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Maharashtra: ओबीसी आरक्षण आंदोलनकारी का बड़ा आरोप- जरांगे के भ्रम पैदा करने से मराठा युवा कर रहे आत्महत्या

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Thu, 20 Jun 2024 05:03 PM IST
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सार

महाराष्ट्र के जालना में गुरुवार को आठवें दिन भी ओबीसी आरक्षण को लेकर जारी अनिश्चिकालीन भूख हड़ताल जारी है। वहीं इस दौरान आरोप लगाया गया कि मराठा आरक्षण का आंदोलन चलाने वाले मनोज जरांगे के भ्रम फैलाने के कारण मराठा युवा आत्महत्या करने की कगार पर हैं।

Maratha youths ending lives as Jarange is creating confusion: OBC quota activist
ओबीसी आरक्षण आंदोलनकारी का मनोज जरांगे पर आरोप - फोटो : ANI
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विस्तार
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महाराष्ट्र में एक बार फिर से ओबीसी आंदोलन का मुद्दा जो पकड़ने लगा है। बता दें कि लक्ष्मण हेक और नवनाथ वाघमारे नाम के दो कार्यकर्ता 13 जून से जालना जिले के वाडीगोद्री गांव में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इस दौरान मराठा आरक्षण के कर्ता धर्ता मनोज जरांगे पर आरोप लगा है कि उनके द्वारा फैलाए गए भ्रम के कारण ही मराठा युवा आत्महत्या कर रहे हैं। दोनों कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर अपने हड़ताल की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है। दोनों कार्यकर्ताओं की  सरकार से आश्वासन मांग रहे हैं कि मराठा आरक्षण की मांग के मद्देनजर ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होगा।
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ओबीसी कोटा न हो प्रभावित- लक्ष्मण हेक
अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे आंदोलनकारी मनोज जरांगे की उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग का विरोध कर रहे हैं। जिसमें कुनबी को भी मराठा समुदाय के सदस्यों के 'ऋषि सोयारे' (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है। बता दें कि कुनबी, एक कृषि समूह है, जो ओबीसी श्रेणी में आता है, और मनोज जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा के लिए उचित पात्र बन सकें। 
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'ओबीसी समुदाय से मराठों की तुलना'
इस दौरान लक्ष्मण हेक ने कहा कि मराठा समुदाय शायद आर्थिक रूप से वंचित हो सकता है, लेकिन वे सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा, कि आरक्षण का मानदंड उन लोगों से संबंधित हैं जो सामाजिक रूप से पिछड़े हैं। इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि मराठों को सरकार के साथ अपने आर्थिक विकास के लिए योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिए। लक्ष्मण हेक ने आरोप लगाते हुए कहा कि जरांगे भ्रम पैदा कर रहे हैं, जिससे मराठा युवा आरक्षण को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं। जरांगे मराठों की तुलना ओबीसी समुदाय से कर रहे हैं। बता दें कि ओबीसी कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि 'ऋषि सोयारे' मसौदे को रद्द किया जाए।

'मुख्यमंत्री पर भी अनदेखी का लगाया आरोप'
ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेक ने इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर अपने आंदोलन के अनदेखी का आरोप लगाया है, मुख्यमंत्री ने हमारे आंदोलन को लेकर अपने आंख और कान बंद कर लिए हैं। उन्होंने बताया कि पालकमंत्री अतुल सावे, राज्यसभा सदस्य भागवत कराड और औरंगाबाद से नए सांसद बने संदीपन भूमिरे सोमवार को उनसे निजी तौर पर मुलाकात की है, ना कि सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर। वहीं जालना उपायुक्त डॉ. श्रीकृष्णा पांचाल ने बुधवार की रात उनसे मुलाकात की लेकिन वो भी उनके आंदोलन के मुद्दे को लेकर सरकार रवैये पर चुप रहे।

जालना उपायुक्त ने आरोपों को किया खारिज
वहीं जालना उपायुक्त ने आरोप को खारिज करते हुए संवाददाताओं को बताया कि मंत्री अतुल सावे मुख्यमंत्री की ओर से अनशन कर रहे ओबीसी कार्यकर्ताओं से मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि दोनों अनशनकारियों की हालत बिगड़ रही है और उन्होंने उन्हें इलाज के लिए मनाने की कोशिश की गई है। उन्होंने बताया कि फिलहाल डॉक्टरों की एक टीम और एक एम्बुलेंस को आंदोलन वाली जगह पर तैनात की गई है। इस दौरान उपायुक्त ने जिले में सड़कें जाम करने वाले ओबीसी सदस्यों से भी अपील की कि वे अपना विरोध शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से करें।

वंचित बहुजन अघाड़ी ने दिया समर्थन
हालांकि इस दौरान वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने लक्ष्मण हेक और नवनाथ वाघमारे से वाडीगोद्री गांव में मुलाकात की और अपन समर्थन दिया। अंबेडकर ने कहा कि सरकार मराठों और ओबीसी दोनों की समस्याओं को दूर करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि इससे ओबीसी और मराठा समुदायों के बीच टकराव हो सकता है। कोई भी मराठा नेता ओबीसी आंदोलन के मुद्दे पर बोलने नहीं आ रहा है। वो सिर्फ देख रहे हैं। मराठा नेताओं को आगे आकर दोनों समुदायों को शांत कराने का प्रयास करना चाहिए। बता दें कि मनोज जरांगे ने बुधवार को कहा था कि राज्य सरकार ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा कोटा की मांग को संबोधित करने से बचने के लिए कुछ आंदोलनों का समर्थन कर सकती है।
 
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