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PM Modi On Congress: पीएम मोदी ने गांधी परिवार पर साधा निशाना, कहा- कुविचार, कुरीति, कुनीति इनकी परंपरा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 14 Dec 2024 06:56 PM IST
सार
PM Modi On Congress: लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस के साथ-साथ गांधी परिवार पर निशाना साधा। पीएम ने कहा- 1947 से 1952 इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। एक अस्थायी व्यवस्था, एक सेलेक्टेड सरकार थी। ये संविधान निर्माताओं का भी अपमान था।
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पीएम मोदी का लोकसभा में गांधी परिवार पर करारा हमला
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
लोकसभा में पीएम मोदी ने संविधान के 75 वर्ष के गौरवशाली यात्रा पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार पर जमकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा- कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देश के लंबे इतिहास में एक ही परिवार ने राज किया है। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति, इसकी परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है।
संविधान निर्माताओं का भी अपमान हुआ था- पीएम
पीएम मोदी ने आगे कहा- 1947 से 1952 इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। एक अस्थायी व्यवस्था, एक सेलेक्टेड सरकार थी। चुनाव नहीं हुए थे। एक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर खाका खड़ा हुआ था। 1952 के पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था। जनता का कोई आदेश नहीं हुआ था। अभी अभी तो संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाया था। तब उन्होंने ऑर्डिनेंस कर के संविधान को बदला और किया क्या- अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। ये संविधान निर्माताओं का भी अपमान था। लेकिन वहां उनकी चली नहीं। बाद में जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी का हथौड़ा मार दिया। वो जो संविधान सभा में नहीं करवा पाए, वो उन्होंने पीछे के दरवाजे से किया। जो चुनी हुई सरकार के नेता नहीं थे, उन्होंने ये किया।
पीएम मोदी ने किया नेहरू जी की चिट्ठी का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा- नेहरू जी ने उस दौरान एक चिट्ठी लिखी थी। अगर संविधान हमारे रास्ते में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। जब देश में संविधान नहीं था। तब राजेंद्र प्रसाद जी ने चेताया था कि यह गलत कर रहे हो। तब हमारे स्पीकर ने भी इसे गलत बताया था। आचार्य कृपलानी, जयप्रकाश नारायण जैसी बड़ी शख्सियतों ने भी इसे गलत करार दिया। लेकिन नेहरू जी का अलग संविधान चलता था। इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह नहीं मानी और उनकी राय को दरकिनार कर दिया।
'कांग्रेस के मुंह लगा संविधान संशोधन का खून'
पीएम मोदी आगे कहा कि, संविधान संशोधन का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वो समय-समय पर इसका शिकार करती रही। छह दशक में करीब 75 बार संविधान को बदला गया। देश के पहले प्रधानमंत्री के बाद एक पाप इंदिरा गांधी ने किया। उन्होंने 1975 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा था। अदालतों से उनका अधिकार छीन लिया गया था। कोई रोकने वाला था नहीं। इसलिए जब इंदिरा जी के चुनाव को अदालत ने खारिज कर दिया और उनको सांसद पद छोड़ने की नौबत आई, तो उन्होंने गुस्से में देश पर इमरजेंसी थोप दी। अपनी कुर्सी बचाने के लिए और उसके बाद 1975 में 39वां संशोधन किया और उसमें उन्होंने क्या किया- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अध्यक्ष इनके चुनाव के खिलाफ कोई कोर्ट में जा ही नहीं सकता, ऐसा नियम बनाया और इसे पीछे के लिए भी लागू कर दिया।
नेहरू, इंदिरा और राजीव पर पीएम हमला
पीएम मोदी ने आगे कहा- यह परंपरा यही पर नहीं रुकी, नेहरू ने जो शुरू किया था, जिसे इंदिरा गांधी ने आगे बढ़ाया, इसी वजह से राजीव गांधी की सरकार उस वृद्ध महिला से हक छीन लिया था जिसे कोर्ट ने हक दिया था। शाहबानो की भावना, कोर्ट की भावना को राजीव गांधी ने नकार दिया था, उन्होंने संविधान को कुचल दिया था। उन्होंने न्याय के लिए एक बूढ़ी महिला का साथ नहीं दिया बल्कि कट्टरपंथियों के साथ चले गए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। लेकिन बात यहां पर नहीं रुकी। संविधान के साथ खिलवाड़ करने का लहू उनके मुंह पर लग चुका था।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जिक्र
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा- मेरे से पहले जो प्रधानमंत्री थे, एक किताब में उनका वक्तव्य लिखा था। मुझे ये स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। इतिहास में पहली बार चुने हुए प्रधानमंत्री के ऊपर एक गैर-संवैधानिक और जिसने कोई शपथ नहीं लिया था। नेशनल एडवायजरी काउंसिल, पीएमओ के ऊपर बिठा दिया था।
राहुल गांधी पर पीएम मोदी का निशाना
पीएम मोदी ने आगे कहा- इतना ही नहीं और एक पीढ़ी आगे चलें तो उस पीढ़ी ने भारत के संविधान के तहत देश की जनता जनार्दन देश की सरकार चुनती है। उस सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट ने जो निर्णय किया। संविधान का अपमान करने वाले अहंकार से भरे लोगों ने पत्रकारों और कैमरों के सामने कैबिनेट के उस फैसले को फाड़ दिया। संविधान के साथ खिलवाड़ करना, उसे न मानना, ये उनकी आदत हो गई थी। और दुर्भाग्य देखिए- एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे। ये कौन सी व्यवस्था है।
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पीएम मोदी ने आगे कहा- 1947 से 1952 इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। एक अस्थायी व्यवस्था, एक सेलेक्टेड सरकार थी। चुनाव नहीं हुए थे। एक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर खाका खड़ा हुआ था। 1952 के पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था। जनता का कोई आदेश नहीं हुआ था। अभी अभी तो संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाया था। तब उन्होंने ऑर्डिनेंस कर के संविधान को बदला और किया क्या- अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया। ये संविधान निर्माताओं का भी अपमान था। लेकिन वहां उनकी चली नहीं। बाद में जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी का हथौड़ा मार दिया। वो जो संविधान सभा में नहीं करवा पाए, वो उन्होंने पीछे के दरवाजे से किया। जो चुनी हुई सरकार के नेता नहीं थे, उन्होंने ये किया।
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पीएम मोदी ने किया नेहरू जी की चिट्ठी का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा- नेहरू जी ने उस दौरान एक चिट्ठी लिखी थी। अगर संविधान हमारे रास्ते में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। जब देश में संविधान नहीं था। तब राजेंद्र प्रसाद जी ने चेताया था कि यह गलत कर रहे हो। तब हमारे स्पीकर ने भी इसे गलत बताया था। आचार्य कृपलानी, जयप्रकाश नारायण जैसी बड़ी शख्सियतों ने भी इसे गलत करार दिया। लेकिन नेहरू जी का अलग संविधान चलता था। इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह नहीं मानी और उनकी राय को दरकिनार कर दिया।
'कांग्रेस के मुंह लगा संविधान संशोधन का खून'
पीएम मोदी आगे कहा कि, संविधान संशोधन का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वो समय-समय पर इसका शिकार करती रही। छह दशक में करीब 75 बार संविधान को बदला गया। देश के पहले प्रधानमंत्री के बाद एक पाप इंदिरा गांधी ने किया। उन्होंने 1975 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा था। अदालतों से उनका अधिकार छीन लिया गया था। कोई रोकने वाला था नहीं। इसलिए जब इंदिरा जी के चुनाव को अदालत ने खारिज कर दिया और उनको सांसद पद छोड़ने की नौबत आई, तो उन्होंने गुस्से में देश पर इमरजेंसी थोप दी। अपनी कुर्सी बचाने के लिए और उसके बाद 1975 में 39वां संशोधन किया और उसमें उन्होंने क्या किया- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अध्यक्ष इनके चुनाव के खिलाफ कोई कोर्ट में जा ही नहीं सकता, ऐसा नियम बनाया और इसे पीछे के लिए भी लागू कर दिया।
नेहरू, इंदिरा और राजीव पर पीएम हमला
पीएम मोदी ने आगे कहा- यह परंपरा यही पर नहीं रुकी, नेहरू ने जो शुरू किया था, जिसे इंदिरा गांधी ने आगे बढ़ाया, इसी वजह से राजीव गांधी की सरकार उस वृद्ध महिला से हक छीन लिया था जिसे कोर्ट ने हक दिया था। शाहबानो की भावना, कोर्ट की भावना को राजीव गांधी ने नकार दिया था, उन्होंने संविधान को कुचल दिया था। उन्होंने न्याय के लिए एक बूढ़ी महिला का साथ नहीं दिया बल्कि कट्टरपंथियों के साथ चले गए, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। लेकिन बात यहां पर नहीं रुकी। संविधान के साथ खिलवाड़ करने का लहू उनके मुंह पर लग चुका था।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जिक्र
अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा- मेरे से पहले जो प्रधानमंत्री थे, एक किताब में उनका वक्तव्य लिखा था। मुझे ये स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है। इतिहास में पहली बार चुने हुए प्रधानमंत्री के ऊपर एक गैर-संवैधानिक और जिसने कोई शपथ नहीं लिया था। नेशनल एडवायजरी काउंसिल, पीएमओ के ऊपर बिठा दिया था।
राहुल गांधी पर पीएम मोदी का निशाना
पीएम मोदी ने आगे कहा- इतना ही नहीं और एक पीढ़ी आगे चलें तो उस पीढ़ी ने भारत के संविधान के तहत देश की जनता जनार्दन देश की सरकार चुनती है। उस सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट ने जो निर्णय किया। संविधान का अपमान करने वाले अहंकार से भरे लोगों ने पत्रकारों और कैमरों के सामने कैबिनेट के उस फैसले को फाड़ दिया। संविधान के साथ खिलवाड़ करना, उसे न मानना, ये उनकी आदत हो गई थी। और दुर्भाग्य देखिए- एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे। ये कौन सी व्यवस्था है।
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