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MEA: भारत विरोधी बयानों पर विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को दी सख्त चेतावनी, चीन-अमेरिका को लेकर भी कही ये बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Thu, 14 Aug 2025 04:31 PM IST
सार

विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के नेताओं की भारत-विरोधी टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और उन्हें चेतावनी दी कि किसी भी दुस्साहस का नतीजा बुरा होगा। वहीं, इस्राइल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत ने संघर्ष विराम, बंधकों की रिहाई और दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन दोहराया। साथ ही पीएम मोदी के यूएनजीए दौरे पर भी अपडेट दिया गया।

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MEA  strong message to Pakistan over anti-India remarks reiterates old stand Israel-Palestine issue
रणधीर जायसवाल, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय - फोटो : ANI
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विस्तार
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विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के नेताओं के लगातार भारत-विरोधी बयानों पर कड़ा जवाब दिया है। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान की यह पुरानी आदत है कि वह अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए भारत के खिलाफ जहर उगलता है। साथ ही इस्राइल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत ने अपना पुराना रुख दोहराते हुए संघर्ष विराम और दो-राष्ट्र समाधान की मांग की।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान के नेतृत्व की लापरवाह, युद्धोन्माद भरी और नफरत फैलाने वाली टिप्पणियां नई नहीं हैं। यह उनका जाना-पहचाना तरीका है, जिससे वे अपनी नाकामियों पर पर्दा डालते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह का दुस्साहस पाकिस्तान को महंगा पड़ेगा, जैसा हाल ही में हुआ था।
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इस्राइल-फलस्तीन पर भारत का रुख
जायसवाल ने इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष पर कहा कि भारत का रुख साफ और स्थिर है। भारत संघर्ष विराम, सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई और गाजा में मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति का समर्थन करता है। भारत दो-राष्ट्र समाधान के पक्ष में है, ताकि दोनों देशों के लोग शांति और सुरक्षा के साथ रह सकें।

पीएम मोदी के रूस दौरे पर क्या बोला मंत्रालय?
प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में जाएंगे या नहीं, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने रूस के मॉस्को में होने वाले भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में हिस्सा लेंगे, जिसमें व्यापार, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग पर चर्चा होगी।

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भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में मजबूती
जायसवाल ने बताया कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी दोनों देशों के रिश्तों का अहम स्तंभ है। अगस्त के मध्य में अमेरिका का रक्षा नीति दल दिल्ली आएगा। इसी महीने अलास्का में दोनों देशों के बीच ‘युद्ध अभ्यास’ नामक सैन्य अभ्यास का आयोजन होगा। साथ ही, महीने के अंत में 2+2 अंतर-सत्रीय बैठक भी प्रस्तावित है, जिससे रक्षा और रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। वहीं, डॉलर को लेकर प्रवक्ता ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। डॉलर-विमुद्रीकरण भारत के वित्तीय एजेंडे का हिस्सा नहीं है।

रूस-अमेरिका बैठक पर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत, अमेरिका और रूस के बीच 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली प्रस्तावित बैठक का स्वागत करता है। उन्होंने बताया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच अहम मुद्दों पर संवाद को आगे बढ़ाने का सकारात्मक संकेत है। जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और भारत इस आगामी शिखर बैठक का समर्थन करता है, ताकि वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिल सके।

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चीन पर क्या बोला विदेश मंत्रालय?
विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन सीमा और व्यापार को लेकर भी अपनी रखी. इस पर प्रवक्त ने कहा कि हम सभी निर्दिष्ट व्यापार बिंदुओं यानि उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा, हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला दर्रा और सिक्किम में नाथू ला दर्रा के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने में सहायता के लिए चीनी पक्ष के साथ संपर्क में बने हुए हैं। यदि कोई अपडेट होगा, तो हम आपको सूचित करेंगे।

अमेरिकी मानवाधिकार रिपोर्ट पर भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी मानवाधिकार रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की गलत और पक्षपातपूर्ण समझ पर आधारित बताया। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट आरोपों, गलत प्रस्तुतियों और एकतरफा निष्कर्षों का मिश्रण है, जो भारत के बहुलतावादी समाज और मजबूत संस्थागत ढांचे को सही तरीके से नहीं दर्शाती। जायसवाल ने दोहराया कि भारत ऐसे पूर्वाग्रहपूर्ण आकलनों को कोई महत्व नहीं देता और समावेशी शासन व विकास के जरिये अपने नागरिकों के मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है।
 

डॉलर को हटाना भारत के वित्तीय एजेंडे का हिस्सा नहीं: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि भारत का डॉलर को हटाने का कोई प्लान नहीं है। उन्होंने कहा कि हम पहले भी यह बात कह चुके हैं, डि-डॉलराइजेशन यानी डॉलर को हटाना भारत के वित्तीय एजेंडे का हिस्सा नहीं है। भारत का यह बयान ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के उस सुझाव के बाद आया, जिसमें उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार के लिए एक अलग मुद्रा चर्चा करने की बात कही थी। जायसवाल ने कहा, भारत ब्रिक्स में साझा हितों पर काम करता रहेगा, लेकिन अपनी आर्थिक और रणनीतिक प्राथमिकताओं से समझौता नहीं करेगा। भारत कुछ देशों के साथ स्थानीय मुद्रा व्यापार कर रहा है, लेकिन कॉमन करेंसी को लेकर अभी कोई सहमति नहीं है।



 
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