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बॉम्बे हाईकोर्ट: पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल की याचिका खारिज, 11 साल की बच्ची के साथ बैड टच मामले में सजा कायम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: शुभम कुमार
Updated Tue, 18 Feb 2025 03:57 PM IST
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सार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल की याचिका खारिज कर दी है, जिसे 11 वर्षीय लड़की के साथ यौन उत्पीड़न के लिए पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने मामले में कहा कि पीड़िता ने आरोपी के बुरे स्पर्श को पहचानती थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट
- फोटो : एएनआई

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विस्तार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल की याचिका खारिज कर दिया है, जिसमें 11 वर्षीय लड़की के साथ यौन उत्पीड़न के लिए पांच साल की कैद की सजा को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पीड़िता आरोपी के बुरे स्पर्श के बारे में अच्छे से जानती थी। मामले में सुनवाई करते हुए न्यायामूर्ति रेवती मोहित डेरे और नीला गोखले की पीठ ने कहा कि अदालत में लड़की ने अपने पिता के कमरे से चले जाने के बाद आरोपी द्वारा उसके साथ जिस करह से व्यवहार किया उसके बारे में पीड़िता ने अच्छे से बताया।
मामले में कोर्ट का बयान
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि लड़की ने तुरंत बुरे स्पर्श को महसूस करते हुए अपने पिता को सूचना दी और पूरी घटना के बारे में स्पष्ट रूप से बताया। इस कारण, हाईकोर्ट ने यह माना कि जीसीएम (जनरल कोर्ट मार्शल) और एएफटी (आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल) के फैसले में कोई गलती नहीं थी। कोर्ट ने आरोपी के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का कोई सबूत नहीं पाया, और यह भी कहा कि फैसले में कोई कमी नहीं थी।
बता दें कि मार्च 2021 में सेना के जीसीएम ने सेना के पूर्व अधिकारी को एक नाबालिग लड़की पर यौन हमला करने। साथ ही यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी दोषी ठहराया था, जिसके बाद आरोपी को पांच साल की सजा सुनाई गई थी।
आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
मामले में सजा पाने के बाद पूर्व सैन्य अधिकारी ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका में दावा किया कि उसका कोई गलत इरादा नहीं था। आरोपी ने कोर्ट में बच्ची के प्रति बेटी जैसा रिश्ता होने का तर्क दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि पीड़ित लड़की की आरोपी के बुरे स्पर्श को पहचानने की प्रवृत्ति पर विश्वास किया जाना चाहिए।
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मामले में कोर्ट का बयान
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि लड़की ने तुरंत बुरे स्पर्श को महसूस करते हुए अपने पिता को सूचना दी और पूरी घटना के बारे में स्पष्ट रूप से बताया। इस कारण, हाईकोर्ट ने यह माना कि जीसीएम (जनरल कोर्ट मार्शल) और एएफटी (आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल) के फैसले में कोई गलती नहीं थी। कोर्ट ने आरोपी के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का कोई सबूत नहीं पाया, और यह भी कहा कि फैसले में कोई कमी नहीं थी।
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बता दें कि मार्च 2021 में सेना के जीसीएम ने सेना के पूर्व अधिकारी को एक नाबालिग लड़की पर यौन हमला करने। साथ ही यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी दोषी ठहराया था, जिसके बाद आरोपी को पांच साल की सजा सुनाई गई थी।
आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
मामले में सजा पाने के बाद पूर्व सैन्य अधिकारी ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका में दावा किया कि उसका कोई गलत इरादा नहीं था। आरोपी ने कोर्ट में बच्ची के प्रति बेटी जैसा रिश्ता होने का तर्क दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि पीड़ित लड़की की आरोपी के बुरे स्पर्श को पहचानने की प्रवृत्ति पर विश्वास किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही आरोपी ने दावा किया था कि जीसीएम ने मामले के सबूतों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। लड़की ने घटना के बाद तुरंत अपने पिता को फोन किया और शिकायत दर्ज कराई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि लड़की के बयान में कोई झूठ नहीं था और उसके द्वारा दिए गए विवरण में कोई संदेह नहीं था।