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Goa Nightclub Tragedy: गोवा नाइट क्लब हादसे पर बॉम्बे हाईकोर्ट सख्त, कहा- किसी न किसी को जवाबदेह ठहराना होगा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पणजी
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 15 Dec 2025 06:10 PM IST
सार
Goa Nightclub Tragedy: गोवा नाइट क्लब हादसे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने सख्त टिप्पणी की है। बेंच ने सिविल याचिका को जनहित याचिका में बदलते हुए कहा कि इस मामले के लिए किसी न किसी को जिम्मेदार ठहराना होगा।
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बॉम्बे हाई कोर्ट
- फोटो : ANI
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विस्तार
गोवा के चर्चित 'बिर्च बाय रोमियो लेन' नाइटक्लब हादसे को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर सिविल याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में बदलते हुए साफ कहा कि 'इस त्रासदी के लिए किसी न किसी को जवाबदेह ठहराना होगा।' इस हादसे में 25 लोगों की जान चली गई थी, जिससे पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया था।
यह भी पढ़ें - BMC Elections: महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव की तारीखों का एलान, 15 जनवरी को वोटिंग तो इस दिन होगी मतगणना
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस सारंग कोतवाल और आशीष चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि स्थानीय पंचायत ने अपने स्तर पर (सुओ मोटो) कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि क्लब के खिलाफ पहले से कई शिकायतें मौजूद थीं। कोर्ट ने इसे प्रशासन की बड़ी लापरवाही बताया।
सरकार से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
मामले में हाईकोर्ट ने गोवा सरकार को निर्देश दिया कि वह नाइटक्लब को दी गई सभी अनुमतियों, लाइसेंस और नियमों से जुड़ी जानकारी पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करे। इस मामले में अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
ढहाने का आदेश, फिर भी संचालन
कोर्ट ने यह भी गंभीर सवाल उठाया कि जिस इमारत को तोड़ने का आदेश दिया जा चुका था, वहां अब भी व्यावसायिक गतिविधियां कैसे चल रही थीं? इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील रोहित ब्रास डी सा को अमीकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया गया है और उनसे पूरे मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है। यह मूल याचिका 6 दिसंबर की घटना के बाद प्रदीप घड़ी अमोणकर और सुनील दिवकर ने दायर की थी, जो उस जमीन के मालिक हैं जिस पर नाइटक्लब चल रहा था।
अपनी याचिका में, प्रदीप अमोणकर और सुनील दिवकर ने कानूनी उल्लंघनों के खतरनाक पैटर्न पर प्रकाश डाला, जिन्हें कई शिकायतों, निरीक्षणों, कारण बताओ नोटिस और यहां तक कि गिराने के आदेश के बावजूद भी ठीक से संबोधित नहीं किया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि ये उल्लंघन 'गोवा राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा, पारिस्थितिक अखंडता और कानून के शासन के लिए तत्काल खतरा' पैदा करते हैं।
यह भी पढ़ें - Maharashtra: पुणे जमीन सौदा मामले में आरोपी दिग्विजय पाटिल पर कसा शिकंजा, पुलिस कर रही पूछताछ
नाइटक्लब में आग लगने की घटना की कई एजेंसियों द्वारा की गई जांच में कई अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसमें नाइटक्लब चलाने के लिए अनुमति की कमी भी शामिल है। गोवा पुलिस ने क्लब के पांच मैनेजरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया, जबकि सह-मालिक गौरव लूथरा और सौरभ लूथरा को देश से भाग जाने के बाद थाईलैंड में हिरासत में लिया गया है।
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हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस सारंग कोतवाल और आशीष चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि स्थानीय पंचायत ने अपने स्तर पर (सुओ मोटो) कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि क्लब के खिलाफ पहले से कई शिकायतें मौजूद थीं। कोर्ट ने इसे प्रशासन की बड़ी लापरवाही बताया।
सरकार से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
मामले में हाईकोर्ट ने गोवा सरकार को निर्देश दिया कि वह नाइटक्लब को दी गई सभी अनुमतियों, लाइसेंस और नियमों से जुड़ी जानकारी पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करे। इस मामले में अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
ढहाने का आदेश, फिर भी संचालन
कोर्ट ने यह भी गंभीर सवाल उठाया कि जिस इमारत को तोड़ने का आदेश दिया जा चुका था, वहां अब भी व्यावसायिक गतिविधियां कैसे चल रही थीं? इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील रोहित ब्रास डी सा को अमीकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया गया है और उनसे पूरे मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है। यह मूल याचिका 6 दिसंबर की घटना के बाद प्रदीप घड़ी अमोणकर और सुनील दिवकर ने दायर की थी, जो उस जमीन के मालिक हैं जिस पर नाइटक्लब चल रहा था।
अपनी याचिका में, प्रदीप अमोणकर और सुनील दिवकर ने कानूनी उल्लंघनों के खतरनाक पैटर्न पर प्रकाश डाला, जिन्हें कई शिकायतों, निरीक्षणों, कारण बताओ नोटिस और यहां तक कि गिराने के आदेश के बावजूद भी ठीक से संबोधित नहीं किया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि ये उल्लंघन 'गोवा राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा, पारिस्थितिक अखंडता और कानून के शासन के लिए तत्काल खतरा' पैदा करते हैं।
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नाइटक्लब में आग लगने की घटना की कई एजेंसियों द्वारा की गई जांच में कई अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसमें नाइटक्लब चलाने के लिए अनुमति की कमी भी शामिल है। गोवा पुलिस ने क्लब के पांच मैनेजरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया, जबकि सह-मालिक गौरव लूथरा और सौरभ लूथरा को देश से भाग जाने के बाद थाईलैंड में हिरासत में लिया गया है।
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