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Lok Sabha Speaker: लोकसभा में अध्यक्ष पद के चुनाव में किसका पलड़ा कितना मजबूत? वोटिंग से पहले समझें पूरा गणित

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Wed, 26 Jun 2024 11:10 AM IST
सार

लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में उतरने के लिए विपक्ष ने अंतिम समय में तब फैसला लिया, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी इस शर्त को नहीं माना कि राजग के उम्मीदवार बिरला का समर्थन करने के ऐवज में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को उपाध्यक्ष पद दिया जाना चाहिए।

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Lok Sabha Speaker Election NDA India position in Parliament Know Full Details in Hindi
LS Speaker - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच मंगलवार को आम-सहमति नहीं बन सकी। ऐसे में अब भाजपा सांसद ओम बिरला का मुकाबला कांग्रेस के कोडिकुन्नील सुरेश के साथ होगा। बिरला ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और सुरेश ने विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के उम्मीदवारों के तौर पर अपना-अपना नामांकन किया।

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लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में उतरने के लिए विपक्ष ने अंतिम समय में तब फैसला लिया, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी इस शर्त को नहीं माना कि राजग के उम्मीदवार बिरला का समर्थन करने के ऐवज में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को उपाध्यक्ष पद दिया जाना चाहिए।
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Lok Sabha Speaker Election NDA India position in Parliament Know Full Details in Hindi
लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव। - फोटो : अमर उजाला

लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार 
ओम बिरला

  • सबसे सक्रिय सांसदों में रहे, स्पीकर के रूप में कड़े फैसले लेने के लिए भी जाने गए
  • राजस्थान के कोटा से तीन बार के सांसद ओम बिरला राजस्थान में तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
  • बतौर सांसद पहले कार्यकाल में  86 फीसदी उपस्थिति के साथ 671 प्रश्न और 163 बहसों में भागीदारी की थी। 2019 में दूसरी बार सांसद बनने पर लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया।
  • बिरला के कार्यकाल में नए संसद भवन का निर्माण हुआ। 
  • तीन आपराधिक कानून, अनुच्छेद 370 को हटाने, नागरिकता संशोधन अधिनियम समेत कई ऐतिहासिक कानून भी पारित हुए। 
  • उन्होंने लोकसभा के 100 सांसदों के निलंबन व संसद की सुरक्षा पर कुछ कड़े फैसले लिए।


के सुरेश

  • केरल से आठ बार के सांसद, 2009 में हाईकोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया था निर्वाचन
  • लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार कोडिकुन्निल सुरेश केरल से आठ बार के सांसद हैं।
  • 4 जून 1962 को तिरुवनंतपुरम में जन्मे के सुरेश 1989 में पहली बार  लोकसभा सांसद बने। 1991, 1996 और 1999 में भी वह लोकसभा पहुंचे। 1998 व 2004 में हारे, लेकिन 2009 में वापसी की।
  • 2009 में केरल हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बहाल कर दिया था। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ने सुरेश को ईसाई बताते हुए उन पर अनुसूचित जाति से होने का फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने का आरोप लगाया था।

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लोकसभा स्पीकर के चुनाव पर सभी की नजरें - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स

ऐसा है सदन का गणित
सदन में भाजपा समेत राजग के 293 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी गठबंधन के पास 233 सदस्य हैं। दो लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा दिए जाने के बाद सदन में कुल सदस्यों की संख्या 542 रह गई है। फिलहाल सात सांसदों ने लोकसभा की सदस्यता की शपथ नहीं ली है। ऐसे में यह संख्या 535 रह गई है। 

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जानिए कैसा रहा ओम बिरला का अब तक का सियासी सफर। - फोटो : अमर उजाला

बिरला के नाम दर्ज होगा यह रिकॉर्ड
यदि कोटा से भाजपा सांसद बिरला फिर से लोकसभा अध्यक्ष चुने जाते हैं तो पांचवीं बार ऐसा होगा कि कोई अध्यक्ष एक लोकसभा से अधिक कार्यकाल तक इस पद पर आसीन रहेगा। कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एकमात्र ऐसे पीठासीन अधिकारी रहे, जिन्होंने सातवीं और आठवीं लोकसभा में दो कार्यकाल पूरे किए हैं।

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के सुरेश - फोटो : अमर उजाला

...तो पर्चियों से होगा मत विभाजन
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य के मुताबिक नए सदन के सदस्यों को अभी सीटें आवंटित नहीं की गई हैं तो इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले प्रणाली का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। पेश किए गए प्रस्तावों को उसी क्रम में एक-एक करके रखा जाएगा, जिस क्रम में वे प्राप्त हुए हैं। यदि आवश्यक हुआ तो उन पर मत विभाजन के माध्यम से निर्णय लिया जाएगा।

यदि अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव पारित हो जाता है (सदन द्वारा ध्वनिमत से स्वीकृत हो जाता है), तो पीठासीन अधिकारी घोषणा करेगा कि सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुन लिया गया है और बाद के प्रस्ताव पर मदतान नहीं होगा। यदि विपक्ष मत विभाजन पर जोर देता है तो वोट कागज की पर्चियों पर डाले जाएंगे। इसमें परिणाम आने में थोड़ा वक्त लगेगा।

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