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मालेगांव ब्लास्ट: पूर्व ATS अफसर के दावे को NIA कोर्ट ने किया खारिज, संघ प्रमुख की गिरफ्तारी से जुड़ा था आदेश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: राहुल कुमार Updated Fri, 01 Aug 2025 10:42 PM IST
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सार

मालेगांव विस्फोट मामले की जांच करने वाले पूर्व एटीएस अधिकारी महिबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। जब मैंने आदेशों का पालन नहीं किया तो मेरे खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर मेरे करियर को बर्बाद कर दिया गया। 
 

Malegaon blast: Special court junks former ATS officer's claim of order to arrest Mohan Bhagwat
मोहन भागवत (फाइल) - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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मालेगांव ब्लास्ट (सितंबर 2008) मामले में सात आरोपियों को बरी करने वाले अपने फैसले में एनआईए की विशेष अदालत ने महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर द्वारा किए गए उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था।

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विशेष एनआईए न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने 1000 पन्नों से अधिक के फैसले में कहा कि आरोपी सुधाकर द्विवेदी के वकील द्वारा दिए गए इस तर्क में कोई दम नहीं है। जिसमें उन्होंने मुजावर के बयान का हवाला दिया था। न्यायाधीश ने कहा कि मुजावर द्वारा किए गए दावों का भरोसेमंद आधार नहीं है। 
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पूर्व पुलिस अधिकारी ने किया था ये दावा
महाराष्ट्र एटीएस का हिस्सा रहे एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का दबाव था और उन्हें पकड़ने के लिए कहा गया था। सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने कहा कि इस आदेश के पीछे उद्देश्य यह था कि एटीएस को "भगवा आतंकवाद" स्थापित करना था।

पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने कहा कि पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर एनआईए कोर्ट ने एटीएस के फर्जीवाड़े को नकार दिया है। बता दें कि शुरुआत में इस मामले की जांच आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी लेकिन 2011 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जांच अपने हाथ में ले लिया था। मुजावर ने कहा कि वह मालेगांव बम धमाके की जांच में एटीएस का हिस्सा थे जिसमें 6 लोग मारे गए थे और 101 लोग घायल हुए थे। 

ये भी पढ़ें: Malegaon Verdict: विशेष अदालत ने SIMI से जुड़े दावे को किया खारिज; कहा- इस पहलू की भी होनी चाहिए थी जांच

उन्होंने एक बरिष्ठ पुलिस अधिकारी का नाम लेते हुए कहा कि विशेष अदालत के फैसले ने फर्जी अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने उस समय क्या जांच की। लेकिन मुझे राम कालसांगरा, संदीप डांगे और दिलीप पाटीदार के अलावा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बारे में कुछ गोपनीय आदेश दिए गए थे। ये सभी आदेश ऐसे थे जिसका पालन नहीं किया जा सके।

मुजावर ने कहा कि उन्होंने इस आदेश का पालन नहीं किया क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी। मोहन भागवत जैसी हस्तियों को पकड़ना मेरी क्षमता से परे था। मैंने जब आदेश का पालन नहीं किया तो मेरे 40 साल के कैरियर को बर्बाद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मेरे इस दावे का दस्तावेजी सबूत है। उन्होंने कहा कि कोई भगवा आतंकवाद नहीं था। सब कुछ फर्जी था।

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