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Jharkhand: 10 लाख के इनामी नक्सली कमांडर ने किया आत्मसमर्पण, 50 से अधिक मामलों में है आरोपी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: राहुल कुमार
Updated Sat, 28 Sep 2024 11:36 PM IST
सार
Jharkhan: झारखंड के गिरिडीह जिले में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के स्वयंभू जोनल कमांडर राम दयाल महतो ने शनिवार को आत्मसमर्पण कर दिया। उस पर 10 लाख रुपये का इनाम था।
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माओवादी जोनल कमांडर राम दयाल महतो
- फोटो : X/@JharkhandPolice
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विस्तार
प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के स्वयंभू जोनल कमांडर राम दयाल महतो ने शनिवार को झारखंड के गिरिडीह जिले में आत्मसमर्पण कर दिया। राम दयाल महतो पर सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। रामदयाल महतो नक्सली संगठन में जोनल कमेटी का मेंबर रहा है। झारखंड के आसपास के कई जिलों में उनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।
हजारीबाग के डीआईजी सुनील भास्कर ने बताया कि राम दयाल महतो उर्फ बच्चन दा उर्फ नीलेश दा उर्फ अमर दा झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित था। उसने राज्य पुलिस की 'नई दिशा-एक नई पहल' के तहत समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया।
महतो पिपराडीह का निवासी है। उसके पास करीब 1.5 एकड़ कृषि भूमि है। उसके खिलाफ 50 से अधिक नक्सली मामले दर्ज हैं। इनमें से ज्यादातर मामले गिरिडीह जिले के हैं। डीआईजी ने कहा कि महतो के आत्मसमर्पण ने नक्सली संगठन की कमर तोड़ दी है। आने वाले दिनों में गिरिडीह, धनबाद और बोकारो जिलों में नक्सली गतिविधियों में भारी कमी आएगी।
पुलिस की ओर से जारी जानकारी में कहा गया है कि, राम दयाल महतो ने शिक्षक प्रशिक्षण के लिए आवेदन किया था और मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद साक्षात्कार भी दिया था। इसके बाद वह बीएमपी (बिहार सैन्य पुलिस) में शामिल हो गया, लेकिन 1971-72 में दानापुर छावनी के हैजा फैलने के चलते वापस लौट आया। इसके बाद महतो ने वन रक्षक पद के लिए भी परीक्षा दी थी, लेकिन असफल रहा। 1989-90 में नक्सली संगठन एमसीसी से प्रभावित होकर वह इसमें शामिल हो गया और एरिया कमांडर और जोनल कमांडर सहित विभिन्न पदों पर काम किया।
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हजारीबाग के डीआईजी सुनील भास्कर ने बताया कि राम दयाल महतो उर्फ बच्चन दा उर्फ नीलेश दा उर्फ अमर दा झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित था। उसने राज्य पुलिस की 'नई दिशा-एक नई पहल' के तहत समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया।
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महतो पिपराडीह का निवासी है। उसके पास करीब 1.5 एकड़ कृषि भूमि है। उसके खिलाफ 50 से अधिक नक्सली मामले दर्ज हैं। इनमें से ज्यादातर मामले गिरिडीह जिले के हैं। डीआईजी ने कहा कि महतो के आत्मसमर्पण ने नक्सली संगठन की कमर तोड़ दी है। आने वाले दिनों में गिरिडीह, धनबाद और बोकारो जिलों में नक्सली गतिविधियों में भारी कमी आएगी।
पुलिस की ओर से जारी जानकारी में कहा गया है कि, राम दयाल महतो ने शिक्षक प्रशिक्षण के लिए आवेदन किया था और मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद साक्षात्कार भी दिया था। इसके बाद वह बीएमपी (बिहार सैन्य पुलिस) में शामिल हो गया, लेकिन 1971-72 में दानापुर छावनी के हैजा फैलने के चलते वापस लौट आया। इसके बाद महतो ने वन रक्षक पद के लिए भी परीक्षा दी थी, लेकिन असफल रहा। 1989-90 में नक्सली संगठन एमसीसी से प्रभावित होकर वह इसमें शामिल हो गया और एरिया कमांडर और जोनल कमांडर सहित विभिन्न पदों पर काम किया।