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MQ9B Drone: भारत की तीनों सेनाओं के पास होंगे हंटर-किलर ड्रोन, क्यों यूपी के गोरखपुर में किया जा रहा है तैनात?
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सार
समझौते के तहत अमेरिका, भारत को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन देगा। इनमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को जबकि इंडियन आर्मी और भारतीय वायुसेना को इस ड्रोन के आठ-आठ स्काई वर्जन (स्काई-गार्जियन) मिलेंगे।

एमक्यू9बी ड्रोन।
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
भारत ने मंगलवार को अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी सी-गार्जियन ड्रोन के लिए 32,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। इनमें से 15 भारतीय नौसेना के लिए तथा 8-8 वायु सेना और थल सेना के लिए होंगे। यानी कि अब भारत की तीनों सेनाओं के पास हंटर-किलर ड्रोन होंगे, जो देश की समुद्री और जमीनी सीमा की सुरक्षा और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इससे पहले जब इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे, तब अमेरिका ने भारत को 31 एमक्यू-9बी ड्रोन बेचने की घोषणा की थी। वहीं हाल ही में 9 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने भारतीय सेनाओं के लिए 31 एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन खरीदने की अनुमति दी थी। अमेरिका ने इन ड्रोनों की खरीद की अंतिम मंजूरी अमेरिकी में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से कुछ सप्ताह पहले ही दी है।
चार साल में शुरू होगी डिलीवरी
इस समझौते के तहत अमेरिका, भारत को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन देगा। इनमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को जबकि इंडियन आर्मी और भारतीय वायुसेना को इस ड्रोन के आठ-आठ स्काई वर्जन (स्काई-गार्जियन) मिलेंगे। हंटर किलर के नाम से मशहूर एमक्यू-9बी सी-गार्जियन ड्रोन लंबे समय तक आकाश में टिके रहते हैं। वहीं ये ड्रोन खुफिया, निगरानी, टोही मिशनों में बेहद कारगर हैं। इन ड्रोनों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद भारत की सैन्य क्षमताओं में तेजी से बढ़ोतरी होगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के साथ गर्वनमेंट-टू-गर्वनमेंट सौदे के तहत ये ड्रोन हेलफायर मिसाइलों, जीबीयू-39बी प्रेसिजन-गाइडेड ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से लैस होंगे। वहीं इन ड्रोन की डिलीवरी लगभग चार साल में शुरू होगी और छह साल में पूरी हो जाएगी।
कंपनी भारत में लगाएगी एमआरओ फैसिलिटी
इन ड्रोन को अमेरिका की जनरल एटॉमिक्स कंपनी बनाती है। दूसरा अनुबंध कंपनी के साथ किया गया है, जो भारत में एमक्यू-9बी की असेंबली करेगी। इसके लिए कंपनी देश में ही ग्लोबल एमआरओ (मैंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल) फैसिलिटी बनाएगी। इसके लिए 34 फीसदी कंपोनेंट्स भारतीय कंपनियों से ही खरीदे जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक इन एमआरओ परफॉरमेंस बेस्ड लॉजिस्टिक्स पर आधारित होगा, जिसके तक आठ साल या 1.5 लाख उड़ान घंटों तक इनका रखरखाव डिपो-स्तरीय एमआरओ पर किया जाएगा। ये ड्रोन 40 हजार फीट की ऊंचाई पर लगभग 40 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं। ये ड्रोन चार हेलफायर मिसाइलें और लगभग 2177 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकते हैं। इन ड्रोन में लेजर गाइडेड मिसाइलें, एंटी टैंक मिसाइलें और एंटी शिप मिसाइलें लगी होती हैं। वहीं चीन के हथियारों से लैस ड्रोन जैसे काय होंग-4 और विंग लूंग-II से कहीं ज्यादा बेहतर हैं। चीन अपने ड्रोन को पाकिस्तान को भी सप्लाई कर रहा है। पाकिस्तान ने चीन से 16 और हथियरबंद सीएच-ड्रोन मांगे हैं। उसके पास पहले से ही सेना में सात और नौसेना में 3 सीएच-4 ड्रोन हैं।
यहां होंगे तैनात
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस सौदे में टेक्नोलॉजी ऑफ ट्रांसफर नहीं है, लेकिन जनरल एटॉमिक्स डीआरडीओ को ऐसे हैवी ड्रोन डेवलप करने के लिए विशेषज्ञता और परामर्श साझा करेगा। ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों पर मिसाइलों और गाइडेड गोला-बारूद को दागने में सक्षम हैं। भारत इन ड्रोनों को चेन्नई में आईएनएस राजाजी, गुजरात के पोरबंदर में तैनात करेगा, जहां इनका संचालन भारतीय नौसेना करेगी। वायुसेना और थल सेना इन्हें गोरखपुर और सरसावा एयरफोर्स बेस से कंट्रोल करेंगे। क्योंकि यहां सबसे लंबा रनवे है। वहीं, गोरखपुर और सरसावा बेस से एलएसी, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर निगरानी रखना आसान हो जाएगा। इनमें से 15 ड्रोन समुद्री इलाकों की निगरानी करेंगे। जबकि बाकी ड्रोन चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी के लिए तैनात किए जाएंगे।
चीफ एग्जीक्यूटिव विवेक लाल की अहम भूमिका
जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव विवेक लाल ने इस सौदे पर बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं आज जब डील पर हस्ताक्षर हुए तो वे भी इस दौरान मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि ड्रोनों की खरीद लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से की जा रही है।
अयमान अल-जवाहिरी को किया था खत्म
एमक्यू-9बी ड्रोन एमक्यू-9 "रीपर" का ही एडवांस वर्जन है, जिसका इस्तेमाल हेलफायर मिसाइल के जरिए जुलाई 2022 में काबुल में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को खत्म करने में किया गया था। ये ड्रोन रिमोट से कंट्रोल किए जाते हैं। एमक्यू-9बी के कुल दो वर्जन हैं- सी-गार्जियन और स्काई गार्जियन। ये ड्रोन जमीन, आसमान और समुंद्र से लॉन्च किए जा सकते हैं। वहीं इन ड्रोन की रेंज 1850 किलोमीटर तक है यानी कि पाकिस्तान के कई शहर इसकी जद में होंगे। इन ड्रोन में लेजर गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल और एंटी शिप मिसाइलें लगी होती हैं।
वहीं हाल ही में एक सी गार्डियन ड्रोन चेन्नई के पास बंगाल की खाड़ी में गिर गया था। यह ड्रोन नौसेना ने अमेरिका से लीज पर लिया था। यह ड्रोन चेन्नई के पास अरक्कोणम में नौसैनिक वायु स्टेशन आईएनएस राजाली से कंट्रोल हो रहा था। साल 2020 में, इंडियन नेवी ने जनरल एटॉमिक्स से एक साल के लिए दो एमक्यू-9बी सी-गार्जियन ड्रोन लीज पर लिए थे।
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चार साल में शुरू होगी डिलीवरी
इस समझौते के तहत अमेरिका, भारत को 31 हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन देगा। इनमें से 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को जबकि इंडियन आर्मी और भारतीय वायुसेना को इस ड्रोन के आठ-आठ स्काई वर्जन (स्काई-गार्जियन) मिलेंगे। हंटर किलर के नाम से मशहूर एमक्यू-9बी सी-गार्जियन ड्रोन लंबे समय तक आकाश में टिके रहते हैं। वहीं ये ड्रोन खुफिया, निगरानी, टोही मिशनों में बेहद कारगर हैं। इन ड्रोनों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद भारत की सैन्य क्षमताओं में तेजी से बढ़ोतरी होगी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के साथ गर्वनमेंट-टू-गर्वनमेंट सौदे के तहत ये ड्रोन हेलफायर मिसाइलों, जीबीयू-39बी प्रेसिजन-गाइडेड ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से लैस होंगे। वहीं इन ड्रोन की डिलीवरी लगभग चार साल में शुरू होगी और छह साल में पूरी हो जाएगी।
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कंपनी भारत में लगाएगी एमआरओ फैसिलिटी
इन ड्रोन को अमेरिका की जनरल एटॉमिक्स कंपनी बनाती है। दूसरा अनुबंध कंपनी के साथ किया गया है, जो भारत में एमक्यू-9बी की असेंबली करेगी। इसके लिए कंपनी देश में ही ग्लोबल एमआरओ (मैंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल) फैसिलिटी बनाएगी। इसके लिए 34 फीसदी कंपोनेंट्स भारतीय कंपनियों से ही खरीदे जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक इन एमआरओ परफॉरमेंस बेस्ड लॉजिस्टिक्स पर आधारित होगा, जिसके तक आठ साल या 1.5 लाख उड़ान घंटों तक इनका रखरखाव डिपो-स्तरीय एमआरओ पर किया जाएगा। ये ड्रोन 40 हजार फीट की ऊंचाई पर लगभग 40 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं। ये ड्रोन चार हेलफायर मिसाइलें और लगभग 2177 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकते हैं। इन ड्रोन में लेजर गाइडेड मिसाइलें, एंटी टैंक मिसाइलें और एंटी शिप मिसाइलें लगी होती हैं। वहीं चीन के हथियारों से लैस ड्रोन जैसे काय होंग-4 और विंग लूंग-II से कहीं ज्यादा बेहतर हैं। चीन अपने ड्रोन को पाकिस्तान को भी सप्लाई कर रहा है। पाकिस्तान ने चीन से 16 और हथियरबंद सीएच-ड्रोन मांगे हैं। उसके पास पहले से ही सेना में सात और नौसेना में 3 सीएच-4 ड्रोन हैं।
यहां होंगे तैनात
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस सौदे में टेक्नोलॉजी ऑफ ट्रांसफर नहीं है, लेकिन जनरल एटॉमिक्स डीआरडीओ को ऐसे हैवी ड्रोन डेवलप करने के लिए विशेषज्ञता और परामर्श साझा करेगा। ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों पर मिसाइलों और गाइडेड गोला-बारूद को दागने में सक्षम हैं। भारत इन ड्रोनों को चेन्नई में आईएनएस राजाजी, गुजरात के पोरबंदर में तैनात करेगा, जहां इनका संचालन भारतीय नौसेना करेगी। वायुसेना और थल सेना इन्हें गोरखपुर और सरसावा एयरफोर्स बेस से कंट्रोल करेंगे। क्योंकि यहां सबसे लंबा रनवे है। वहीं, गोरखपुर और सरसावा बेस से एलएसी, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर निगरानी रखना आसान हो जाएगा। इनमें से 15 ड्रोन समुद्री इलाकों की निगरानी करेंगे। जबकि बाकी ड्रोन चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी के लिए तैनात किए जाएंगे।
चीफ एग्जीक्यूटिव विवेक लाल की अहम भूमिका
जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव विवेक लाल ने इस सौदे पर बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं आज जब डील पर हस्ताक्षर हुए तो वे भी इस दौरान मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि ड्रोनों की खरीद लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से की जा रही है।
अयमान अल-जवाहिरी को किया था खत्म
एमक्यू-9बी ड्रोन एमक्यू-9 "रीपर" का ही एडवांस वर्जन है, जिसका इस्तेमाल हेलफायर मिसाइल के जरिए जुलाई 2022 में काबुल में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को खत्म करने में किया गया था। ये ड्रोन रिमोट से कंट्रोल किए जाते हैं। एमक्यू-9बी के कुल दो वर्जन हैं- सी-गार्जियन और स्काई गार्जियन। ये ड्रोन जमीन, आसमान और समुंद्र से लॉन्च किए जा सकते हैं। वहीं इन ड्रोन की रेंज 1850 किलोमीटर तक है यानी कि पाकिस्तान के कई शहर इसकी जद में होंगे। इन ड्रोन में लेजर गाइडेड मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल और एंटी शिप मिसाइलें लगी होती हैं।
वहीं हाल ही में एक सी गार्डियन ड्रोन चेन्नई के पास बंगाल की खाड़ी में गिर गया था। यह ड्रोन नौसेना ने अमेरिका से लीज पर लिया था। यह ड्रोन चेन्नई के पास अरक्कोणम में नौसैनिक वायु स्टेशन आईएनएस राजाली से कंट्रोल हो रहा था। साल 2020 में, इंडियन नेवी ने जनरल एटॉमिक्स से एक साल के लिए दो एमक्यू-9बी सी-गार्जियन ड्रोन लीज पर लिए थे।