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श्रीलंका और पुलवामा हमले के बाद बढ़ी बम धमाकों से जुड़ी फर्जी कॉल की संख्या

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: Shilpa Thakur Updated Mon, 06 May 2019 01:38 PM IST
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Number of hoax calls increase after Pulwama and Sri Lanka bombings
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : pexels.com

श्रीलंका और जम्मू कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले के बाद से हवाईअड्डों पर आने वाली फर्जी फोन कॉल की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। ये बात पहचान ना बताने की शर्त पर मामले की जानकारी रखने वाले तीन अधिकारियों ने बताई है।


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अधिकांश हवाई अड्डों पर सुरक्षा देने वाले सीआईएसएफ के अधिकारी का कहना है, हर महीने पांच से छह फर्जी कॉल आ रहे हैं। ये कॉल कुछ महीनों पहले तक केवल दो ही आती थीं। उनका कहना है कि सभी फोन कॉल को गंभीरता से लिया जाता है।

देशभर के 100 परिचालित हवाईअड्डों में से 61 में सुरक्षा प्रदान करने वाले सीआईएसएफ के मुताबिक, हर साल करीब दो दर्जन फर्जी कॉल आती हैं। एजेंसी का कहना है कि इस साल ये संख्या 24 को भी पार कर चुकी है। फोन करने वाले या तो वो होते हैं, जिनके साथ एयरलाइन ने ठीक से व्यवहार ना किया हो या फिर प्रैंक करने वाले होते हैं।

इसका एक उदाहरण पुलवामा हमले के बाद का है। जब 30 साल के एक मानसिक रोगी ने 20 फरवरी को दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाईअड्डे के टर्मिनल तीन के कूड़ेदान में एक खाली बैग रख दिया था। इसके बाद उसने फोन किया था। 

आतंकी खतरों से निपटने वाली एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी आतंकी हमले के बाद लोगों में मानसिक तनाव हो जाता है। जिसके कारण फेक, उपद्रवियों द्वारा की गई कॉल, ईमेल, ट्वीट और हाथ से लिखे खतों की संख्या बढ़ जाती है।

एक वरिष्ठ आईबी अधिकारी का कहना है, "ऐसे समय में आने वाले करीब 80 फीसदी अलर्ट फेक होते हैं। लेकिन ये सुरक्षा बलों, बम स्क्वायड, डॉग यूनिट और इंटेलिजेंस एजेंसियों के काम को बढ़ा देते हैं। हर अलर्ट की पूर्ण रूप से जांच की जाती है क्योंकि कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता है।"

सीआईएसएफ के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि जब भी कोई फोन आता है तो सुरक्षा पर ध्यान देते हुए सारा काम रुक जाता है। उन्होंने कहा, "जब भी ऐसा कोई फोन आता है तो एक बम थ्रेट असेसमेंट कमिटि बनाई जाती है, जो उस खतरे को विशिष्ट या गैर विशिष्ट के तौर पर विभाजित करती है।

अगर खतरा विशिष्ट होता है तो हवाईअड्डे के हर भाग को अलर्ट पर रखा जाता है। विमानों को खाली कराया जाता है और सभी यात्रियों के सामान की जांच की जाती है। अगर खतरा गैर-विशिष्ट होता है, तो एयरपोर्ट को खाली कराया जाता है।"


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