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Sansad Diary: संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त; कई अहम विधेयक पारित, राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर किए तीखे हमले

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Fri, 19 Dec 2025 04:14 PM IST
सार

Sansad Diary: संसद का शीतकालीन सत्र आज खत्म हो गया। इस सत्र में कई अहम विधेयकों पर मंथन के बाद मुहर लगी। बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 19 दिनों तक चला और इस दौरान 92 घंटे 25 मिनट तक सदन की कार्यवाही चली। हालांकि इस दौरान वायु प्रदूषण पर होने वाली प्रस्तावित बहस, जिसे कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी शुरू करने वाली थीं, वह नहीं हो सकी।

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Parliament Diary: Winter Session of Lok Sabha ends; key Bills passed, debates see politically-charged attacks
संसद (फाइल तस्वीर) - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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शुक्रवार को लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया, जिसके साथ ही संसद के 19 दिवसीय शीतकालीन सत्र का समापन हो गया। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए, जिनमें 20 साल पुरानी मनरेगा को निरस्त करने वाला विधेयक और निजी भागीदारी के लिए नागरिक परमाणु क्षेत्र को खोलने वाला विधेयक भी शामिल है। जानकारी के मुताबिक, शीतकालीन सत्र के दौरान कुल बैठक का समय 92 घंटे और 25 मिनट था।
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लोकसभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही- ओम बिरला
शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपना संक्षिप्त विदाई भाषण पढ़ा, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही और सदस्य महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा करने के लिए देर रात तक बैठे रहे। इसके बाद उन्होंने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया, जिससे 1 दिसंबर को शुरू हुआ संक्षिप्त सत्र समाप्त हो गया।

विपक्ष ने लगाए 'महात्मा गांधी की जय' के नारे
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के विदाई भाषण पढ़ रहे थे, तब कुछ विपक्षी सदस्य 'महात्मा गांधी की जय' के नारे लगाते हुए देखे गए। निचली सदन की कार्यवाही स्थगित होने के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित थे। शीतकालीन सत्र की 15 बैठकों के दौरान सदन में दो राजनीतिक रूप से संवेदनशील बहसें हुईं - एक वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर और दूसरी चुनाव सुधारों पर।

अहम बहसें और राजनीतिक माहौल
शीतकालीन सत्र के 15 बैठकों में दो प्रमुख राजनीतिक बहसें हुईं। पहली बहस 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री ने की। इस विषय पर 11 घंटे 32 मिनट तक चर्चा हुई और 65 सांसदों ने भाग लिया। दूसरी अहम बहस चुनाव सुधारों पर हुई, जो करीब 13 घंटे चली और इसमें 63 सांसदों ने हिस्सा लिया। विपक्ष चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून तथा 'वोट चोरी' के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहा। हालांकि, सरकार ने साफ किया कि चुनाव आयोग के कामकाज पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।

पारित हुए आठ अहम विधेयक
इस सत्र में कुल आठ विधेयक पारित किए गए। इसके अलावा, अनुपूरक अनुदान मांगें (2025-26) भी पारित की गईं।
  1. वीबी-जी राम-जी विधेयक, जिसके तहत ग्रामीण भारत में 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाएगी।
  2. शांति विधेयक, जिससे नागरिक परमाणु क्षेत्र में निजी भागीदारी का रास्ता खुलेगा।
  3. बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने वाला विधेयक, जिससे बीमा कवरेज बढ़ने, प्रीमियम घटने और रोजगार सृजन की उम्मीद है।
  4. सबका बीमा सबकी रक्षा (संशोधन) विधेयक, 2025, जिसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने मंजूरी दी।
  5. पुराने और अप्रासंगिक 65 संशोधन कानूनों और छह मूल कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक।
  6. मणिपुर जीएसटी संशोधन, केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर से जुड़े विधेयक।

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अन्य विधेयक और संसदीय कामकाज
उच्च शिक्षा से जुड़े विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा गया। इसका उद्देश्य एक उच्च शिक्षा आयोग और तीन अलग-अलग परिषदों की स्थापना करना है। वहीं, बाजार प्रतिभूति संहिता से जुड़ा एक विधेयक पेश कर स्थायी समिति को भेजा गया। सत्र के दौरान 300 तारांकित प्रश्न स्वीकार किए गए, जिनमें से 72 का मौखिक उत्तर दिया गया। इसके अलावा 3,449 अतारांकित प्रश्न स्वीकार हुए। शून्यकाल में 408 तात्कालिक मुद्दे उठाए गए और नियम 377 के तहत 372 मामले लिए गए। इस तरह, शीतकालीन सत्र ने जहां कई अहम फैसलों की नींव रखी, वहीं राजनीतिक बहसों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गर्माहट भी बनाए रखी।

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