Maratha Quota: मराठा आरक्षण पर राजनीति तेज, नितेश राणे बोले- EWS में मिले हक; ओबीसी में शामिल करना संभव नहीं
मनोज जरांगे के मुंबई में अनशन के तीसरे दिन मंत्री नितेश राणे ने कहा कि मराठा समाज को ओबीसी नहीं, बल्कि EWS कोटे के तहत आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने मराठों को कुनबी घोषित करने की मांग को महाराष्ट्र के सभी क्षेत्रों में अस्वीकार्य बताया और एनसीपी नेता रोहित पवार पर आंदोलन को फंड देने का आरोप लगाया।

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महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त गर्माहट देखने को मिल रही है। कारण है कि आज लगातार तीसरे दिन मनोज जरांग मराठा आरक्षण की मांग के लिए मुंबई के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे हैं। जरांगे के इस अनशन को सैकड़ों लोगों का समर्थन भी मिल रहा है, जिससे ये प्रदर्शन दिन प्रतिदिन और बड़ा होता जा रहा है। इसी बीच महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे का इस मामले में बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मराठा समाज को ओबीसी में नहीं, बल्कि पहले से मौजूद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के तहत आरक्षण मिलना चाहिए।

मराठा आरक्षण पर राणे का स्पष्ट रुख
मराठा आरक्षण को लेकर बढ़ते आवाज के बीच नितेश राणे ने कहा कि मराठाओं को कुनबी कहकर ओबीसी में शामिल करना पूरे महाराष्ट्र में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जरांगे अगर अपनी मांग केवल मराठवाड़ा तक सीमित रखें, तो सरकार विचार कर सकती है। लेकिन कोंकण और कई अन्य क्षेत्रों में मराठा और कुनबी दो अलग पहचान हैं और वहां के लोग यह बदलाव नहीं मानेंगे।
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माराठाओं को ओबीसी आरक्षण देना संभव नहीं- राणे
मामले में राणे ने साफ कहा कि मराठाओं को ओबीसी आरक्षण देना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही उनके लिए EWS के तहत 10% आरक्षण की व्यवस्था की है। यदि इसे बढ़ाने की मांग है, तो सरकार के साथ चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही राणे ने आरोप लगाया कि एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार, जरांगे के आंदोलन को वित्तीय मदद दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर रोहित पवार इनकार करते हैं तो मैं सबूत दूंगा।
चंद्रकांत पाटिल बोले – जाति से नहीं, आर्थिक हालात से पिछड़े हैं मराठा
वहीं इस मामले महाराष्ट्र सरकार में मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मराठा समाज ने कभी छुआछूत या सामाजिक भेदभाव का सामना नहीं किया, लेकिन कृषि से आय घटने और शिक्षा महंगी होने से उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ईडब्यूएस के तहत 10% आरक्षण पहले ही दिया है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दी है। मराठा समाज को इसी रास्ते से मदद मिल सकती है।
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क्या चाहते हैं जरांगे?
अब बात अगर जरांगे की मांग की करें तो अनशन पर बैठे जरांगे चाहते हैं कि मराठाओं को कुंभी जाति के रूप में मान्यता दी जाए, क्योंकि कुंभी ओबीसी श्रेणी में आते हैं, जिससे मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिलेगा। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुंभी घोषित कर आरक्षण देना चाहिए और हैदराबाद और सातारा के गजट नोटिफिकेशन को कानून बनाया जाए। हालांकि ओबीसी नेता इस मांग का विरोध कर रहे हैं।