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Maharashtra: 2023 में मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे ने बटोरीं सुर्खियां; अजित पवार की बगावत पर भी चर्चा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: ज्योति भास्कर Updated Wed, 27 Dec 2023 12:31 PM IST
सार

साल 2023 अलविदा की कगार पर है। पीछे मुड़कर देखने पर महाराष्ट्र में बीते लगभग 12 महीने के दौरान हुई अनेकों राजनीतिक घटनाएं याद आती हैं। हालांकि, सियासी गलियारों में अजित पवार की बगावत और मराठा आरक्षण के लिए कार्यकर्ता मनोज जरांगे की चर्चा सबसे अधिक हुई।

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मनोज जरांगे और अजित पवार (फाइल) - फोटो : social media
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विस्तार
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साल 2023 जब अंतिम पड़ाव पर है तो पूरे साल में घटी प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर चर्चा लाजमी है। इस साल के अंतिम कुछ महीने में चुनावी सरगर्मियां हावी रहीं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव कराए गए। कई अहम राजनीतिक घटनाओं के कारण महाराष्ट्र भी पूरे देश में चर्चित रहा। इनमें अजित पवार की अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत पर सबसे अधिक बातें हुईं। इसके अलावा मराठा आरक्षण की मांग कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे का अनशन भी सुर्खियों में रहा। उन्होंने सरकार को कानून न बनाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी। ईयर एंडर 2023 मे्ं आइए एक नजर डालते हैं महाराष्ट्र की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर;
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लातूर में जरांगे के गांव में लाठीचार्ज; तेज हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन

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मनोज जरांगे - फोटो : Social Media
दरअसल, कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठा कोटा आंदोलन का नेतृत्व किया। इस कारण वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आने में कामयाब रहे। मराठा आरक्षण की मांग कर रहे नेताओं के खिलाफ ओबीसी नेताओं ने कहा है कि मराठा कोटा से मौजूदा ओबीसी आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए। जब पुलिस ने बीते एक सितंबर को लातूर जिले में जरांगे के गांव में लाठीचार्ज किया तो आंदोलन तेज हो गया। पुलिस ने भूख हड़ताल कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

आंदोलन में सरकार को झुकना पड़ा
आंदोलन के दबाव में सरकार को जरांगे के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिसंबर में आश्वासन दिया था कि जरूरत पड़ने पर मराठों को कोटा देने के लिए विधानमंडल का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। हालांकि, अभी इस मुद्दे पर कोई ठोस एलान नहीं किया गया है।
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शिवसेना के बाद NCP की बगावत; अजित पवार ने बटोरीं सुर्खियां

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अजित पवार, सुप्रिया सुले, शरद पवार। - फोटो : अमर उजाला
राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 2022 में शिवसेना का दो-फाड़ होना भी सुर्खियों में रहा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना विभाजित हुई। भाजपा के साथ गठबंधन करने वाले शिंदे मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। 2023 में अजित पवार का बगावती बिगुल फूंकना चर्चा में रहा। उन्होंने एकनाथ शिंदे का दामन थामा। चाचा शरद पवार के खिलाफ जाने वाले अजित, शिवसेना-भाजपा के गठबंधन वाली सरकार में शामिल हो गए। जुलाई 2023 में अजित पवार के साथ कई राकांपा नेता भी सरकार में शामिल हुए। अजित, देवेन्द्र फड़णवीस के बाद महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री बने।

देश में दूसरा सबसे बड़ा प्रदेश है महाराष्ट्र
लोकसभा चुनावों और उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए इसे राजनीतिक चौसर माना गया। बता दें कि महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं, जो उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरी सबसे अधिक सीटें हैं। अपने चाचा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बगावती तेवर दिखाने वाले अजित पवार ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था। उन्होंने खुद को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष  बताया।

अजित की बगावत के बाद कानूनी विवाद शुरू हो गया। कौन सा गुट 'असली' एनसीपी है? चुनाव आयोग इस मुद्दे पर अभी विचार कर रहा है। इससे पहले फरवरी में चुनाव आयोग के फैसले से उद्धव ठाकरे समूह को झटका लगा था। चुनाव आयोग ने शिंदे के गुट को असली शिवसेना माना और चुनाव चिह्न (तीर-कमान) शिंदे गुट को दे दिया।

राज्यपाल की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

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Maharashtra Political Crisis:सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी पर तीखी टिप्पणी की - फोटो : self
इस साल की एक अन्य अहम घटना मई में सामने आई। सर्वोच्च न्यायालय ने शिवसेना के गुटों की तरफ से दायर अयोग्यता याचिका पर आदेश पारित किया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका पर तल्ख टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जब एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद अल्पमत में आ गए थे, तो उसी समय विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहना 'उचित निर्णय नहीं' था। अदालत ने कहा कि ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता क्योंकि वह विधानसभा में शक्तिपरीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे चुके थे।

सु्प्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने स्पीकर राहुल नार्वेकर से एकनाथ शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर शीघ्र फैसला लेने को कहा है। दिसंबर में इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पीकर को फैसला लेने के लिए 10 जनवरी 2024 तक मोहलत दी।

मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में सुनवाई

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मराठा आरक्षण आंदोलन - फोटो : AMAR UJALA
बता दें कि मराठा कोटा खत्म करने के अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। 24 जनवरी को इस पर सुनवाई होनी है। फैसले को राज्य सरकार ने चुनौती दी है। एक तरफ अदालत राज्य सरकार की सुधारात्मक याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गई है, तो दूसरी तरफ 20 जनवरी से जरांगे ने मुंबई में भूख हड़ताल की घोषणा भी की है। उनकी मांग है कि सभी मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र दिया जाए। कुनबी, एक कृषक समुदाय है जो पहले से ही ओबीसी सूची में शामिल है। मामले की राजनीतिक अहमियत देखते हुए एनसीपी नेता और मंत्री छगन भुजबल सहित कई ओबीसी नेताओं ने कहा है कि वे मराठों को ओबीसी कोटा से हिस्सा दिलाने का प्रयास बर्दाश्त नहीं करेंगे।

2024 में राजनेताओं की कड़ी परीक्षा होगी

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महाराष्ट्र के पूर्व सीएम फडणवीस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार (फाइल) - फोटो : ANI
सियासी समीक्षकों का मानना है कि 2024 के चुनाव महाराष्ट्र के सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं के लिए अग्निपरीक्षा साबित हो सकती है। इसमें उद्धव ठाकरे, शरद पवार, एकनाथ शिंदे, अजित पवार और देवेंद्र फडनवीस सरीखे चर्चित नेताओं के अलावा प्रदेश के कई और कद्दावर नेताओं के नाम भी शामिल हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रत्नाकर महाजन के मुताबिक आने वाले समय में और बी राजनीतिक टूट और भ्रम जैसे हालात देखे जा सकते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने कहा कि निहित राजनीतिक स्वार्थों के कारण जानबूझकर जातिगत तनाव पैदा किया जा रहा है। चुनावों पर इसका असर जरूर पड़ेगा। भाजपा नेता माधव भंडारी ने कहा कि जातिगत संघर्ष सतही घटना है। इसका 2024 के आम चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, हाल ही में हुए ग्राम पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन करने का दावा किया था। हालांकि यह साबित हुआ कि ये चुनाव पार्टी को आधार बनाकर नहीं लड़े गए। 
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