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एनएमसीजी का दावा: गंगाजल 97 में से 68 जगह स्नान के लायक, पानी की गुणवत्ता में सुधार
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 25 Oct 2021 05:28 AM IST
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सार
स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि गंगा सफाई के लिए चलाई जा रहीं कई परियोजनाओं के नतीजे दिखाना शुरू हो गए हैं।

गंगाजल
- फोटो : अमर उजाला

विस्तार
स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा का दावा है कि गंगा के पानी की गुणवत्ता में 2014 के बाद से उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
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मिश्रा ने बताया कि गंगा के 97 निगरानी स्थानों में से 68 पर जैव रासायनिक ऑक्सीजन (बीओडी) स्नान मानकों के अनुरूप है। इसके अलावा पूरी नदी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर निर्धारित न्यूनतम मानक से अधिक है। उन्होंने बताया कि 2014 में सिर्फ 32 स्थानों पर स्नान के लिए जल की गुणवत्ता बीओडी मानकों के अनुरूप थी।
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2015 में करीब 20,000 की अनुमानित लागत के साथ नमामि गंगे व एनएमसीजी की शुरुआत की गई थी। इसके तहत अब तक सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, घाट विकास, जलीय जैव विविधता और सार्वजनिक जुड़ाव जैसी 30,255 करोड़ रुपये की लागत की 347 परियोजनाओं को मंजूर किया जा चुका है।
इन्हीं का नतीजा है कि भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की तरफ से चिह्नित 351 सर्वाधिक प्रदूषित नदी खंडों में से कोई भी गंगा का हिस्सा नहीं है। गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार के लिए कोविड के चलते लगे लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंध, पर्याप्त बारिश से नदी का बेहतर प्रवाह जैसे कारक भी शामिल हैं।
जितनी ज्यादा बीओडी, नदी में उतनी कम ऑक्सीजन
बीओडी असल में जल में मौजूद बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन खपत को प्रदर्शित करती है। बीओडी जितनी अधिक होती है, नदी में उतनी ही तेजी से ऑक्सीजन की कमी होती है।
ए श्रेणी में है हरिद्वार तक गंगा जल की गुणवत्ता.. गंगा में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) निर्धारित न्यूनतम स्तर 5 मिलीग्राम/लीटर से अधिक है। जल गुणवत्ता का आकलन स्नान के लिए गुणवत्ता मानक यानी डीओ(5एमजी/लीटर), बीओडी (3एमजी/लीटर) व मल कोलीफॉर्म (एफसी) (2500 एमपीएन/100 एमएल) व पीएच (6.5-8.5) के आधार पर किया जाता है। उत्तराखंड में हरिद्वार तक नदी का जल सभी मानदंडों को पूरा करता है। ऐसे नदी जल को ए श्रेणी में रखा जाता है।