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Local body polls: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में निकाय चुनाव की दी अनुमति, नतीजे घोषित करने पर पर लगाई रोक
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Fri, 28 Nov 2025 06:31 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में जिन 57 स्थानीय निकायों में आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन हुआ, उनके चुनाव के अंतिम परिणाम इस मामले में उसके फैसले पर निर्भर करेंगे।
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे दी, लेकिन नतीजे घोषित करने पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण वाले निकायों समेत सभी निकायों के चुनाव परिणाम अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण विवाद पर अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे। बता दें कि मई 2025 में पीठ ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग को लंबे समय से रुके हुए चुनाव चार महीने के अंदर कराने और बंठिया आयोग की रिपोर्ट में मौजूद कानूनी ढांचे के आधार पर ओबीसी आरक्षण देने का निर्देश दिया था।
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भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी कई याचिकाओं पर विचार कर रही थी। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने यह भी कहा कि लोकल बॉडी में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी 27 याचिकाओं पर तीन जजों की बेंच 21 जनवरी, 2026 को अंतिम सुनवाई करेगी।
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राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने पीठ को बताया कि 246 नगरपालिका परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है तथा 2 दिसंबर को मतदान भी निर्धारित है। इनमें से 40 नगरपालिका परिषदों और 17 नगर पंचायतों में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक है।
बयान को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव करा सकता है, लेकिन नतीजे केस के आखिरी नतीजे पर निर्भर करेंगे। स्टेट पोल पैनल दूसरे जिला परिषद, पंचायत समिति और नगर परिषद के चुनाव करा सकता है, जहां 50 फीसदी कोटा तोड़ने का मुद्दा नहीं है। हालांकि, इन निकाय चुनाव के नतीजे भी केस के आखिरी फैसले पर निर्भर करेंगे।
यह अस्थायी व्यवस्था : सीजेआई
वरिष्ठ वकील ने आशंका जताई कि यदि स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए तो चुनाव प्रक्रिया फिर टल सकती है। इस पर सीजेआई ने कहा कि पहले से जारी आदेश चुनाव करवाने के लिए पर्याप्त हैं, फिर भी अदालत ने स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए लिखित आदेश में यह भी जोड़ दिया कि जिन जिला परिषदों व पंचायत समितियों में आरक्षण 50 फीसदी से कम है, वहां चुनाव पूर्व आदेशों के अनुरूप कराए जाएं। लेकिन नतीजे अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे। सीजेआई कांत ने कहा, आज हम मामले की अंतिम सुनवाई होने तक केवल एक अस्थायी व्यवस्था कर रहे हैं। 21 जनवरी को तीन न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर सकती है। किसी भी पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को अपने ऑर्डर का पालन न करने के लिए फटकार लगाई थी और उसे 2022 से रुके हुए स्थानीय निकाय चुनाव बिना किसी और एक्सटेंशन के 31 जनवरी, 2026 तक पूरे करने का निर्देश दिया था।