिंग को लेकर लिया गया। 

आईटीबीपी के पूर्व आईजी एसके शर्मा ने इस प्रकार के सेरेमोनियल कार्यक्रमों की तिथियों में बदलाव पर चिंता जताई है। बिहार चुनावों के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की सैंकड़ों कम्पनियों की तैनाती की गई, जिससे बार्डर आउट पोस्ट पर तैनात जवानों को अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ रही है। अब नवंबर में केंद्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आईटीबीपी के स्थापना दिवस परेड समारोह में भी सैकड़ों जवान बांट जोह रहे हैं कि कब वीआईपी अपनी सुविधानुसार समय व तिथि निर्धारित कर सलामी सम्मान लेने आएं। 

सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने कहा, कई मौकों पर वीआईपी द्वारा चुनावों, महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व स्वदेशी विदेशी दौरे की व्यस्तताओं के कारण या फोर्सेस महानिदेशकों द्वारा अपने निजी बेनिफिट के लिए उपरोक्त स्थापना दिवस सेरेमोनियल फंक्शन में बदलाव किए जा रहे हैं। पिछले कई वर्षों से तयशुदा तिथियों में बदलाव हो रहा है। इससे न केवल जवानों की दिनचर्या में फर्क पड़ता है, बल्कि पूरे बल के कार्मिकों के मनोबल को भी चोट पहुंचती है। साथ ही इस अनिश्चितता से जवानों के सालाना या आकस्मिक अवकाश योजना गड़बड़ाने से उनके परिवारों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ना लाजिमी है। अर्धसैनिक बलों के ऐसे गरिमामयी स्थापना दिवस परेड समारोहों का आयोजन वास्तविक तिथियों पर ही होना चाहिए।

पूर्व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अध्यक्ष एक्स आईजी बीएसएफ एसएस कोटियाल ने विरोध जताते हुए कहा कि इस प्रकार से तिथियों के बदलाव से फोर्स जवानों के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने इस प्रकार के बदलाव पर केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर नाराजगी व्यक्त की है। रणबीर सिंह द्वारा सेना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर होने वाले स्थापना दिवस परेड समारोहों की सलामी कर्नल, ब्रिगेडियर, मेजर जनरल या जनरल मुख्य अतिथि के तौर पर सलामी लेते हैं तो फिर वीआईपी या सम्माननीय मुख्य अतिथि की अनुपलब्धता के चलते क्यों न फोर्सेस एडीजी या डीजी स्वयं सलामी सम्मान लें। रणबीर सिंह के मुताबिक, बार-बार तिथियों व समारोहों स्थलों के बदलने से हर साल करोड़ों रुपए इस प्रकार के आयोजनों में खर्च किए जाते हैं। बेहतर होगा कि स्थापना दिवस परेड समारोह का आयोजन पहले की तरह राजधानी दिल्ली में ही किया जाए, ताकि मुख्य अतिथि को परेड समारोह स्थल तक भाग लेने में कोई दिक्कत न हो।

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