PM Modi Speech: प्रधानमंत्री ऐसे ही दमखम नहीं दिखा रहे, कांग्रेस का बिखराव ही उनकी ताकत है
PM Modi Speech: दिल्ली के तमाम राजनीतिक पंडितों को भी प्रधानमंत्री की ओर से संसद भवन के पारे को इस ऊंचाई तक ले जाने का अनुमान नहीं था। हालांकि कांग्रेस के ही तमाम नेता मानते हैं कि सत्तापक्ष को इतना आक्रामक होते जाने का अवसर भी विपक्ष ही दे रहा है...
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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमत्री मोदी अपने अप्रत्याशित रूप में सामने आए। उत्तेजना और हर्ष का वातावरण बनाते हुए प्रधानमंत्री ने छाती ठोंकते हुए कहा कि एक अकेला (मोदी) सब पर भारी है। प्रधानमंत्री विपक्ष के आरोप और नारेबाजी से इस कदर आहत थे कि उन्होंने गांधी परिवार के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सीधे निशाने पर ले लिया। दिल्ली के तमाम राजनीतिक पंडितों को भी प्रधानमंत्री की ओर से संसद भवन के पारे को इस ऊंचाई तक ले जाने का अनुमान नहीं था। हालांकि कांग्रेस के ही तमाम नेता मानते हैं कि सत्तापक्ष को इतना आक्रामक होते जाने का अवसर भी विपक्ष ही दे रहा है।
चुनाव लड़ने को लेकर असमंजस में दिख रहे हैं कांग्रेस के कई नेता
पिछले तीन महीने के दौरान कांग्रेस के तीन दर्जन से अधिक प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं से चर्चा हुई। चर्चा में एक सवाल सबसे अहम रहा। सभी से पूछा गया कि क्या वह 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और इसकी तैयारी कर रहे हैं? दिलचस्प है कि पी चिदंबरम, शशि थरुर जैसे नेता को छोड़ दें तो अधिकांश में हिम्मत और आत्मविश्वास में कमी दिखाई दी। उत्तर प्रदेश के एक पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष भी चुनाव लड़ने के सवाल पर बड़ी गंभीर सांस लेते नजर आए। हरियाणा कांग्रेस के कई नेताओं ने सवाल पर कन्नी काटना बेहतर समझा। मध्यप्रदेश के नेताओं में थोड़ा उत्साह लग रहा है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पहले की तुलना में हालात बहुत ठीक हुए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस और कर्नाटक कांग्रेस इस समय अपनी आंतरिक लड़ाई में उलझी हुई है। इसके समानांतर पंजाब कांग्रेस जैसे अपनी जमीन को खोजने में लगी हुई है।
महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक का घमासान कहां ले जाएगा?
कर्नाटक में डीके शिवकुमार प्रभावशाली और मैनेजमेंट में माहिर नेता माने जाते हैं। लेकिन कर्नाटक कांग्रेस में डीके शिवकुमार का खेमा इन दिनों अपने वजूद को सुरक्षित करने में लगा है। केंद्र से गए वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद की अपनी कुछ चिंताएं हैं। मल्लिकार्जुन खरगे का राज्य कर्नाटक ही है। दलित समाज से आते हैं। भाजपा ने मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से उनके क्षेत्र पर अपनी घेरेबंदी बढ़ा दी है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी पार्टी के भीतर का जितना अंतर्कलह शांत करने आए थे, अब स्थिति उससे कहीं ज्यादा बिगड़ चुकी है। हालांकि पार्टी ने वहां से अपने अनुभवी नेता मोहन प्रकाश को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर जोड़ा है। मोहन प्रकाश अंतर्विरोध खत्म करने में निपुण माने जाते हैं।
महाराष्ट्र में कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले अपने ही नेताओं के बीच में सवालिया निशान के घेरे में हैं। शिवसेना और एनसीपी के नेताओं के मुताबिक पटोले यदि विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा न देते, तो महाविकास अघाड़ी की उद्धव सरकार चलती रहती। बाला साहब थोराट नाराज हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस की स्थिति पर पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण बातचीत से जी चुराते नजर आए। मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के चेहरे पर राज्य विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के ही तमाम नेताओं को कम रास आ रहा है। हालांकि दिग्विजय सिंह को भरोसा है कि अगली सरकार वहां कांग्रेस की ही बननी है। एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभी चुनाव दूर हैं। इसलिए काल्पनिक स्थिति पर बात करना ठीक नहीं।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेहद सुरक्षित जोन में चल रहे हैं। मुख्यमंत्री का सपना संजोए सचिन पायलट की लगातार अनिश्चितता बढ़ रही है। सीपी जोशी जैसे नेता केवल समय की धार देख रहे हैं। पार्टी की एक अन्य वरिष्ठ नेता का कहना है कि जबतक दिल्ली से कुछ नहीं होता, सबकुछ इसी तरह से चलना है। कुल मिलाकर यह सभी चुनौतियां कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने हैं। बढ़ती उम्र में इस बढ़ते बोझ को देखना है कि वह कहां तक और कितना ढो पाते हैं।
समय बस एक साल का है, अगले साल चुनाव है
राहुल गांधी का सेक्रेटेरियट अभी भी पहले जैसा व्यस्त रहता है। वहां से निकलकर आए एक सूत्र का कहना है कि पूरे देश से फीडबैक लिया जा रहा है। समय बहुत कम बचा है। 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। हालांकि वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि 2024 में अकेले कांग्रेस 100 सीटें पार करेगी। यूपीए को मिलाकर हम अच्छी स्थिति में होंगे। इसके बाद वह एक बात पते की कहते हैं। सूत्र का कहना है कि यदि पूरी कांग्रेस एक हो जाए और हम सब मिलकर पूरी ताकत से चुनाव लड़ें, तो 135-145 सीटें आसानी से आ जाएंगी। लेकिन जब सवाल हुआ कि एक क्यों नहीं हो जाते? तो जवाब था यही तो मुश्किल है। हमारे यहां छोटे से लेकर बड़ा सब नेता है। और यही प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की ताकत है।