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Malegaon: एटीएस ने गवाह को योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया; अदालत ने नहीं माना

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नितिन गौतम Updated Sat, 02 Aug 2025 12:11 PM IST
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सार

गवाह ने बताया कि एटीएस अधिकारियों ने उसे ये भी कहा कि अगर वह इन लोगों के नाम ले लेगा तो उसे छोड़ दिया जाएगा। अदालती दस्तावेजों के अनुसार, जब गवाह ने नाम लेने से मना किया तो उसे तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर श्रीराव और असिस्टेंट कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा प्रताड़ित करने का डर दिखाया गया।

Malegaon blast case witness says Forced to name yogi Adityanath court scraps his statement to ATS
2008 मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी आरोपी बरी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मालेगांव धमाका मामले में एक गवाह ने विशेष अदालत को बताया था कि महाराष्ट्र एटीएस ने उसे इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था। विशेष जज एके लोहाटी ने गुरुवार को मालेगांव धमाके के सभी सात आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि गवाह के बयान पर यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि गवाह ने अदालत में बताया कि यह बयान उसने इच्छा के विरुद्ध जाकर दिया था। 
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गवाह पर इन लोगों के नाम लेने का बनाया गया दबाव
मालेगांव ब्लास्ट केस में विशेष अदालत के फैसले की 1000 पन्नों की कॉपी शुक्रवार को उपलब्ध हुई। इन दस्तावेजों से पता चला कि महाराष्ट्र एटीएस ने गवाह मिलिंद जोशीराव से अक्तूबर 2008 में पूछताछ की थी। इस पूछताछ में मिलिंद से दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत के कामकाज के बारे में जानकारी मांगी गई थी। साथ ही गवाह से रायगढ़ किले में हुई बैठक के बारे में भी पूछा गया। रायगढ़ किले में हुई बैठक में ही कथित तौर पर मालेगांव ब्लास्ट मामले के आरोपियों ने हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ ली थी। 
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जब मिलिंद जोशीराव की अदालत में पेशी हुई तो मिलिंद ने अदालत में दावा किया कि 'एटीएस ने उससे आरोपी की तरह पूछताछ की। मिलिंद ने बताया कि उन्होंने (एटीएस अधिकारियों) उससे योगी आदित्यनाथ, असीमानंद, इंद्रेश कुमार, देवधर, प्रज्ञा ठाकुर और काकाजी का नाम अपने बयान में लेने को कहा।' गवाह ने बताया कि एटीएस अधिकारियों ने उसे ये भी कहा कि अगर वह इन लोगों के नाम ले लेगा तो उसे छोड़ दिया जाएगा। अदालती दस्तावेजों के अनुसार, जब गवाह ने नाम लेने से मना किया तो उसे तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर श्रीराव और असिस्टेंट कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा प्रताड़ित करने का डर दिखाया गया और उसे धमकी दी गई। गवाह ने ये भी कहा कि बयान में जो बातें हैं, वो उसे एटीएस की तरफ से लिखकर दी गईं।

ये भी पढ़ें- मालेगांव केस: कोर्ट से बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा का बयान, कहा- भगवा, हिंदुत्व और सनातन की हुई विजय

अदालत ने बयान नहीं माना
अदालत ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि गवाह ने बयान अनिच्छा से दिया। बयान की निष्पक्षता और इसकी सत्यता पर सवाल हैं। अदालत ने बयान को नहीं माना और कहा कि जो बयान दबाव में या अनिच्छा से दिया गया, उसे नहीं माना जा सकता। मालेगांव ब्लास्ट केस में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर,  लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सात आरोपियों को शुक्रवार को एक विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। नासिक के मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 घायल हुए थे। 


 
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