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Mercy Petition: राष्ट्रपति ने मासूम से दुष्कर्म और हत्या के दोषी की दया याचिका की खारिज, 2012 की है घटना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: लव गौर
Updated Sun, 14 Dec 2025 09:27 PM IST
सार
Mercy Petition: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी की दया याचिका खारिज कर दी है। घटना 6 मार्च, 2012 को महाराष्ट्र के जालना शहर के इंदिरा नगर इलाके में हुई थी।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (फाइल फोटो)
- फोटो : ANI Photos
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विस्तार
दो वर्षीय बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के दोषी व्यक्ति की दया याचिका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खारिज कर दी। घटना 2012 में महाराष्ट्र में हुई थी। 25 जुलाई, 2022 को पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति ने यह तीसरी दया याचिका खारिज की है। राष्ट्रपति भवन से जारी की गई दया याचिका की स्थिति के अनुसार, घुमारे की दया याचिका को राष्ट्रपति ने 6 नवंबर, 2025 को खारिज कर दिया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्तूबर, 2019 को रवि अशोक घुमारे को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखी थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा था, उसका अपनी यौन इच्छाओं पर कोई नियंत्रण नहीं था और अपनी यौन भूख को शांत करने के लिए उसने सभी प्राकृतिक, सामाजिक और कानूनी हदों को पार कर दिया था। अपने फैसले में, जस्टिस सूर्यकांत (जो अब भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं) की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से कहा, इस व्यक्ति ने एक ऐसे जीवन को निर्दयतापूर्वक खत्म कर दिया जिसका खिलना अभी बाकी था। दो वर्षीय बच्ची के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का उसका कृत्य घिनौनी और विकृत मानसिकता को दर्शाता है और क्रूरता की भयावह कहानी बताता है।
फैसले में कहा गया था, यह देखते हुए कि पीड़िता मुश्किल से दो साल की बच्ची थी, जिसे अपीलकर्ता (रवि) ने अगवा किया और चार से पांच घंटे तक लगातार प्रताड़ित किया, जब तक कि उसकी मृत्यु नहीं हो गई। जस्टिस सूर्यकांत ने अपने और जस्टिस (अब सेवानिवृत्त) रोहिंटन एफ नरीमन के लिए यह फैसला लिखा था। बहुमत के फैसले में कहा गया, अपीलकर्ता ने बच्चे को पिता तुल्य प्रेम, स्नेह और समाज की बुराइयों से सुरक्षा देने के बजाय, उसे वासना का शिकार बनाया। यह विश्वासघात का मामला है, जिसमें सामाजिक मूल्यों को ठेस पहुंची है।
ये भी पढ़ें: Maharashtra: मुंबई का 'रहमान डकैत' कौन? शिंदे के 'धुरंधर' हमले ने मचाई सनसनी; उद्धव पर था निशाना
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 6 मार्च, 2012 को महाराष्ट्र के जालना शहर के इंदिरा नगर इलाके में हुई थी। घुमारे ने पीड़िता को चॉकलेट का लालच दिया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और 16 सितंबर, 2015 को मौत की सजा सुनाई। जनवरी, 2016 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसकी मौत की सजा को बरकरार रखा।
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्तूबर, 2019 को रवि अशोक घुमारे को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखी थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा था, उसका अपनी यौन इच्छाओं पर कोई नियंत्रण नहीं था और अपनी यौन भूख को शांत करने के लिए उसने सभी प्राकृतिक, सामाजिक और कानूनी हदों को पार कर दिया था। अपने फैसले में, जस्टिस सूर्यकांत (जो अब भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं) की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से कहा, इस व्यक्ति ने एक ऐसे जीवन को निर्दयतापूर्वक खत्म कर दिया जिसका खिलना अभी बाकी था। दो वर्षीय बच्ची के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का उसका कृत्य घिनौनी और विकृत मानसिकता को दर्शाता है और क्रूरता की भयावह कहानी बताता है।
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फैसले में कहा गया था, यह देखते हुए कि पीड़िता मुश्किल से दो साल की बच्ची थी, जिसे अपीलकर्ता (रवि) ने अगवा किया और चार से पांच घंटे तक लगातार प्रताड़ित किया, जब तक कि उसकी मृत्यु नहीं हो गई। जस्टिस सूर्यकांत ने अपने और जस्टिस (अब सेवानिवृत्त) रोहिंटन एफ नरीमन के लिए यह फैसला लिखा था। बहुमत के फैसले में कहा गया, अपीलकर्ता ने बच्चे को पिता तुल्य प्रेम, स्नेह और समाज की बुराइयों से सुरक्षा देने के बजाय, उसे वासना का शिकार बनाया। यह विश्वासघात का मामला है, जिसमें सामाजिक मूल्यों को ठेस पहुंची है।
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