सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Miners' body cautions against export duty on low-grade iron ore, mineral states may face over Rs 16000 cr los

Export Duty: लो-ग्रेड आयरन अयस्क पर निर्यात शुल्क से खनन उद्योग को झटका, FIMI बोला- राज्यों को होगा नुकसान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 17 Sep 2025 04:37 PM IST
विज्ञापन
सार

Export Duty On Low-Grade Iron Ore: अगर निम्न-ग्रेड आयरन अयस्क पर 30% तक निर्यात शुल्क लगाया गया तो कर्नाटक, गोवा और ओडिशा जैसे राज्यों को करोड़ों को नुकसान होगा। ये चेतावनी खनन उद्योग से जुड़े संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज की तरफ से दी गई है।

Miners' body cautions against export duty on low-grade iron ore, mineral states may face over Rs 16000 cr los
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobe Stock
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

खनन उद्योग से जुड़े संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) ने चेतावनी दी है कि अगर निम्न-ग्रेड आयरन अयस्क (58% से कम आयरन वाली अयस्क) पर 30% तक निर्यात शुल्क लगाया गया, तो कर्नाटक, गोवा और ओडिशा जैसे खनिज-समृद्ध राज्यों को 16000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होगा। इसके अलावा, खनन उद्योग आर्थिक रूप से अस्थिर हो जाएगा और लगभग पांच लाख लोगों की आजीविका पर संकट आ सकता है।
loader


यह भी पढ़ें - Stubble Burning: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा- क्यों न कुछ किसानों को गिरफ्तार कर कड़ा संदेश दिया जाए?    
विज्ञापन
विज्ञापन


वर्तमान में इस श्रेणी के आयरन अयस्क पर कोई निर्यात शुल्क नहीं है। लेकिन सरकार इसे बढ़ाकर 20 से 30 प्रतिशत तक करने पर विचार कर रही है। सरकार का उद्देश्य घरेलू बाजार में आयरन अयस्क की आपूर्ति बढ़ाना है। एफआईएमआई ने कहा कि यह कदम न सिर्फ खनन उद्योग पर गंभीर असर डालेगा, बल्कि इससे जुड़ी स्टील इंडस्ट्री पर भी दबाव बढ़ेगा। संगठन ने इस मुद्दे को कर्नाटक में लागू अधिकतम वार्षिक उत्पादन सीमा (एमपीएपी) से भी जोड़ा।

क्या है एमपीएपी?
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में आयरन अयस्क खनन पर माइन-वाइज प्रोडक्शन कैप यानी एमपीएपी लगाया था। इसका उद्देश्य उस समय की खनन गड़बड़ियों और निगरानी की कमी को दूर करना था। यह व्यवस्था अस्थायी थी, लेकिन अब तक लागू है। पूरे देश में सिर्फ कर्नाटक पर यह पाबंदी है, किसी और राज्य में नहीं।

एफआईएमआई की मांग
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज का कहना है कि जब एमपीएपी लगाया गया था, तब यह जरूरी था, लेकिन अब खनन उद्योग की निगरानी व्यवस्था पूरी तरह बदल गई है। एफआईएमआई (साउथ) के निदेशक एस.एस. हिरेमठ ने कहा,'अब यह सीमा भेदभावपूर्ण हो गई है और आयरन अयस्क उत्पादन की वृद्धि रोक रही है। इससे घरेलू स्टील उद्योग पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।'

यह भी पढ़ें - Supreme Court: वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सीपीसीबी से तीन हफ्ते में मांगा प्लान    

एफआईएमआई ने सुझाए दो बड़े कदम
इसे लेकर एफआईएमआई ने दो बड़े कदम सुझाए हैं। जिसमें पहला- निम्न-ग्रेड आयरन अयस्क पर निर्यात शुल्क न लगाया जाए और दूसरा- कर्नाटक से एमपीएपी पूरी तरह हटाया जाए। संगठन का कहना है कि अगर इन दोनों मुद्दों का सही समाधान नहीं किया गया, तो खनन और स्टील उद्योग दोनों को गंभीर नुकसान होगा और बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed