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Maratha Quota Row: फडणवीस सरकार ने OBC मुद्दे पर बनाई छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति, बैठक से छगन भुजबल रहे नदारद

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 03 Sep 2025 03:52 PM IST
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सार

महाराष्ट्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के मुद्दों पर चर्चा के लिए छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति बनाने का फैसला किया है। ये फैसला मनोज जरांगे की तरफ से किए जा रहे अनशन के दौरान लिया गया है। वहीं मनोज जरांगे ने सरकार की तरफ से जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) स्वीकार करते हुए जूस पीकर अपना उपवास तोड़ा।

Maratha quota row: Maharashtra Cabinet decides to form six-member subcommittee for OBC community issues
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री - फोटो : ANI
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विस्तार
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महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण विवाद को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय के मुद्दों पर चर्चा के लिए छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति बनाने का फैसला किया है। इसमें तीनों सत्तारूढ़ दलों से दो-दो मंत्री शामिल होंगे। बता दें कि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे की मांग थी कि सभी मराठाओं को कुनबी जाति में शामिल किया जाए। कुनबी जाति ओबीसी वर्ग में आती है, जिससे मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
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एक दिन पहले जरांगे ने खत्म किया आंदोलन
मंगलवार को मनोज जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में अपना पांच दिन का अनिश्चितकालीन आंदोलन समाप्त कर दिया। उन्होंने सरकार की तरफ से जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) स्वीकार करते हुए जूस पीकर अपना उपवास तोड़ा। इस दौरान मनोज जरांगे भावुक नजर आए और उन्होंने कहा, 'आज मराठा समाज की जीत हुई है, यह हमारे लिए दिवाली जैसा दिन है।' आंदोलन स्थल पर समर्थकों ने गणपति आरती कर खुशी मनाई।

हैदराबाद गजेटियर के आधार पर लागू होगा फैसला
राज्य सरकार ने गांव स्तर पर समितियां बनाने और पुराने दस्तावेजों की जांच कर मराठा समुदाय के उन सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया है, जिनके पास ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं। यह निर्णय हैदराबाद गजेटियर के आधार पर लागू होगा। उपसमिति के प्रमुख राधाकृष्ण विके पाटिल ने जरांगे का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार मराठा समाज की 'न्यायसंगत मांगों को पूरा करने के लिए सकारात्मक कदम' उठा रही है।
 

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कैबिनेट बैठक से छगन भुजबल रहे नदारद
इस बीच, ओबीसी नेता और मंत्री छगन भुजबल, जो मराठाओं को ओबीसी आरक्षण देने का विरोध कर रहे हैं, बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने साफ कहा- मैं कैबिनेट बैठक में नहीं गया।' इससे पहले छगन भुजबल ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि अगर मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल कर मौजूदा ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ की गई तो ओबीसी समुदाय के लोग बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।

'मराठा आरक्षण पर सरकारी प्रस्ताव को अदालत में दूंगा चुनौती'
छगन भुजबल ने बुधवार को कहा कि वह पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से जारी सरकारी प्रस्ताव या आदेश के खिलाफ अदालत का रुख करेंगे। मराठा नेता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल के बीच जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) पर अपनी नाराजगी जताते हुए, अन्य पिछड़ा वर्ग के एक प्रमुख नेता भुजबल दिन में पहले हुई कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए।

उन्होंने कहा, 'ओबीसी नेताओं को जीआर को लेकर संदेह है... कि जरांगे के आंदोलन के बाद कौन जीता। हम इस बारे में कानूनी राय ले रहे हैं कि क्या सरकार लोगों की जाति बदलने के लिए अधिकृत है।' जब उनसे पूछा गया कि क्या वह स्वयं जीआर के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे, तो भुजबल ने हां में जवाब दिया। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की तरफ से बुलाई गई पार्टी नेताओं की बैठक में भी भाग नहीं लिया।

सरकार ने किसी साथ अन्याय नहीं किया- शिंदे
इस बीच, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भुजबल से बात करेंगे और उन्हें तथ्य समझाएंगे। उन्होंने कहा कि तथ्य जानने के बाद भुजबल शांत हो जाएंगे। एकनाथ शिंदे ने आगे कहा, 'सरकार की तरफ से लिया गया निर्णय कानून के अनुसार है। इस निर्णय में किसी अन्य समुदाय के साथ कोई अन्याय नहीं किया गया है।'



हाई कोर्ट में सुनवाई और जरांगे की समर्थकों से अपील
इधर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई टालते हुए उम्मीद जताई कि अगली तारीख तक कोई ठोस प्रगति होगी। अदालत को अटॉर्नी जनरल ने जानकारी दी कि पुलिस की मदद से सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है और प्रदर्शनकारियों की तरफ से हुए उल्लंघनों की सूची भी सौंपी गई है। वहीं मनोज जरांगे ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे पांच हजार से अधिक संख्या में इकट्ठा न हों और ट्रैफिक में बाधा न डालें।
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