'सुपर ब्लड वुल्फ मून' : 21 जनवरी को लगेगा चंद्रग्रहण, लाल चांद को देखकर चिल्लाते हैं भेड़िए
- नए साल का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लगने वाला है।
- सुपर ब्लड वुल्फ मून भी कहा जा रहा है।
- नासा ने इस ग्रहण को मोस्ट डैजलिंग शो यानी सबसे चमकदार शो कहा है।
विस्तार
नए साल का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लगने वाला है। इसे सुपर ब्लड वुल्फ मून भी कहा जा रहा है। 20 और 21 जनवरी की दरम्यान लगने वाला ग्रहण तीन चरणों में लगेगा। इस दौरान पूरा आकाश लाल रंग का चमक उठेगा। चंद्रमा पर लगने वाली इस पूरी प्रक्रिया को नासा ने मोस्ट डैजलिंग शो यानी सबसे चमकदार शो कहा है। चूंकि इस दौरान चांद पृथ्वी के सबसे करीब होगा इसलिए इसे सुपरमून भी कहा जाता है।
जबकि सूर्य ग्रहण रविवार 6 जनवरी को लगा, जिसे भारत में नहीं देखा गया। सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार रविवार सुबह 5 बजे से लगा। लगभग 3 घंटे 18 मिनट का यह आंशिक सूर्यग्रहण सुबह 9.18 बजे तक रहा। यह ग्रहण चीन, मंगोलिया, जापान, रूस और अलास्का के कुछ हिस्सों में देखा गया।
यह ग्रहण मध्य प्रशांत महासागर, उत्तरी/दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा, जबकि भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 08:07:34 से अगले दिन 13:07:03 बजे तक रहेगा। पिछला पूर्ण चंद्र ग्रहण साल 2018 में 27 जुलाई को पड़ा था, जो 1 घंटा 43 मिनट तक चला था।
चांद होगा धरती के बहुत करीब
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक सुपर मून या फुल मून पर चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले धरती के सबसे करीब 3,63,000 किमी दूर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर होता है तब वह 4,05,000 किमी की दूरी पर होता है।
क्यों कहा जाता है ब्लड मून
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ नोआह पेट्रो के मुताबिक सुपर मून पर चंद्रमा आम दिनों के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकदार होता है। इस दौरान चांद का रंग लाल तांबे जैसा नजर आता है, इसलिए इसे ब्लड मून भी कहा जाता है।
ग्रहण के दौरान चंद्रमा के रंग बदलने पर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दौरान सूरज की रोशनी धरती से होकर चंद्रमा पर पड़ती है। हमारे ग्रह की छाया पड़ने की वजह से चंद्रमा का रंग ग्रहण के दौरान बदल जाता है।