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OROP: वन रैंक वन पेंशन 'बढ़ोतरी' से खुश नहीं पूर्व सैनिक, किसी के बढ़े एक रुपये, तो किसी को मिला 2 रुपये एरियर
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वन रैंक वन पेंशन
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अमर उजाला ग्राफिक्स
विस्तार
केंद्र सरकार ने इस साल 01 जुलाई 2024 से वन रेंक वन पेंशन (OROP3) योजना के तहत बदलाव करते हुए रिवाइज्ड पेंशन जारी करने का एलान किया था। रक्षा मंत्रालय ने 4 सितंबर 2024 को एक नोटिफिकेशन के जरिए ओआरओपी-3 की टेबल के साथ दो महीनों का एरियर्स जारी भी किया था। लेकिन कई भूतपूर्व सैनिक ओआरओपी से खुश होने की बजाए नाराज हैं। उनका कहना है कि जेसीओ रैंक तक के कुछ जवानों की पेंशन में मामूली बढ़ोतरी हुई है, तो कुछ की पेंशन मात्र एक-दो रुपये ही बढ़ी है। वहीं कुछ पूर्व सैनिकों की पेंशन में तो बिल्कुल भी बढ़ोतरी नहीं हुई है। उनका कहना है कि स्पर्श पोर्टल पर शिकायत करने के बावजूद उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उनकी शिकायत यह भी है कि OROP3 में अफसरों को ज्यादा फायदा मिला है, जबकि जवानों को कम फायदा मिला है।देश में 26 लाख भूतपूर्व सैनिक
रक्षा मंत्रालय ने 4 सितंबर 2024 को संशोधित वन रैंक वन पेंशन को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके मुताबिक पेंशन उन सभी रक्षा पेंशनरों/पारिवारिक पेंशनरों के लिए संशोधित की गई है, जो सेवानिवृत्त/सेवामुक्त/सेवा से अयोग्य हो गए थे/सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी या कमीशन अधिकारी, मानद कमीशन के पद पर सेवानिवृत्ति के बाद सेना, नौसेना, वायु सेना, रक्षा सुरक्षा कोर, प्रादेशिक सेना और पूर्व-राज्य बलों के अधिकारी, जेसीओ/ओआर और गैर-लड़ाकू (नामांकित) और 1 जुलाई 2024 को पेंशन/पारिवारिक पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। (1 जुलाई 2014 को या उसके बाद प्रीमेच्योर रिटायरमेंट या ऑन रिक्वेस्ट पर रिटायरमेंट लिए पेंशनरों को छोड़कर)। पेंशन राशि में यब बढ़ोतरी 1 जुलाई, 2024 से की गई है। बता दें कि देश में लगभग 26 लाख भूतपूर्व सैनिक और 6,98252 वीर नारियां हैं।
रक्षा मंत्रालय ने 4 सितंबर 2024 को संशोधित वन रैंक वन पेंशन को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके मुताबिक पेंशन उन सभी रक्षा पेंशनरों/पारिवारिक पेंशनरों के लिए संशोधित की गई है, जो सेवानिवृत्त/सेवामुक्त/सेवा से अयोग्य हो गए थे/सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी या कमीशन अधिकारी, मानद कमीशन के पद पर सेवानिवृत्ति के बाद सेना, नौसेना, वायु सेना, रक्षा सुरक्षा कोर, प्रादेशिक सेना और पूर्व-राज्य बलों के अधिकारी, जेसीओ/ओआर और गैर-लड़ाकू (नामांकित) और 1 जुलाई 2024 को पेंशन/पारिवारिक पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। (1 जुलाई 2014 को या उसके बाद प्रीमेच्योर रिटायरमेंट या ऑन रिक्वेस्ट पर रिटायरमेंट लिए पेंशनरों को छोड़कर)। पेंशन राशि में यब बढ़ोतरी 1 जुलाई, 2024 से की गई है। बता दें कि देश में लगभग 26 लाख भूतपूर्व सैनिक और 6,98252 वीर नारियां हैं।

स्पर्श टीम की ओर से आया मैसेज
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अमर उजाला
33 साल की नौकरी के बाद भी नहीं बढ़ी पेंशन
वहीं, इस ओआरओपी में हुई इस संशोधित बढ़ोतरी से पूर्व सैनिक खुश नहीं हैं। उनकी नाराजगी इस चीज को लेकर है कि कुछ श्रेणियों के जवानों और जेसीओज को मामूली पेंशन वृद्धि का लाभ मिला है, तो कईयों की पेंशन में बिल्कुल भी बढ़ोतरी नहीं हुई है। जोरहाट, असम के रहने वाले ऑनरी कैप्टन लक्षी नाथ सैकिया कहते हैं कि उन्होंने 33 साल चार महीने और दो दिन सेना की नौकरी की। लेकिन ओआरओपी-3 का जो रिवीजन हुआ है, उस हिसाब से 33 साल या उससे ज्यादा सर्विस करने वालों को 46300 रुपये की कैटेगरी में रखा गया है, चाहे वह ऑनरी लेफ्टिनेंट हो या ऑनरी कैप्टन। वह कहते हैं कि उनकी सर्विस की लेंथ के हिसाब से उन्हें नई पेंशन में रिविजन मिलना चाहिए था। उनके पीपीओ में भी 33 साल नौकरी का जिक्र है। लेकिन उन्हें अभी 41,200 रुपये महीना की पेंशन मिल रही है। उनके पास स्पर्श टीम से जो मोबाइल पर मैसेज आया है, उसमें लिखा है, "आपकी मौजूदा पेंशन पहले से ही ज्यादा है और 01 जुलाई 2024 से लागू ओआरओपी में आपकी पेंशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है।" कुछ ऐसी ही कहानी सूबेदार मेजर ऑनरी लेफ्टिनेंट बैकुंठ नाथ बराडा की भी है। वह भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि उन्हें भी स्पर्श टीम से कुछ ऐसा ही मैसेज मिला है। वह कहते हैं कि उन्होंने दूसरे लोगों से भी अपने डॉक्यूमेंट्स चेक करवाए हैं और वे बिल्कुल ठीक हैं। अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। वह कहते हैं कि जानबूझ कर भ्रम की स्थिति फैलाई जा रही है। यह सब पूर्व सैनिकों के साथ मजाक किया जा रहा है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी फौज को नाम कर दी।
वहीं, इस ओआरओपी में हुई इस संशोधित बढ़ोतरी से पूर्व सैनिक खुश नहीं हैं। उनकी नाराजगी इस चीज को लेकर है कि कुछ श्रेणियों के जवानों और जेसीओज को मामूली पेंशन वृद्धि का लाभ मिला है, तो कईयों की पेंशन में बिल्कुल भी बढ़ोतरी नहीं हुई है। जोरहाट, असम के रहने वाले ऑनरी कैप्टन लक्षी नाथ सैकिया कहते हैं कि उन्होंने 33 साल चार महीने और दो दिन सेना की नौकरी की। लेकिन ओआरओपी-3 का जो रिवीजन हुआ है, उस हिसाब से 33 साल या उससे ज्यादा सर्विस करने वालों को 46300 रुपये की कैटेगरी में रखा गया है, चाहे वह ऑनरी लेफ्टिनेंट हो या ऑनरी कैप्टन। वह कहते हैं कि उनकी सर्विस की लेंथ के हिसाब से उन्हें नई पेंशन में रिविजन मिलना चाहिए था। उनके पीपीओ में भी 33 साल नौकरी का जिक्र है। लेकिन उन्हें अभी 41,200 रुपये महीना की पेंशन मिल रही है। उनके पास स्पर्श टीम से जो मोबाइल पर मैसेज आया है, उसमें लिखा है, "आपकी मौजूदा पेंशन पहले से ही ज्यादा है और 01 जुलाई 2024 से लागू ओआरओपी में आपकी पेंशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है।" कुछ ऐसी ही कहानी सूबेदार मेजर ऑनरी लेफ्टिनेंट बैकुंठ नाथ बराडा की भी है। वह भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि उन्हें भी स्पर्श टीम से कुछ ऐसा ही मैसेज मिला है। वह कहते हैं कि उन्होंने दूसरे लोगों से भी अपने डॉक्यूमेंट्स चेक करवाए हैं और वे बिल्कुल ठीक हैं। अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। वह कहते हैं कि जानबूझ कर भ्रम की स्थिति फैलाई जा रही है। यह सब पूर्व सैनिकों के साथ मजाक किया जा रहा है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी फौज को नाम कर दी।
एक रुपये बढ़ी पेंशन
वहीं एक पू्र्व सैनिक का दर्द है कि उनकी पेंशन में मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी हुई है। पूर्व सैनिक समित्तर सिंह कहते हैं कि जब ओरआरओपी के तहत पेंशन में संशोधन का एलान हुआ तो वे बड़े खुश हुए। पूरा परिवार खुश था कि अब बढ़ कर पेंशन मिलेगी और घर के खर्चे आसानी से पूरे हो जाएंगे। लेकिन जैसे ही रक्षा मंत्रालय ने 4 सितंबर 2024 को संशोधित वन रैंक वन पेंशन को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया तो उनकी खुशी काफूर हो गई। उन्हें जो पेंशन मिलती थी वह 17,475 रुपये थी, जो 01 जुलाई 2024 से लागू ओआरओपी में बढ़ कर 17476 रुपये हो गई। वहीं उन्हें जो दो महीने का एरियर मिला, वह तो वाकई चौंकाने वाला था। उन्हें मात्र दो रुपये का एरियर मिला। वह कहते हैं कि उनके सारे सपने धाराशाही हो गए। वह कहते हैं कि उन्होंने 10 साल फौज में नौकरी की, लेकिन ओरआरओपी में कुछ हाथ नहीं लगा। वह कहते हैं कि 26 सितंबर को उनके पास एरियर के दो रुपये बैंक अकाउंट में क्रेडिट होने का मैसेज आया था। वह ओआरओपी के फॉर्मूले पर ही सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जब तक ओआरओपी में मिनिमम और मैक्सिमम का एवरेज
रहेगा, तब तक उनके साथ ऐसा ही होता रहेगा। वह दुखी हो कर कहते हैं कि यह जवानों के साथ मजाक ही है कि जिस ओआरओपी का वह पांच साल तक इंतजार करते हैं कि उनकी पेंशन बढ़ेगी तो घर के खर्चे संभलेंगे, बेटे-बेटी की पढ़ाई ठीक से होगी, लेकिन मिलती है मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी।
वहीं एक पू्र्व सैनिक का दर्द है कि उनकी पेंशन में मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी हुई है। पूर्व सैनिक समित्तर सिंह कहते हैं कि जब ओरआरओपी के तहत पेंशन में संशोधन का एलान हुआ तो वे बड़े खुश हुए। पूरा परिवार खुश था कि अब बढ़ कर पेंशन मिलेगी और घर के खर्चे आसानी से पूरे हो जाएंगे। लेकिन जैसे ही रक्षा मंत्रालय ने 4 सितंबर 2024 को संशोधित वन रैंक वन पेंशन को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया तो उनकी खुशी काफूर हो गई। उन्हें जो पेंशन मिलती थी वह 17,475 रुपये थी, जो 01 जुलाई 2024 से लागू ओआरओपी में बढ़ कर 17476 रुपये हो गई। वहीं उन्हें जो दो महीने का एरियर मिला, वह तो वाकई चौंकाने वाला था। उन्हें मात्र दो रुपये का एरियर मिला। वह कहते हैं कि उनके सारे सपने धाराशाही हो गए। वह कहते हैं कि उन्होंने 10 साल फौज में नौकरी की, लेकिन ओरआरओपी में कुछ हाथ नहीं लगा। वह कहते हैं कि 26 सितंबर को उनके पास एरियर के दो रुपये बैंक अकाउंट में क्रेडिट होने का मैसेज आया था। वह ओआरओपी के फॉर्मूले पर ही सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जब तक ओआरओपी में मिनिमम और मैक्सिमम का एवरेज
रहेगा, तब तक उनके साथ ऐसा ही होता रहेगा। वह दुखी हो कर कहते हैं कि यह जवानों के साथ मजाक ही है कि जिस ओआरओपी का वह पांच साल तक इंतजार करते हैं कि उनकी पेंशन बढ़ेगी तो घर के खर्चे संभलेंगे, बेटे-बेटी की पढ़ाई ठीक से होगी, लेकिन मिलती है मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी।
मात्र 206 रुपये की बढ़ोतरी
भारतीय नौसेना से रिटायर्ड पूर्व जवान अखिल राय कहते हैं कि उनकी पेंशन तो ओआरओपी-3 में बढ़ी है, लेकिन इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई है कि वह खुशी मना सकें। उनकी पेंशन में मात्र 206 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। भारतीय नौसेना में 15 साल नौकरी कर चुके पूर्व सैनिक अभिषेक माल कहते हैं कि वह 2016 में रिटायर हुए थे। जब वे रिटायर हुए तो उनकी पेंशन 21800 रुपये थी। जो 2019 में OROP-2 में बढ़ कर 21782 रुपये हो गई। उन्हें ओआरओपी-3 से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन इस बार उनकी पेंशन में मात्र 206 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जो बढ़ कर 21,988 रुपये हो गई। वह तंज कसते हुए कहते हैं कि मैं इतना बड़ा पैसा लेकर कहां ही जाऊंगा? वह कहते हैं कि भारतीय सेना के अफसरों को शर्म आनी चाहिए, जिन्होंने OROP को अपने स्वार्थ के लिए जवानों से छीनकर खुद ले लिया।
भारतीय नौसेना से रिटायर्ड पूर्व जवान अखिल राय कहते हैं कि उनकी पेंशन तो ओआरओपी-3 में बढ़ी है, लेकिन इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई है कि वह खुशी मना सकें। उनकी पेंशन में मात्र 206 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। भारतीय नौसेना में 15 साल नौकरी कर चुके पूर्व सैनिक अभिषेक माल कहते हैं कि वह 2016 में रिटायर हुए थे। जब वे रिटायर हुए तो उनकी पेंशन 21800 रुपये थी। जो 2019 में OROP-2 में बढ़ कर 21782 रुपये हो गई। उन्हें ओआरओपी-3 से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन इस बार उनकी पेंशन में मात्र 206 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जो बढ़ कर 21,988 रुपये हो गई। वह तंज कसते हुए कहते हैं कि मैं इतना बड़ा पैसा लेकर कहां ही जाऊंगा? वह कहते हैं कि भारतीय सेना के अफसरों को शर्म आनी चाहिए, जिन्होंने OROP को अपने स्वार्थ के लिए जवानों से छीनकर खुद ले लिया।
एयर वेटरंस को नहीं मिला फायदा
वहीं एयर वेटरन के तोमर कहते हैं कि ओआरओपी-3 से एयर फोर्स से रिटायर हुए जवानों को नुकसान हुआ है। छठवें वेतन आयोग ने जेसीओ/ओआर को अगली उच्च रैंक का वेतन और पेंशन देने के लिए वित्तीय फायदे पहुंचाने के लिए एमएसीपी यानी मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम का प्रावधान किया था। लेकिन ओआरओपी3 के तहत एयर वेटरंस की पेंशन को संशोधित करते समय स्पर्श टीम ने एमएसीपी को ध्यान में नहीं रखा। स्पर्श/पीसीडीए (पी) ने एयर वेटरंस की पेंशन को उनके मूल रैंक पर संशोधित किया, जो रैंक उनकी रिटायरमेंट के दौरान थी, जिसके चलते पेंशन को निचले रैंक पर संशोधित किया गया। जबकि ओआरओपी1 और ओआरओपी2 में एमएसीपी को ध्यान में रखते हुए पेंशन को संशोधित किया गया था। वहीं ओआरओपी-3 संशोधन से एयर वेटरंस को काफी वित्तीय नुकसान हुआ है। वह कहते हैं कि उनके समेत कई साथियों को भी ओआरओपी-3 संशोधन से कोई फायदा नहीं हुआ है।
वहीं एयर वेटरन के तोमर कहते हैं कि ओआरओपी-3 से एयर फोर्स से रिटायर हुए जवानों को नुकसान हुआ है। छठवें वेतन आयोग ने जेसीओ/ओआर को अगली उच्च रैंक का वेतन और पेंशन देने के लिए वित्तीय फायदे पहुंचाने के लिए एमएसीपी यानी मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम का प्रावधान किया था। लेकिन ओआरओपी3 के तहत एयर वेटरंस की पेंशन को संशोधित करते समय स्पर्श टीम ने एमएसीपी को ध्यान में नहीं रखा। स्पर्श/पीसीडीए (पी) ने एयर वेटरंस की पेंशन को उनके मूल रैंक पर संशोधित किया, जो रैंक उनकी रिटायरमेंट के दौरान थी, जिसके चलते पेंशन को निचले रैंक पर संशोधित किया गया। जबकि ओआरओपी1 और ओआरओपी2 में एमएसीपी को ध्यान में रखते हुए पेंशन को संशोधित किया गया था। वहीं ओआरओपी-3 संशोधन से एयर वेटरंस को काफी वित्तीय नुकसान हुआ है। वह कहते हैं कि उनके समेत कई साथियों को भी ओआरओपी-3 संशोधन से कोई फायदा नहीं हुआ है।

स्पर्श टीम की ओर से आया मैसेज
- फोटो :
अमर उजाला ग्राफिक्स
नहीं बढ़ी फैमिली पेंशन
ओआरओपी-3 संशोधन से फैमिली पेंशन पाने वाले भी खुश नहीं हैं। त्रिपुरा की रहने वालीं वीरनारी रंजना शर्मा के पुत्र रोनेन शर्मा कहते हैं कि सरकार ओआरओपी-3 की सक्सेस स्टोरी तो बता रही है लेकिन उनकी मां की फैमिली पेंशन कब बढ़ेगी। वह कहते हैं कि उन्हें एक अक्तूबर को स्पर्श टीम से मैसेज आया कि आपकी मौजूदा पेंशन पहले से ही ज्यादा है और 01 जुलाई 2024 से लागू ओआरओपी में आपकी पेंशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वह कहते हैं कि उन्होंने इसकी शिकायत स्पर्श ग्रीवेंस में भी कराई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। तीन अक्तूबर को फिर से वहीं मैसेज स्पर्श टीम से आ गया। वह भी सवाल उठाते हैं कि जब ओआरओपी-3 में वीर नारी की भी फैमिली पेंशन नहीं बढ़ रही है, तो इसका फायदा क्या है।
ओआरओपी-3 संशोधन से फैमिली पेंशन पाने वाले भी खुश नहीं हैं। त्रिपुरा की रहने वालीं वीरनारी रंजना शर्मा के पुत्र रोनेन शर्मा कहते हैं कि सरकार ओआरओपी-3 की सक्सेस स्टोरी तो बता रही है लेकिन उनकी मां की फैमिली पेंशन कब बढ़ेगी। वह कहते हैं कि उन्हें एक अक्तूबर को स्पर्श टीम से मैसेज आया कि आपकी मौजूदा पेंशन पहले से ही ज्यादा है और 01 जुलाई 2024 से लागू ओआरओपी में आपकी पेंशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वह कहते हैं कि उन्होंने इसकी शिकायत स्पर्श ग्रीवेंस में भी कराई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। तीन अक्तूबर को फिर से वहीं मैसेज स्पर्श टीम से आ गया। वह भी सवाल उठाते हैं कि जब ओआरओपी-3 में वीर नारी की भी फैमिली पेंशन नहीं बढ़ रही है, तो इसका फायदा क्या है।
नहीं कम होगी पेंशन
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ओआरओपी का यह नया संशोधन सेना के उन सभी कर्मियों पर लागू है, जो कमीशन प्राप्त अधिकारी, JCO/OR और गैर-लड़ाकू कर्मी हैं। भले ही वे 1 जुलाई 2024 तक पेंशन प्राप्त कर रहे हों। वहीं, जो पेंशनभोगी समय से पहले रिटायर्ड या स्वयं के अनुरोध पर 1 जुलाई 2014 को या उसके बाद रिटायर्ड हुए हैं, वे इस लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। संशोधित पेंशन दरें संबंधित कर्मियों की रैंक, समूह और सर्विस की योग्यता के आधार पर निर्धारित की गई हैं। यह दरें 2023 में सेवानिवृत हुए कर्मियों के आंकड़ों के आधार पर तय की गई हैं। सरकार की सोच है कि पेंशन की नई दरें उच्चतर रैंक वाले कर्मियों के लिए निम्नतर रैंक वाले कर्मियों से कम न हों, ताकि असमानता का समाधान किया जा सके। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक जो पेंशनभोगी पहले से अधिक पेंशन ले रहे हैं, उनकी पेंशन में कोई बदलाव नहीं होगा।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ओआरओपी का यह नया संशोधन सेना के उन सभी कर्मियों पर लागू है, जो कमीशन प्राप्त अधिकारी, JCO/OR और गैर-लड़ाकू कर्मी हैं। भले ही वे 1 जुलाई 2024 तक पेंशन प्राप्त कर रहे हों। वहीं, जो पेंशनभोगी समय से पहले रिटायर्ड या स्वयं के अनुरोध पर 1 जुलाई 2014 को या उसके बाद रिटायर्ड हुए हैं, वे इस लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। संशोधित पेंशन दरें संबंधित कर्मियों की रैंक, समूह और सर्विस की योग्यता के आधार पर निर्धारित की गई हैं। यह दरें 2023 में सेवानिवृत हुए कर्मियों के आंकड़ों के आधार पर तय की गई हैं। सरकार की सोच है कि पेंशन की नई दरें उच्चतर रैंक वाले कर्मियों के लिए निम्नतर रैंक वाले कर्मियों से कम न हों, ताकि असमानता का समाधान किया जा सके। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक जो पेंशनभोगी पहले से अधिक पेंशन ले रहे हैं, उनकी पेंशन में कोई बदलाव नहीं होगा।
सरकार का लक्ष्य पेंशन खर्च को बचाना
भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन संबंधी मामलों को लेकर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल गुरप्रकाश सिंह विर्क कहते हैं कि केंद्र सरकार का अग्निवीरों को पेंशन लाभों से बाहर रखना दिखाता है कि सरकार अपनी पेंशन जिम्मेदारियों को कम करना चाहती है। वह कहते हैं कि ऐसा लगता है कि सरकार की वित्तीय प्राथमिकताएं ‘सोल्जरिंग’ पर हावी हो रही है। दूसरे रिटायर्ड सैनिक भी इस बात कहते हैं कि सैन्य सेवाओं पर ‘बनियागिरी’ हावी हो रही है। रिटायर्ड मेजर अमित सेंगर कहते हैं कि साल 2020, 2021, 2022 में कोई भर्ती नहीं की गई। इसका मतलब सरकार ने सीधे-सीधे दो लाख जवानों की फौज में कटौती कर दी थी, जिसे अभी तक भरा नहीं गया है और उसके बाद अग्निवीर भर्ती योजना ले आए। सरकार का लक्ष्य केवल पेंशन खर्च को बचाना है।
भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन संबंधी मामलों को लेकर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल गुरप्रकाश सिंह विर्क कहते हैं कि केंद्र सरकार का अग्निवीरों को पेंशन लाभों से बाहर रखना दिखाता है कि सरकार अपनी पेंशन जिम्मेदारियों को कम करना चाहती है। वह कहते हैं कि ऐसा लगता है कि सरकार की वित्तीय प्राथमिकताएं ‘सोल्जरिंग’ पर हावी हो रही है। दूसरे रिटायर्ड सैनिक भी इस बात कहते हैं कि सैन्य सेवाओं पर ‘बनियागिरी’ हावी हो रही है। रिटायर्ड मेजर अमित सेंगर कहते हैं कि साल 2020, 2021, 2022 में कोई भर्ती नहीं की गई। इसका मतलब सरकार ने सीधे-सीधे दो लाख जवानों की फौज में कटौती कर दी थी, जिसे अभी तक भरा नहीं गया है और उसके बाद अग्निवीर भर्ती योजना ले आए। सरकार का लक्ष्य केवल पेंशन खर्च को बचाना है।
सेनाओं की ऑपरेशनल तैयारियों पर पड़ रहा बुरा असर
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह भी कुछ समय पहले अग्निवीर योजना की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अग्निपथ स्कीम के पीछे एकमात्र उद्देश्य पेंशन बिल को कम करना है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग के एक लेख के मुताबिक साल 2020 से रेगुलर सैनिकों की भर्ती नहीं हुई है। जबकि हर साल 50 से 60 हजार के बीच सैनिक रिटायर होते हैं। 2020 से 2023 के बीच दो लाख से लेकर 2.4 लाख के बीच सैनिक रिटायर हुए हैं, जबकि अब तक केवल 72,340 अग्निवीर ही सेना में शामिल किए गए हैं। इस तरह सेना में 127660 से लेकर 168660 सैनिकों की कमी हो गई है, जिसके चलते सेनाओं की ऑपरेशनल तैयारियों पर बुरा असर पड़ा है। पेंशन खर्च को घटाने में 15-20 साल लगे जाएंगे क्योंकि जब चार साल बाद रिटायर अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़ेगा, तो उसी अनुपात में रिटायर होने वाले रेगुलर सैनिकों की संख्या में भी कमी आएगी।
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह भी कुछ समय पहले अग्निवीर योजना की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अग्निपथ स्कीम के पीछे एकमात्र उद्देश्य पेंशन बिल को कम करना है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग के एक लेख के मुताबिक साल 2020 से रेगुलर सैनिकों की भर्ती नहीं हुई है। जबकि हर साल 50 से 60 हजार के बीच सैनिक रिटायर होते हैं। 2020 से 2023 के बीच दो लाख से लेकर 2.4 लाख के बीच सैनिक रिटायर हुए हैं, जबकि अब तक केवल 72,340 अग्निवीर ही सेना में शामिल किए गए हैं। इस तरह सेना में 127660 से लेकर 168660 सैनिकों की कमी हो गई है, जिसके चलते सेनाओं की ऑपरेशनल तैयारियों पर बुरा असर पड़ा है। पेंशन खर्च को घटाने में 15-20 साल लगे जाएंगे क्योंकि जब चार साल बाद रिटायर अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़ेगा, तो उसी अनुपात में रिटायर होने वाले रेगुलर सैनिकों की संख्या में भी कमी आएगी।