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Manipur Crisis Reason: मणिपुर 'संकट' पर बोले RSS प्रमुख भागवत- गुटों की आपसी लड़ाई-मतभेद सुलझाने में समय लगेगा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता। Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 22 Dec 2025 09:10 AM IST
सार

पूर्वोत्तर भारतीय राज्य मणिपुर लंबे समय तक जातीय हिंसा से जूझता रहा। हालात इतने गंभीर हो गए कि राज्य सरकार भंग हो गई। फिलहाल, इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। राज्य के हालात कब तक सामान्य होंगे? इस सवाल पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि मतभेदों को सुलझाने में समय लगेगा। जानिए भागवत ने और क्या बातें कहीं?

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Know Manipur crisis Reason RSS chief Mohan Bhagwat says resolving conflicts between groups will take time
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत - फोटो : ANI
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विस्तार
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मई, 2023 में भड़की जातीय हिंसा के बाद मणिपुर लगातार चर्चा में है। विपक्षी राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है। हालात कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विगत 10 महीने से अधिक समय से पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद 13 फरवरी, 2025 को केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का एलान किया था। हालात में पर्याप्त सुधार न होने के कारण अगस्त, 2025 में राष्ट्रपति शासन की अवधि को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया। इस राज्य का संकट कैसे दूर होगा? जातीय हिंसा की मार झेल रहे लोगों के बीच मतभेद कैसे खत्म किए जाएं? प्रधानमंत्री मोदी समेत सरकार और संघ के बीच संबंध कैसे हैं? ऐसे तमाम सवालों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी राय दी है।

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अशांति का मुख्य कारण कानून और व्यवस्था की समस्या
कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा, भले ही जातीय संघर्ष से जूझ रहे अलग-अलग पक्षों का मतभेद सुलझाने में समय लगेगा, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि अंत में पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य में पूर्ण शांति भी बहाल होगी। संघ प्रमुख भागवत ने कहा, उन्होंने खुद इस राज्य के सभी आदिवासी और सामाजिक नेताओं के साथ-साथ युवा प्रतिनिधियों से बातचीत की है। यहां अशांति का मुख्य कारण कानून और व्यवस्था की समस्या है। हालांकि, ये समस्याएं धीरे-धीरे कम हो रही हैं और एक साल के भीतर ये पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
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पूर्वोत्तर भारत में RSS की क्या भूमिका कितनी अहम?
बकौल भागवत, 'विचारों में सामंजस्य स्थापित करना बड़ा काम है। इसमें समय लगेगा। शांति का एकमात्र तरीका संवाद करना और युद्धरत पक्षों को 'एक मंच पर' लाना है। संवाद किया जा सकता है, क्योंकि मूल रूप से वह भावना पहले से ही मौजूद है।' इस राज्य में संघ की भूमिका को रेखांकित करते हुए भागवत ने कहा, 'हम अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड समेत अन्य राज्यों में संवाद कर रहे हैं। मणिपुर में आरएसएस की लगभग 100 शाखाएं हैं।'


ये भी पढ़ें- RSS: 'लिव-इन में रहने वाले जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं, विवाह शारीरिक संतुष्टि का जरिया नहीं', भागवत का बयान


सरकार और संघ के बीच कैसे रिश्ते?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से जुड़े एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा, संघ ने हमेशा ही राजनीतिक दल- भाजपा से दूरी बनाए रखी है। उन्होंने कहा, 'हम सभी भाजपा नेताओं से बहुत दूरी बनाए रखते हैं। नरेंद्र भाई (प्रधानमंत्री मोदी) और अमित भाई (केंद्रीय गृह मंत्री शाह) के हमेशा से करीबी रहे हैं।' संघ प्रमुख ने स्पष्ट किया, 'आरएसएस और भाजपा नेतृत्व के बीच संबंधों को लेकर इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो, संघ किसी से भी अपने संबंधों को छिपाता नहीं है।'


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पश्चिम बंगाल दौरे पर भागवत कई और मुद्दों पर भी बोले
गौरतलब है कि संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लगातार कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। इसी कड़ी में भागवत पश्चिम बंगाल पहुंचे हैं। कोलकाता में कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मणिपुर पर टिप्पणी से इतर देश की समाजिक व्यवस्था के साथ-साथ धर्म और जाति आधारित व्यवस्था को लेकर भी अहम बयान दिए। भागवत ने कहा कि भारत के समाज में विवाह केवल शारीरिक संतुष्टि का जरिया नहीं है।


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