निर्भया कांड: फांसी के बाद भी नहीं रुकी दुष्कर्म की घटनाएं, बलात्कार के मामलों में तीन गुना से ज्यादा की वृद्धि
- 2012 में दिल्ली में निर्भया कांड समेत दुष्कर्म की कुल 706 घटनाएं, लेकिन 2019 में ये तीन गुना बढ़कर हो गईं 2168
- इस साल लॉकडाउन की परिस्थिति के बाद भी 31 अक्टूबर तक दुष्कर्म की 1429 घटनाएं
विस्तार
आठ साल पहले आज ही के दिन 16 दिसंबर 2012 को गोरखपुर की एक बेटी निर्भया के साथ छह दरिंदों ने दिल्ली में भयानक वारदात को अंजाम दिया था। लंबी कानूनी प्रक्रियाओं, वकीलों के दांवपेंच से गुजरने के बाद अंततः इसी साल 20 मार्च 2020 को घटना के चार अपराधियों को तिहाड़ जेल में फांसी की सजा दे दी गई।
लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इतनी कड़ी सजा के बाद भी महिलाओं से दुष्कर्म जैसी घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है। उल्टे, निर्भया कांड के साल की तुलना में दुष्कर्म की घटनाओं में अब तीन गुना तक की वृद्धि हो गई है।
निर्भया कांड साल 2012 में घटित हुआ था, उस साल दिल्ली में दुष्कर्म की कुल 706 घटनाएं घटी थीं। वर्ष 2019 में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़कर 2168 तक पहुंच गईं। यानी इन घटनाओं में तीन गुने से ज्यादा की वृद्धि हो गई। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 में 2166, 2015 में 2199, 2016 में 2155, 2017 में 2146, 2018 में 2135 और 2019 में 2168 दुष्कर्म की घटनाएं घटीं।
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 31 अक्तूबर तक राजधानी में दुष्कर्म की 1429 घटनाएं घट चुकी हैं। यह पिछले वर्ष की इसी समयावधि में घटी 1884 घटनाओं से कुछ कम जरूर हैं, लेकिन इस वर्ष लंबे समय तक चले लॉकडाउन के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना कम हो गया था, जिसके कारण इन घटनाओं में कमी आई। इसे दुष्कर्म की घटनाओं में कमी आने का संकेत नहीं माना जा सकता है।
क्यों कम नहीं हो रहीं घटनाएं
दुष्कर्म की घटनाओं में बढ़ोतरी पर टिप्पणी करते हुए एडवोकेट भाग्यश्री गोस्वामी ने कहा कि न्याय प्रक्रिया में देरी से अपराधियों को सजा देने का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। अगर इस तरह की वारदातों में अपराधियों को जल्द सजा दी जा सके तो इसका समाज पर ज्यादा असर होगा।
वह कहती हैं, महिलाओं के प्रति पुरुषों की पारंपरिक सोच, समाज के ढांचे में हो रहा बदलाव और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति लोगों में आ रही कमी इसका बड़ा कारण हो सकता है। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुई महिलाएं अब इस तरह के मामलों में सामने आकर रिपोर्ट दर्ज करवाती हैं, महिलाओं के प्रति अपराध के आंकड़ों में वृद्धि का यह भी एक प्रमुख कारण है।