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Space Mission: अगले 15 वर्षों में 100 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च करेगा भारत, इसरो की आगामी योजनाओं का खाका तैयार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sat, 23 Aug 2025 09:46 PM IST
सार

भारत अगले 15 वर्षों में 100 से ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च करेगा। गगनयान-1 इस साल के अंत तक लॉन्च होगा, जबकि 2027 में पहला मानव मिशन और 2028 में चंद्रयान-4 भेजा जाएगा। 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने की योजना है।

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minister jitendra singh says India launch more than 100 satellites in next 15 years ISRO upcoming plans ready
डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में आने वाले 15 वर्षों के लिए बड़ा रोडमैप तैयार किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को बताया कि देश 2040 तक 100 से अधिक सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इसमें सरकारी तकनीकी मिशन के साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी भी होगी।
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उन्होंने आगे कहा कि यह योजना “विकसित भारत” के विजन को पूरा करने में मदद करेगी, जहां अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भोजन-पानी की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण और आम लोगों की जिंदगी में किया जाएगा। इस मौके पर इसरो प्रमुख वी. नारायणन, इनस्पेस प्रमुख पवन गोयंका और गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्री भी मौजूद रहे।
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अंतरिक्ष मिशन पर कही ये बात
मंत्री ने बताया कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब केवल प्रतीकात्मक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास का अहम हिस्सा बन चुका है। निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की एंट्री से इस क्षेत्र में इनोवेशन और उद्यमिता की लहर आई है। पहले जहां केवल सरकारी परियोजनाओं तक सीमित था, वहीं अब सैकड़ों स्टार्टअप इंटरप्लानेटरी मिशन से लेकर रोजमर्रा की गवर्नेंस में मददगार टेक्नोलॉजी बना रहे हैं।

गगनयान और भविष्य की योजनाएं
इसरो की आगामी योजनाओं का खाका भी सामने आया। साल के अंत तक गगनयान-1 मिशन लॉन्च होगा, जिसमें मानव-रोबोट ‘व्योममित्रा’ अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। 2027 में भारत अपनी पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान करेगा। इसके बाद 2028 में चंद्रयान-चार, शुक्र मिशन और 2035 तक "भारत अंतरिक्ष स्टेशन" की स्थापना की योजना है। मंत्री ने कहा कि 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य रखा गया है।

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अंतरिक्ष यात्रियों के अनुभव और दृष्टिकोण
गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों ने इस अवसर पर अपने विचार रखे। ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर ने कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता ने बहुत पहले ही अंतरिक्ष विज्ञान की नींव रख दी थी। उन्होंने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि हनुमान जी का “अंतरिक्ष मिशन” एक तरह का मिशन कंट्रोल जैसा था। ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन ने कहा कि अंतरिक्ष मिशन का हर काम धरती पर जीवन के लिए उपयोगी होना चाहिए और इसके लिए विनम्रता जरूरी है।

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अंतरिक्ष यात्रा का मानवीय और वैज्ञानिक पहलू
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने कहा कि अंतरिक्ष यात्री सिर्फ पायलट नहीं होते, बल्कि वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए अपने शरीर को रिसर्च का हिस्सा बनाते हैं। वहीं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने बताया कि जब उन्होंने धरती को अंतरिक्ष से देखा, तो उन्हें सीमाओं से परे एकता और प्रकृति का अद्भुत अनुभव हुआ। उन्होंने कहा कि राकेश शर्मा के बाद आज बच्चों में अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना केवल कल्पना नहीं बल्कि वास्तविक संभावना बन चुका है।

भारत ने प्रक्षेपण वाहनों के लिए नए स्वदेशी एकीकृत सर्किट से अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता को दिया बढ़ावा
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला के सहयोग से चार नए स्वदेशी एकीकृत सर्किट (आईसी) विकसित किए हैं। यह भारत के प्रक्षेपण वाहनों के एवियोनिक्स को मजबूती देंगे। इन चार उपकरणों को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने अपने एक्स हैंडल पर साझा किया है। ये चार नए उपकरण 16-कोर रीकॉन्फिगरेबल डेटा एक्विजिशन सिस्टम, हाई-फ्रीक्वेंसी ऑक्टल-कोर,ऑक्टल चैनल लो ड्रॉप आउट,लीनियर वोल्टेज रेगुलेटर और रिले ड्राइवर आईसी हैं। भारतीय आईसी से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता कम होने, प्रक्षेपण लागत कम होने और एवियोनिक्स हार्डवेयर के आकार में कमी आने की उम्मीद है।

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