खालिस्तान: इन 21 को पनाह दे कर पीएम ट्रूडो ले बैठे पंगा, बन गए पाकिस्तानी आईएसआई के नापाक प्लान का हिस्सा
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विस्तार
खालिस्तानी आतंकियों को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कनाडा में मौजूद खालिस्तानी आतंकियों की सूची, वहां की सरकार के साथ साझा की गई थी। वे लोग किस तरह से खालिस्तान की आड़ लेकर भारत में तोड़फोड़ की गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं, इस बाबत विस्तृत जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद कनाडा सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। भारतीय जांच एजेंसियों ने कनाडा की सुरक्षा इकाई को खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े 21 लोगों की सूची भेजी थी। पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर पीएम मोदी तक ने यह मामला कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के समक्ष उठाया था। अगर समय रहते कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर रोक लग जाती है, तो अब दोनों देशों के बीच दूरी नहीं बढ़ती। लगभग दो दर्जन वांटेड को 'पनाह' देकर पीएम 'ट्रूडो', ने भारत से रिश्ते खराब कर लिए। अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष एमएस बिट्टा ने कहा, पाकिस्तान की नापाक चाल का हिस्सा बन प्रधानमंत्री ट्रूडो ने 'कनाडा-भारत' के बीच दूरी बढ़ा दी है।
खालिस्तानी आतंकियों पर मौन रही कनाडा सरकार
भारत की इंटेलिजेंस एवं जांच एजेंसियों ने कई बार कनाडा सरकार को खालिस्तानी गतिविधियों से अवगत कराया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 'एसएफजे' के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकी घोषित किया है। वह कनाडा में बैठकर भारत के खिलाफ लगातार आग उगल रहा है। कभी तो वह पाकिस्तान के लाहौर में जाकर खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह की बात करता है, तो कभी कनाडा में ऐसी घोषणा करता है। अब वहां पर रह रहे हिंदुओं को धमकी दी जा रही है। दूसरी ओर वहां पर मौजूद खालिस्तानी आतंकी, पंजाब में अपनी जड़ें जमा रहे हैं। भारतीय राजयनिकों को निशाना बनाने का प्रयास हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो से खालिस्तान को लेकर बातचीत की थी। ट्रूडो से कहा गया था कि वे कनाडा में चल रही भारत विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाएं। इसके बाद भी कनाडा प्रशासन ने खालिस्तान मूवमेंट को आगे बढ़ा रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
कनाडा में छिपे बैठे हैं ये खालिस्तानी
खालिस्तान टाइगर फोर्स के अर्शदीप सिंह डाला, सतिंदर जीत सिंह बराड़ उर्फ गोल्डी बराड़, सनोवर ढिल्लों, रमनदीप सिंह उर्फ रमन, खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के गुरजीत सिंह चीमा, गुरजिंदर सिंह पन्नू, गुरप्रीत सिंह, आईएसवाईएफ के टहल सिंह, आईएसवाईएफ के मलकीत सिंह फौजी, आईएसवाईएफ के मनवीर सिंह दोहरे, आईएसवाईएफ के पर्वकर सिंह दुलई उर्फ पैरी दुलई, केटीएफ के मोनिंदर सिंह बिजल, आईएसवाईएफ के भगत सिंह बराड़ उर्फ भग्गू बराड़, आईएसवाईएफ के सतिंदर पाल सिंह गिल, सुलिंदर सिंह विर्क, केएलएफ के मनवीर सिंह, लखबीर सिंह उर्फ लांडा, सुखदुल सिंह उर्फ सुख दुनेके, हरप्रीत सिंह, सुनदीप सिंह उर्फ सनी उर्फ टाइगर और केटीएफ के मनदीप सिंह धालीवाल शामिल हैं। इन खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया गया है।
कुछ लोगों के हाथों का मोहरा बने हैं ट्रूडो
अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष एमएस बिट्टा का कहना है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जानबूझकर खालिस्तानी आतंकियों पर रोक नहीं लगा रहे। वे जानते हैं कि इन आतंकियों के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई का हाथ है, इसके बावजूद पीएम ट्रूडो अपने सियासी फायदे के लिए खालिस्तानी मूवमेंट का साथ दे रहे हैं। भारत में खालिस्तान कभी नहीं बना था और न ही इसे कभी बनने देंगे। मैं उन मुट्ठी भर लोगों को बताना चाहता हूं कि यह आज का भारत है। पाकिस्तान के इशारे पर सिख समुदाय को खराब रोशनी में दिखाया जा रहा है। अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट में विशेषज्ञ माइकल रुबिन ने कनाडा के पीएम ट्रूडो को लेकर कहा है, वे उन लोगों के हाथों का मोहरा बने हैं, जो खालिस्तानी आंदोलन को अहंकार और फायदे के आंदोलन के तौर पर देखते हैं। जब पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता और वहां की सेना के अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली करीमा बलूच मारी गई तो पीएम ट्रूडो मौन रहे थे। तब भी कहा गया था कि करीमा की हत्या के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई का हाथ है।