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यूपी चुनाव 2022: अजय मिश्र टेनी को लेकर असमंजस में केंद्र सरकार, सार्वजनिक कार्यकम में न जाने की सलाह

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रशांत कुमार झा Updated Tue, 21 Dec 2021 01:08 PM IST
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सार

राजनीतिक गलियारों में यहां तक चर्चा हैं कि टेनी ने माफी मांगते हुए इस्तीफा देने का प्रस्ताव दिया था, लोकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें संयमित और शांत रहने का निर्देश दिया है। टेनी को कुछ दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।

Modi government will no action against on minister ajay mishra teni to amid up election
गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी - फोटो : वीडियो ग्रेब

विस्तार
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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को लेकर संसद भवन में विपक्ष हमलावर है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाबत भी टेनी को लेकर राजनीतिक विरोध बढ़ रहा है, लेकिन टेनी के बारे में केंद्र सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहती। सरकार यहां दबाव में निर्णय लेकर अपनी कमजोरी जाहिर करने के पक्ष में नहीं है। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल अजय मिश्र टेनी को अपने वरिष्ठों से कुछ दिशा-निर्देश मिले हैं और वह इसका पालन कर रहे हैं।

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गृह मंत्रालय के प्रवक्ता, अधिकारी या अन्य कर्मचारी गृह राज्यमंत्री से जुड़े किसी मामले में कोई जानकारी देने से बचते हैं। संसद भवन में भाजपा के संजीदा नेता और मंत्री भी इससे जुड़े सवालों पर शांत रहना बेहतर समझते हैं। कुछ नेता दबी जुबान से मानते हैं कि अभी टेनी के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। खतरा टला नहीं है। 
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केंद्रीय नेतृत्व ने संयमित और शांत रहने की दी हिदायत
लखीमपुर खीरी में पत्रकार के साथ बदसलूकी और बदजुबानी के बाद अजय मिश्र टेनी को दिल्ली तलब किया गया था। बताते हैं इस दौरान टेनी को तल्ख लहजे में संवेदनशील होने की हिदायत दी गई। कह सकते हैं कि टेनी को फटकार लगाई गई। इसके अगले दिन टेनी अपने नार्थ ब्लॉक के दफ्तर में पीछे के गेट से चुपचाप गए। कार्यालय में काम किया। कुछ फाइलें निपटाई और पीछे वाले गुरुद्वारा रकाबगंज के गेट से लौटे। अजय मिश्र को 20 दिसंबर को सीमा सुरक्षा बल के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर असम के डिब्रूगढ़ जाना था, लेकिन वह नहीं गए। इससे पहले प्रधानमंत्री ने उ.प्र. के सांसदों के साथ बैठक की थी। उसमें भी टेनी की उपस्थिति नहीं थी। राजनीतिक गलियारों में यहां तक चर्चा हैं कि टेनी ने माफी मांगते हुए इस्तीफा देने का प्रस्ताव दिया था, लोकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें संयमित और शांत रहने का निर्देश दिया है। टेनी को कुछ दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं। कहा जाता है कि गृहमंत्री अमित शाह मामले की गंभीरता और राजनीतिक स्थिति दोनों को समझ रहे हैं। इसलिए पूरे प्रकरण पर सरकार बहुत सावधानी के साथ आगे बढ़ रही है। समझा जा रहा है कि अजय मिश्र टेनी को हिदायत दी गई है कि अभी वह लो प्रोफाइल रहें। सार्वजनिक कार्यक्रम से दूरी बनाएं और लोगों के साथ संवेदनशीलता से भरा धैर्यपूर्वक व्यवहार करें।

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हर तरफ से हो रही है टेनी को हटाने की मांग
किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि निष्पक्ष, दबाव रहित जांच सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को अभी अजय मिश्र टेनी को नैतिकता के आधार पर मंत्रिमंडल से बाहर कर देना चाहिए। जांच और प्रक्रिया पूरी होने के बाद केंद्र उन्हें फिर जो चाहे पद दे दे। कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी टेनी का इस्तीफा मांग रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, शिवसेना के संजय राउत, बसपा के कुंवर दानिश अली समेत कई पार्टियों के नेता टेनी को मंत्रिमंडल से बाहर करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि भाजपा के नेता इस मांग को खारिज कर देते हैं। भाजपा के एक सांसद का कहना है कि टेनी के बेटे आशीष मिश्रा आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी गठित है। जांच चल रही है। बेटे से जुड़े इस मामले में पिता के खिलाफ कार्रवाई की मांग, आखिर यह कौन सी बात हुई? कांग्रेस समेत कई दलों के सांसद इस मुद्दे पर संसद में चर्चा चाहते हैं। केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी इसे सिरे से खारिज कर देते हैं। दोनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चल रही है। मामला विचाराधीन है और ऐसे में उसके समानांतर संसद में चर्चा नहीं कराई जा सकती।

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कैसे करें कार्रवाई, कहीं कमजोर साबित न हो जाए सरकार
दरअसल, केंद्र सरकार के सामने टेनी का प्रकरण आगे कुआं और पीछे खाई जैसा है। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा टेनी पर कार्रवाई से गलत संदेश जाएगा। इसे सरकार की कमजोरी की तौर पर विपक्ष देख सकता है। लखीमपुर खीरी हिंसा प्रकरण में उनके पुत्र समेत 14 लोगों की भूमिका पर एसआईटी जांच कर रही है और मामला अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में मंत्रिमंडल से हटाए जाने पर जनता के बीच में टेनी के दोषी होने का संदेश जाने का खतरा बना रहेगा। दूसरा बड़ा खतरा टेनी पर कार्रवाई न करने का भी है। विपक्ष के मुद्दों के हवा देने तथा किसान नेताओं की नैतिकता के आधार पर टेनी से इस्तीफा लेने की मांग केंद्र की मोदी सरकार को किसान विरोधी होने का मुद्दा तैयार कर रही है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी विपक्ष द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उछालने की कोशिश हो सकती है और इसका भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। भाजपा के एक नेता कहते हैं कि यदि पत्रकार के साथ टेनी ने बदसलूकी न की होती तो सब ठीक था। पिछले सप्ताह की इस घटना ने जरूर कुछ दिन के लिए इस मुद्दे को फिर से हवा दे दी है।

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