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SIR: परकाला प्रभाकर का बड़ा दावा, कहा- एसआईआर में सरकार चुनती है मतदाता; योगेंद्र यादव ने कही ये बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता Published by: देवेश त्रिपाठी Updated Sat, 22 Nov 2025 09:04 PM IST
सार

अर्थशास्त्री और राजनीतिक टिप्पणीकार ने कहा कि एसआईआर इसलिए अस्तित्व में आया, क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण एनआरसी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकी।

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Parakala Prabhakar claims SIR means government choosing voters Yogendra Yadav says Bihar Election is test
अर्थशास्त्री परकाला प्रभाकर - फोटो : ANI
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अर्थशास्त्री परकाला प्रभाकर ने शनिवार को दावा किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिए सरकार मतदाताओं को चुन रही है। उन्होंने कहा, 'एसआईआर का मतलब है कि सरकार मतदाताओं को चुन रही है, नाकि मतदाता सरकार को।' परकाला प्रभाकर ने आरोप लगाते हुए कहा कि एसआईआर का मकसद 'उन लोगों' को बाहर करना है जिनके बारे में सरकार का मानना है कि उन्हें देश में नहीं होना चाहिए।

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अर्थशास्त्री ने दावा किया कि चुनाव आयोग की ओर से पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों में चल रही एसआईआर की प्रक्रिया से देश के संवैधानिक मूल्यों, संवैधानिक भावना और संवैधानिक नैतिकता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। तृणमूल कांग्रेस समर्थक मंच माने जाने वाले 'द एजुकेशनिस्ट्स फोरम, पश्चिम बंगाल' नाम के समूह की ओर से आयोजित एक सम्मेलन के प्रभाकर ने दावा किया कि एसआईआर में सरकार मतदाताओं को चुनती है, न कि मतदाता सरकार को चुनते हैं।
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अर्थशास्त्री और राजनीतिक टिप्पणीकार ने कहा कि एसआईआर इसलिए अस्तित्व में आया, क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण एनआरसी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकी। उन्होंने कहा, 'यह कुछ और नहीं बल्कि एसआईआर के रूप में एनआरसी-सीएए का पिछले दरवाजे से प्रवेश उन लोगों को बाहर करने के लिए है, जिन्हें उनके विचार से यहां नहीं होना चाहिए था।'

प्रभाकर ने कहा, 'जब किसी को मताधिकार से वंचित कर दिया जाता है, राजनीतिक समुदाय से बाहर कर दिया जाता है, तो वह दूसरे दर्जे का नागरिक बन जाता है।' उन्होंने दावा किया कि यही एसआईआर का मूल उद्देश्य है। प्रभाकर ने यह भी आरोप लगाया कि एसआईआर का मकसद मतदाता सूची से उन लोगों के नाम हटाना है जो हाशिए पर पड़े, अशिक्षित या अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।

उन्होंने दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव इसका उदाहरण हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में सत्तारूढ़ दल को वोट देने वाले संभावित लोगों के नाम विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में की गई एसआईआर प्रक्रिया में रख लिए गए थे। इस कार्यक्रम में राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने दावा किया कि बिहार मतदाता सूची का एसआईआर केवल एक प्रयोग है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण वास्तव में पश्चिम बंगाल के लिए है।

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "एसआईआर मतदाता सूची का पुनरीक्षण नहीं है; यह मतदाता सूची का पुनर्लेखन है।" यादव ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से अपील करते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि कोई भी वैध नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रह जाए।

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